ब्राह्मण वैदिकशिक्षक वेदपठण बहोत खुब ब्राह्मण धर्म सर्वश्रेष्ठ धर्म जय परशुराम ❤🚩सब ब्राह्मण विद्वान पंडितको सादर प्रणाम जय श्री कृष्णा जय श्री कृष्णा राधे राधे जय श्री राम जय श्री हनुमान सनातन संस्कृति की जय हो 🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
वैद्य ब्राह्मण जोकी बंगाल में पाए जाते हैं, इन्हें सारस्वत ब्राह्मण भी कहा जाता है हैं, ये आदि वैद्य धन्वंतरि के वंशज है. सेनगुप्ता, दासगुप्ता जो अत्रि, धन्वंतरि, शक्ति (वशिष्ट मुनि के प्रथम पुत्र शक्ति जो की वैद्य थे) , भारद्वाज, शालंकायन गोत्र के होते हैं, उन्हें वैद्य ब्राह्मण की उपाधि प्राप्त है। इनका कार्य चिकित्सा के द्वारे मानव सेवा , मनुष्य की प्राण रक्षा करना है। हे पुरोहित ब्राह्मण से भिन्न है, जो ब्राह्मण तो है परंतु चिकित्सा कार्य में इनका योगदान था वह आचार्य शुश्रुत, भारद्वाज, अश्विनी कुमार द्वय, धन्वन्तरि इत्यादी वैद्य ब्राह्मण के पूर्व पुरुष है| जिस प्रकार कर्मकांड करने हेतु ब्राह्मण का द्विज होना आवश्यक है उसी प्रकार वैद्य बनने के लिए ब्राह्मणों का आयुर्वेद शास्त्र का उचित ज्ञान अनिवार्य था, इसलिए जिन ब्राह्मणों को आयुर्वेद शास्त्र की उचित जानकारी होती थी उन्हें ही राजवैद्य या कुलवैद्य बनाया जाता था| और उन्हें त्रिज भी कहते थे , आजकल वैद्य ब्राह्मण की उत्पत्ति को लेकर बहुत गलत और अर्थहीन जानकारी लोग देते हैं, कि इनका जन्म ब्राह्मण पिता और अब्राह्मण माता से हुआ था, जोकी पूरी तरह से गलत है , वैद्य शुरू से ही वही ब्राह्मण हुए हैं जिन्हें आयुर्वेद का ज्ञान प्राप्त था, जेसे महर्षि शुश्रुत, भारद्वाज, देवताओ के वैद्य अश्विनी कुमार, धन्वंतरि, अत्रि शक्ति मुनि इत्यादि | बंगाल के सेनगुप्ता, दासगुप्ता, कश्यप गोत्रीय गुप्ता वंशावली इन्ही ऋषियों के वंश में आते हैं, जिन्हे वैद्य ब्राह्मण कहा जाता है | 🙏🌺 archive.org/details/in.ernet.dli.2015.357309/page/n471/mode/1up
Bhautik sujhav suvidha se kam dham dikhava karke man nahin hai aur sharir Manav sharir atma alag hai jo man hai sirf dhan kamane ke liye log Shiksha ka grahan karte hain na ki Dharm kamane ke liye Na ki Dharm ki prachar ke liye chitron ke liye Jay Hind armaanon ka Charitra kitne baje pura Ho usko pura Vaidik Mantra de diya jata hai Lekin Sajjan Ko nahin milta kyunki uske bad dhanyvad
निवेदन किया है कि छठे अध्याय के बाद मे स्वस्ति वाचन का पाठ रिकॉर्ड हुआ है जो कि सबसे अन्त में होना चाहिए यानि पाठ “ऋचंवाचं प्रपद्ये….” के बाद मे। ऊँ नमो भगवते शाम्ब सदा शिवाय नमः
वेद पाठशाला में वेद के साथ आज की जरूरत के हिसाब से भाषा ,गणित ,विज्ञान की पढ़ाई देना जरूरी है। हैदराबाद में एक डीआरडीओ रिटायर्ड गुरु ने एक ऐसी पाठशाला खोली है।
Hamare hjaro great bhgwan bar bar bharat me jnme dunia ke achche manav hindu dhrm me lagatar ate ja rhe h crore europian american russian bhagwat gita ko hindu dhrm shakahar daya mante h ye dhrm barhta jaega koi paida nhi hua jo rok sake
Sanatan dhrm ke rakcha himalaya me mrtyu ko jeet kr tapasya me 3.3hjr yr ke age wale sadhu jo jevot bhagwan h krte h mere pyare amar sanatan dhrm ko dunea ke koe takat chu bhe nhe sakti ye dhrm bhagwan ne khud dhrti pe aakr de gye h.
Guruji ham log pratham sathn shiv ka or shiv ke sath hi nav grah ka sthapan banate hai or dusra sthapan vastu ka or madhysth me jis devi ya dev ka havan ho usika sthapan banate hao or char me yogini ka or panchava ganeshji or sathme matruka ka sthapan banate hai or dakshin me brahamaji or uttar me bhairav ka sthapan banate to kya ye sahi hai ya nahi