हमारे महाराष्ट्र मे ईसे एस आर टी पद्धत बोलते है अगर जमिन केसाथ छेड छाड नही किया तो जो जमिन अंदर जीवानो कि काँलनी रहेती है उसे डिसटप नहि करोगे जो उसमे परचून रहेता है उसे झिंक ओर बायो काँरबन बन जाये गा ऐ दो पोरोडक कहि नहि बनते ऐ नैसरगी रूप धरती मे ही बनाना पडता है ईसे हि कहेते उपजाऊ या जिवित भूमि अगर ईसे छडछाड नहि करोगे बोने के बाद कुछ किये बिना फसल देते रहिगी मै ऐक जैविक किसान हु अकोला महाराष्ट्र से ऐ ठिक किया है आपने ऐक दिन सब किसान भाई को यही करना पडेगा नहि तो कुछ नही बचेगा