Hello! Thanks! I love! ❤ Bhagavad Gita 2.66View » लेकिन असंयमी व्यक्ति का अपने मन और इन्द्रियों पर नियंत्रण नहीं होता, न ही उसकी बुद्धि दृढ़ होती है और न ही उसका मन भगवान के चिन्तन मे स्थिर हो सकता है जो अपने मन को भगवान में स्थिर नहीं करता, जिसके बिना शान्ति संभव नहीं और शांति के बिना कोई कैसे सुखी रह सकता है?