आज के युग में ये गलत है कोई गवाह के बिना न्यायालय में कैसे साबित होगा क्योंकि कानुन के आंख पर तो पट्टी बंधी है । न्यायालय में सार्वजनिक सभा में अपमानित होना प्रमाणित करना होता है तभी एक्ट लागू होगा ।बडे बडे नेता जेल जायेंगे तब पता चलेगा
सर नोटिस में केवल 50000 लिखा रहता है या फिर 50000 देना भी पड़ता है कोर्ट में. जमानतदार और अभियुक्त को निजी बंधपत्र के रूप में पैसा जमा भी करना पड़ता है या नहीं
एससी एसटी एक्ट दर्ज होना ही बहुत बड़ी बात है क्योंकि इन वर्गों का कोई भी प्रभावित व्यक्ति आमतौर पर कानून की शरण नहीं जा पाता है क्योंकि उसे सवर्ण समाज से अपने व अपने परिवार की सुरक्षा का सदा डर रहता है और उसे डराया भी जाता है इसलिए वह बहुत ही विशेष परिस्थिति में ही कानून की शरण अथवा थाने जता है ऐसी स्थिति में झूठे केश का तो प्रायः प्रश्न ही नहीं होता झूठे केश की स्थिति एक प्रतिशत से अधिक नहीं होती है इसलिए सीधे सीधे यह कहना कि ये लोग तो सवर्णों को फंसाने के लिए झूठा केस लगा देते हैं फलस्वरूप उसके केस को हलके में लिया जाता है और यहां तक कि उसे केस वापस लेने हेतु भी बाध्य किया जाता है दूशरा प्रश्न कि उसके लिए सामान्य जाति का व्यक्ति गवाह होना चाहिए सरासर अपराध को कम आंकने व प्रभावितों को हतोत्साहित करने का प्रयास है क्योंकि इन वर्गों के साथ हुए छुआछूत व अन्याय के पक्ष में सवर्णों की गवाही का तो कोई प्रश्न ही नहीं होता इसलिए यह अपेक्षा करना कि प्रकरण पर प्रत्यक्ष देखने की गवाही कोई सवर्ण व्यक्ति देगा और तभी जब आई आर दर्ज होगी बिल्कुल गलत है तथा एफआईआर दर्ज न करने का बहाना मात्र है इसलिए आरक्षित वर्ग के गवाह को ही मान्यता देते हुए केस दर्ज करना चाहिए तथा पीड़ित को इंसाफ देना चाहिए
SC ST को खुली छूट दिया अंबेडकर ने जिससे वे किसी को भी दारू पी के गरिया देते हैं वही कोई इसपर उन्हें पेल दे तो मुक़दमा दर्ज हो जाता है ये दोगलाई है sc st act का आजकल भिमटो ने नाजायज़ फ़ायदा उठा रखा है
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किसी भी जाति या धर्म का व्यक्ति किसी भी जाति या धर्म के व्यक्ति का अपमान नहीं कर सकता। हमारे देश का कानून इसकी अनुमति नहीं देता है। ऐसा करने वाला व्यक्ति चाहे किसी भी जाति या धर्म का हो उसे दंड मिल सकता है।
Ek hi Tu hai sc/st act, ju sc/st ko safety provide karta hai, woh bhi trouble karta hai. Dushman ka witness kaisai chalaiga. Jab koyee brahman jaati, sc/st kai against crime na kraigai Tu phir fear kis baat ka?