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कुपित बचपन में होते थे जब पसंदीदा वस्तु मिलने में देर होती थी । अब उसकी जगह धैर्य ने ले ली है । वैसे अगर आप प्रतिक्रिया का उत्तर विलंब से देंगी तो अवश्य कुपित होंगे।😅
कर्ण का अर्जुन के प्रति द्वेष ही उनके विनाश का कारण था।ईर्ष्या किसी भी व्यक्ति का समूल नाश कर सकती है यह कर्ण के जीवन चरित्र से सीख सकते हैं । रही बात मित्रता की तो सच्चा मित्र वह होता है जो मित्र को गलत रास्ते में जाने से रोके न कि मित्र का गलत कर्मों में भी साथ दे।बाकी नियति का भी हमारे जीवन में बहुत ही महत्वपूर्ण रोल होता है जैसा कि रश्मीरथी में बताया गया कि कर्ण को नियति ने हर कदम पर छला लेकिन मेरा मानना है कि हमारी नियति के मुख्य आधार हमारे कर्म होते हैं और ईर्ष्या किसी भी व्यक्ति के सारे सद्गुणों पर भारी पड़ती है इसीलिए हमें सदैव विवेक से काम करना चाहिए ❤
❤❤❤love u dii Aapka channel na sirf mujhe upsc mai help kr raha haan Balki story, novels se jo life ka experience mil raha haan I can't explain u❤ thanks dii
(1)Mela Anchal (2)Divya par video kab banaoge ap didi ? or Hindi sahitya me aapke lecture ki video kam a jaati hai padhne me aasani hoti hai pahle audio sun lete he fir uske bad book padh lete He please UPSC k Hindi sahitya ke syllabus ke anusar aap sari book ki series padha do na didi please
रतन सबसे बढ़िया 😅😅 उसका आगमन अंतिम में मैने पूरक पुस्तक ' कृतिका' में यह एकांकी पढ़ी थी और फिर बाद मे पढ़ाई भी है बच्चों को। बहुत अच्छे से स्वर दिया है आपने । जगदीश चंद्र माथुर जी को ऐसी सत्यार्थ रचना के लिए साधुवाद ।
@@KahaniwaliSONAM हमारे धर्म ग्रंथ तो इसी ओर रहते आये कि जो हुआ वो श्री कृष्ण रूपी नारायण की आज्ञा से हुआ तो आप मान कर चलिए कि कर्ण का ऐसा करना भी उन्ही की इच्छा होगी। वरना उसकी अंतिम गति मृत्यु ना होती। और भगवान भी तो पांडवों के साथ थे। हालांकि कर्ण को मानवता और पौरुष दिखानी थी जो उसने मित्रता के आगे न्योछावर कर दी जो उसका सच्चा मित्र भी नहीं था। प्रश्न है कि हम भगवान से भी प्रश्न करना चाहिए हमें। karn और एकलव्य दोनों ने अन्याय तो झेला था।
कर्ण का अर्जुन के प्रति द्वेष ही उनके विनाश का कारण था।ईर्ष्या किसी भी व्यक्ति का समूल नाश कर सकती है यह कर्ण के जीवन चरित्र से सीख सकते हैं । रही बात मित्रता की तो सच्चा मित्र वह होता है जो मित्र को गलत रास्ते में जाने से रोके न कि मित्र का गलत कर्मों में भी साथ दे।बाकी नियति का भी हमारे जीवन में बहुत ही महत्वपूर्ण रोल होता है जैसा कि रश्मीरथी में बताया गया कि कर्ण को नियति ने हर कदम पर छला लेकिन मेरा मानना है कि हमारी नियति के मुख्य आधार हमारे कर्म होते हैं और ईर्ष्या किसी भी व्यक्ति के सारे सद्गुणों पर भारी पड़ती है इसीलिए हमें सदैव विवेक से काम करना चाहिए ❤