महतारी भाखा म जय जोहार "संगवारी" मीडिया जगत में नवाचार लाने की हमारी कोशिश है। हमारा प्रयास है कि हम अपने प्रदेश की लोक कला, संस्कृति, नवांकुर कलाकार को प्रमुखता के साथ सबसे पहले आप तक पहुंचाए। संगवारी के जरिए हम छत्तीसगढ़ी बोली में भी समाचार प्रकाशित करेंगे। हम हमर गांव घर के बात, संगवारी के गोठ, मितान गोठियाही अपन सफलता के बात, किसान कहि खेती किसानी के बात, पारंपरिक त्योहार, बिहाव के रस्म, हम संगवारी के जरिए गोठ-बात करबो।
अब बात- हमर बोली हमर भाखा म जो हे सबसे गुर तुर, मोर संगवारी, मोर मितान, मोर माटी आउ मोर चिन्हारी जइसे 36 गुन हे मोर पहिचान। जेखर नाम आए छत्तीसगढ़। आउ ये 36 झन हा बनहि मोर संगवारी, जेखर साथ मे करहु गोठ बात, मे करहु अपन माटी के गोठ बात। सुआ, सरगुजिया, राउत नाचा, ला लाहु आपन मन के पास। देश परदेश के घलो करहु बात। मोर संस्कृति हा ही मोर पहचान हे। बगराहु चारो कोती। आप सब बनहूं धमधा वाले चंदू के संगवारी।
Ham apne time me ese kaichi chap साइकिल chalana bolte the aur mai bhi san 1996ka hu I min mera birthday hai pr साइकिल chalana 2006 2007 me sikha tha isi tarah se