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संत रामपाल जी महाराज के अनुयाई संध्या आरती में गाते हैं झूठी काया खाल लुहारा, इला पिंगुला सुषमन द्वारा।2। कृतघ्नी भूले नरलोई, जा घट निश्चय नाम न होई।3। सो नर कीट पतंग भवंगा, चैरासी में धर हैं अंगा।4। उद्भिज खानी भुगतें प्रानी, समझें नाहीं शब्द सहदानी।5। हम हैं शब्द शब्द हम माहीं, हम से भिन्न और कुछ नाहीं। 6। पाप पुण्य दो बीज बनाया, शब्द भेद किन्हें बिरलै पाया।7। शब्द सर्व लोक में गाजै, शब्द वजीर शब्द है राजै ।8। शब्द स्थावर जंगम जोगी, दास गरीब शब्द रस भोगी।9।
Pahle teesari ankh per dhyan deker zor se sans lo aur chodo ankh band rakho, phirthodi der rokker chodo rokker lo, phiranguthe se kaan band karo aor anguthe ke pas wali unguli se ankh phir zannet four film banegi.
Lote ka jal abhimantritt kaise karna h. Aur kya Roz ek lota jal rakhna h ya ek din?? Fir teen din baad jal ko kya karna h?? Guru ji kirpa karke poori jankari de vistar se🙏