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Guru ji Pranam mujhe ye puchna hai ki Agar kewal saptsloki durga ka path karna ho kya tab bhi sapodhar karna padega kuch log kahte hai bina sapodhar ke koi fayda nahi milta
ए चार्ज महोदय कवच के पहले जो सांप विधि है आप उसके बारे में बताइए वह मंत्र क्या है कितना मंत्र का उच्चारण करना चाहिए जिसे जो हम यह 13 अध्याय का पाठ करेंगे तो शराब मुक्त रहेगा वह उपाय बतलाइए
माफ कीजिएगा उच्चारण में श्रापित को सांप कहा गया है और शराब उच्चारण हो गया है वह गलत शब्द है आचार्य महोदय बस आप यह मुझे बता दीजिए कि वह साप विधि क्या है
श्री दुर्गा सप्तशती पाठ की प्रथम विधि जिसके अनुसार नित्य 13 अध्यायों का पाठ किया जाना है , यदि कोई व्यक्ति उक्त विधि से पाठ करता है तो उसे शापोद्धार विधि करनी चाहिए। "ॐ ह्रीं क्लीं श्रीं क्रां क्रीं चंडिकादेव्यै शापनाशानुग्रहं कुरु कुरु स्वाहा" इस मंत्र का संकल्प विधि के पश्चात 7 बार और पाठ पूर्ण करने के बाद 7 बार जप करें। यह शापोद्धार मंत्र है। इसके अतिरिक्त उत्कीलन मंत्र "ॐ श्रीं क्लीं ह्रीं सप्तशति चण्डिके उत्कीलनं कुरु कुरु स्वाहा" का 21-21 बार और मृतसंजीवनी विद्या "ॐ ह्रीं ह्रीं वं वं ऐं ऐं मृतसंजीवनि विद्ये मृतमुत्थापयोत्थापय क्रीं ह्रीं ह्रीं वं स्वाहा" का 7-7 बार आरम्भ और अंत में शापोद्धार मंत्र के पश्चात जप करना चाहिए। उक्त शापोद्धार विधि , दुर्गा सप्तशती पाठ की अन्य विधियों हेतु प्रयोग नहीं की जाती है। वहाँ 6 अंगों (कवच,अर्गला,कीलक, तीनो रहस्य)सहित श्री दुर्गा सप्तशती का पूर्ण पाठ स्वयं में उत्कीलन माना जाता है।
श्री दुर्गा सप्तशती शापित ग्रंथ है ऐसा आरोप पूर्णतया गलत और त्रुटिपूर्ण है। श्री दुर्गा सप्तशती में परम ब्रह्मांडीय ऊर्जा निहित है । उक्त विशिष्ट ऊर्जा का कीलन स्वयं महादेव द्वारा किया गया है ताकि इसका दुष्प्रयोग प्रकृति के विरुद्ध न किया जा सके। कोई भी भक्त अथवा साधक अपने और विश्व के कल्याण के लिए दुर्गा सप्तशती का पाठ कर सकता है।
बिना दीक्षा प्राप्त किये भी श्री दुर्गा सप्तशती का पाठ किया जा सकता है। इसमें कोई दोष नही है। हालांकि यदि दीक्षा के उपरांत पाठ किया जाए तो उसके लाभ में वृद्धि हो जाती है।
श्री दुर्गा सप्तशती में न्यास विधि दी हुई है। पुरुष वर्ग को प्रयास करना चाहिए कि न्यास करके ही पाठ करें। यदि न्यास किन्ही कारणों से नही कर सकते तो पाठ के अंत में क्षमा प्रार्थना अवश्य करें। स्त्री वर्ग को केवल न्यास का उच्चारण मात्र ही करना पर्याप्त है।
@@user-ow6eo5bp4h जो क्रम दिया गया है उसके अनुसार प्रथम दिवस ही कवच,अर्गला और कीलक किया जाना है। यदि आपको नित्य कवच इत्यादि करने में रुचि है तो इस क्रम के अतिरिक्त अलग से किया जा सकता है। पाठ के संकल्प क्रम में कवच इत्यादि का पाठ केवल प्रथम दिवस ही होगा।