श्री भादवामाता पंचांग कर्ता ज्योतिषाचार्य पंडित भागीरथ जोशी नीमच के द्वारा संचालित चेनल "ज्योतिष समाधान" में पाएंगे व्रत - पर्व का निर्णय, ज्योतिषीय विभिन्न विधाओं की जानकारी, प्रेत क्रिया, नारायण बली, नाग बली विधान आदि अन्य कई जानकारियां अतः चेनल को सब्सक्राइब करे, लाइक करे, घंटी दबाए, अपने परिचितों को शेयर करे ताकि सभी लाभान्वित हो सके। हमारे प्रकाशन :- 1 विश्व सायन लग्न सारिणी, 2 विश्व दिनमान सारिणी, 3 विंशोपकानयनं, 4 भविष्यफल मार्तण्ड, 5 श्री भादवामाता पञ्चाङ्ग 89, आनंद विहार कॉलोनी भोलियावास के पास नीमच मोबाइल नंबर 9424066549 9826114030
@@bhagirathjoshi जन्मभूमि पंचांग मे भारत के नक़्शे मे खगोलीय स्थिति के आधार पर लेख दिया है 1/10 को भारत के पश्चिम भाग जैसे गुजरात मुम्बई महाराष्ट्र राजस्थान के कुछ भाग में अमावस्या प्रदोष काल मे एक घटि से कम है और 31/10 को पूरा प्रदोष काल मिल रहा है
गुरुजी के पावन चरणों में कोटि कोटि नमन । गुरुजी आपसे आग्रह है की त्रिमुहूर्त व्यापनी पर्व , व्रत ,त्योहार , षोडश संस्कार और गणितागत तिथि के पर्व, व्रत , त्योहार ,षोडश संस्कार ( वो भी चैत्र मास के आरंभ से ) के लिए एक मार्गदर्शक वीडियो उपलब्ध कराने की कृपा करे । तथा इस विषय का भी मार्गदर्शन करे की तिथि चाहे साकल्य हो या त्रिमुहूर्त हो या गणितगत पर्व, त्यौहार व्रत, हवन आदि के निर्णय में प्रहर/बेला और नक्षत्रों को कैसे हम आधार मान कर इन सभी मंगल कार्यों को आरंभ कर सकते है । जैसे जन्माष्टमी रामनवमी लक्ष्मी पूजा आदि
गुरु देव माताजी कि प्रतिमा का विसर्जन कब करे। जेसे की 11 तारीख को रात को हवन करने के बाद अगर रात को विसर्जन नही करे और अगले दिन करे तो क्या ये गलत है की सही है मार्ग दर्शन करे। 🙏🏻
दीपावली निर्णय में उदया तिथि कबसे मान्य होने लगी? कुछ विद्याशत्रु उदया तिथि का प्रलाप लेकर आये हैं कि दूसरे दिन उदया में अमावस्या होने से दीपावली होगी। दीपावली का निर्णय शास्त्रों में स्पष्ट है जिस दिन सम्पूर्ण प्रदोषकाल में अमावस्या प्राप्त होगी, दीपावली उसी दिन होगी। 31 अक्टूबर 2024 को दीपावली महापर्व है। 1 की नही है
जोशीजी नमस्कार आप से सादर अनुरोध है कि महालिया श्राद्ध में श्रद्ध न हो पाने की स्थिति में पुनः माता पिता जी का श्राद्ध कब करना उचित होगा कृपया अवश्य ही मार्गदर्शन करने का कष्ट करें धन्यवाद -
पं उमाशंकर शर्मा जी ने बिल्कुल सही कहा है दीपावली के कर्म चतुर्दशी सहित अमावस्या में नहीं किया जा सकता है, प्रतिपदा युक्त अमावस्या ग्राह्य है धर्म शास्त्र की दृष्टि से 1 नवंबर को दीपावली पूजन ज्यादा समीचीन है
@@bhagirathjoshi अर्थात् आयकोदिष्ट व पार्वण ही मध्याह्न तथा अपराह्न काल में करना चाहिए। आश्विन मास के श्राद्ध में तर्पण पूर्वाह्न में करने चाहिए। गुरु जी आपकी वीडियो प्रमाणिक होती हैं इसलिए मैं इनके आधार पर मजबूती से अपनी बात रखता हूं। धन्यवाद गुरु जी। तर्पण पूर्वाह्न में करने का भी शास्त्र प्रमाण होता है क्या।
मान्यवर श्री जोशीजी आपका बहुत बहुत धन्यवाद आप अपनी बात शास्त्र-सम्मत रखते हुए समझाते हैं इसके हेतु में आपको अनेकानेक साधुवाद... हमारे विद्वानजन १४०० + २०० वर्षों से परतन्त्रता मे रहते हुए अपना कर्तव्य व कृतकर्मों को भुला कर सरल पद्धतियों को नाशा के शरणागत गौ-बन्ध प्रायः हो चुके हैं स्वयं को एसा संस्कारित कर बैठै हैं कि उनके आदि कुटुम्बिजनों के संस्कार व संस्कृति पर भी प्रश्नचिह्न लग जाते हैं ईश्वर उन्हें सद्भावना-सद्बुद्धि दें. पुनः सादर प्रणाम अभिवादन 🙏🙏
Guru dev कृष्ण पुस्तक भंडार पर से पहले नीमच से लेते थे वहा भी नही मिलता तो उसके लिए क्या ककरना पड़ेगा, नीमच में ऐसा स्थानबताए जहा हमेशामिलजाए🙏🏻@@bhagirathjoshi