धन्य हो हनुमान जी धायल बहुत सुन्दर गुरु महाराज जाम्भोजी के निर्वाण की साखी इस साखी मे भगवान का तेजोमय दिव्य शरीर छोड़कर अपने वेकुण्ठ धाम गमन की जगह तिथी एवं गुरु महाराज के परम भक्त भगवान का विछोह को सहन न कर सके भगवान जाम्भोजी से विनती करने लगे कि महाराज हम आपके बिना इस मृत्यु लोक के बीच नहीं रह सकेंगे तो भगवान ने बड़ी करुणा करके अपने ही साथ ले जाने का निश्च्य कर लिया ओर अपनी इच्छा से देह का परित्याग करने वालो को भगवान ने यह वचन दिया कि जो प्राणी तीन दिनों के अन्दर अपनी देह का परित्याग कर देगा वो मेरे को प्राप्त हो जाएगा तब जो भगवान के विछोह को न सहन करने वाले भगवान के परम शिष्य अपना शरीर छोडने के लिए भगवान की कृपा से डाभ का तिनका भी तलवार बन गया जिनका प्रमाण सन्तो ने साखी में दिया है सब से पहले भगवान की वो ही एक भूआ थी जो तान्तु जो सबसे पहले खड़ी ओर भूआ ही वो थी होलीका भक्त प्रहलाद की जो अपने भतीजे को मारने के प्रयत्न में खुद मरी थी ओर आगे जो भक्त जन जिस जगह के थे जितने थे वो प्रमाण दिया है शिवकरण विश्नोई राजाराम धारणिया फोर व्हील्स टाटा मोटर ब्रांच ऑफीस नोखा 7073315479 9116005707 ज
मनुष्य रूपी शरीर में एक चेतन मणि रूपी आत्म स्वरूप मिला हुआ है परन्तु वह लुका हुआ है यानी उस की भूल हुई है और हमने उसे ज्ञान से याद करके परखने की कोशिश नहीं की हैं और बाद बिबादी अति अंहकार में समय खराब कर दिया है ।इसलिए अपने छुपे हुए स्वरूप का बौद्ध सिखना चाहिए ।वरना कृष्ण चरित बिन नहीं उतरिबा पारू।धन्यवाद ।