पं. ताराचन्द ' वैदिक का जन्म आषाढ शुक्ला एकादशी वि.सं . 1980 में ( 24 जुलाई 1923 बुधवार ) को हरियाणा प्रान्त के जिला महेन्द्रगढ़ के कोथल खुर्द ग्राम में हुआ।भीष्म जी का आर्य साहित्य पढ़कर , उन्हें सुनकर व उनका सान्निध्य प्राप्त कर आप वि.सं. 2005 (सन् 1962) से आर्योपदेशक के रूप में कार्य करने लगे।25 पुस्तकों में छपे भजन -गीत प्रत्येक ज्वलंत विषय पर प्रकाश डालते हैं।पं. जी हिन्दी सत्याग्रह और गौ रक्षा सत्याग्रह में अग्रणी रहे और जेल यात्राएँ भी की ।कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय द्वारा " पं. ताराचन्द ' वैदिक ' व्यक्तित्व एवं कृतित्व " विषय पर शोध उपाधि भी प्रदान की जा चुकी है । पं. ताराचन्द वैदिक को अन्तर्राष्ट्रीय आर्य महासम्मेलन में ‘आर्य विभूषण ' ' वैदिक संगीत भास्कर ' जैसी सर्वोच्च उपाधियों से अलंकृत किया जा चुका है । इसके अलावा वैदिक मिशन मुंबई , आर्य समाज कलकता , दिल्ली , महेन्द्रगढ़ मण्डल एवं अन्यान्य सैकड़ों सामाजिक व धार्मिक संगठनों द्वारा सम्मानित किया जा चुका है । वे दिनांक 29 जून 2010 को अपराह्न में वेदमंत्रो का पाठ करते हुए 3 बजकर 45 मिनट पर सदा - सदा के लिए मौन हो गए।
जी मे महाशय श्री पूर्ण चंद जी गांव मोहनपुर से हूं इस किस्से में मेरे पिता जी कोर्स कर रहे ह जो की गुरु जी ताराचंद जी के saath करीब 13 साल साथ रहे और गुरु जी के करीब करीब सारे भजन और किस्से आज भी कंठश याद है