राजनीति एक बेसुरी घटना है जबकि संगीत सुरों में बंधी एक दिव्य घटना है । राजनीतिज्ञ सिर्फ़ शब्दों का जाल बुनकर लोगों को सिर्फ भरमाने का काम करता है, जबकि सुर साधक इधर-उधर बिखरे शब्दों को सुर और मिठास में बांधकर खुद भी आनंदित होता है, और दूसरों को भी । एक राजनीतिज्ञ और संगीतज्ञ में यही फ़र्क होता है । राजनीतिज्ञ सुरों को समझने में असमर्थ होता है और एक संगीतज्ञ राजनीति के दांवपेचों को । अटलजी और सुर सम्राट भीमसेन जोशी जी में यही फ़र्क है । सुरों की महफ़िल में राजनीतिज्ञों की उपस्थिति कोई बहुत ज़्यादा मायने नहीं रखती ।
From Saamved to Hindu sanatan Transport full of Atdhal Nischay Pratap.. Rashtrvaad ke sahare hum Bina sahare Poetic Lecture with Sandwich Gadbad So Pride of India Atal Voyogapayee of Bhartiyaa politikaa.
मी लहान असताना पप्पा श्री बिमसेन जोशींचे अभंग लाबायचे मला पप्पा सांगायचे तु मोठा zhalas ना तेव्हा यांचे अभंग तू मॅन लावून ऐकशील ते खरं zhal. आवाज खूप छान आहे.