श्री कृष्णा राधे राधे आप सभी का स्वागत है परम पूज्य पंडित प्रदीप जी मिश्रा के श्रीमुख से बताए गए उपाय श्री शिवमहापुराण कथा कृपया बताए गए उपाय व भजन को अधिक से अधिक शेयर व लाईक करें।🙏
दोन दिन पहले आपने कहा था , हनुमान चालीसा का पाठ विधीवत करने बाद ही हनुमान जी दर्शन देंगे , लेकिन आदरणीय तुलसीदास जी ने कहा है कि नाम का बीज सरल और शुध्द भाव से कैसे भी डाल दो,फल तो निकालना ही है,विधीवत के लिए आपकी दुकान के मार्फत ही उनसे मिलने जाना होगा.....
हर हर महादेव हर हर महादेव हर हर महादेव हर हर महादेव हर हर महादेव हर हर महादेव हर हर महादेव हर हर महादेव हर हर महादेव हर हर महादेव हर हर महादेव हर हर महादेव हर हर महादेव हर🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
प्रदीप महाराज जरा रामचरितमानस पढीये ,-----: तुलसी बाबा से जानिये -----कलिमल ग्रसे धर्म सब लुप्त भए सदग्रंथ। दंभिन्ह निज मति कल्पि करि प्रगट किए बहु पंथ॥ भावार्थ:- कलियुग के पापों ने सब धर्मों को ग्रस लिया, सद्ग्रंथ लुप्त हो गए, दंभियों ने अपनी बुद्धि से कल्पना कर-करके बहुत-से पंथ प्रकट कर दिए॥ मारग सोइ जा कहुँ जोइ भावा। पंडित सोइ जो गाल बजावा॥ मिथ्यारंभ दंभ रत जोई। ता कहुँ संत कहइ सब कोई॥ भावार्थ:-जिसको जो अच्छा लग जाए, वही मार्ग है। जो डींग मारता है, वही पंडित है। जो मिथ्या आरंभ करता (आडंबर रचता) है और जो दंभ में रत है, उसी को सब कोई संत कहते हैं। सोइ सयान जो परधन हारी। जो कर दंभ सो बड़ आचारी॥ जो कह झूँठ मसखरी जाना। कलिजुग सोइ गुनवंत बखाना॥ भावार्थ:-जो दंभ करता है, वही बड़ा आचारी है। जो झूठ बोलता है और हँसी-दिल्लगी करना जानता है, कलियुग में वही गुणवान कहा जाता है। निराचार जो श्रुति पथ त्यागी। कलिजुग सोइ ग्यानी सो बिरागी॥ जाकें नख अरु जटा बिसाला। सोइ तापस प्रसिद्ध कलिकाला॥ भावार्थ:- जो आचारहीन है और वेदमार्ग को छोड़े हुए है, कलियुग में वही ज्ञानी और वही वैराग्यवान है। जिसके बड़े-बड़े नख और लंबी-लंबी जटाएँ हैं, वही कलियुग में प्रसिद्ध तपस्वी हैं। सो० - जे अपकारी चार तिन्ह कर गौरव मान्य तेइ। मन क्रम बचन लबार तेइ बकता कलिकाल महुँ॥ भावार्थ:- जिनके आचरण दूसरों का अपकार (अहित) करनेवाले हैं, उन्हीं का बड़ा गौरव होता है और वे ही सम्मान के योग्य होते हैं। जो मन, वचन और कर्म से लबार (झूठ बकनेवाले) हैं, वे ही कलियुग में ""वक्ता """माने जाते हैं॥ -------यह सब आपपर सही बैठाता है