The purpose of my this channel is to describe the origin, history and present status of Jats and due to co-existence with other castes, only telling the truth in the discussion of other castes, not keeping any malice, because without other castes the life of Jats is also not relevant, therefore it is not my intention at all to hurt the sentiments of people of any caste. मेरे इस चैनल का उद्देश्य जाटों की उत्पत्ति, इतिहास और वर्तमान स्थिति का वर्णन करना है और अन्य जातियों के साथ सह-अस्तित्व के कारण कोई द्वेष नहीं रखना है, क्योंकि अन्य जातियों के बिना जाटों का जीवन भी प्रासंगिक नहीं है, इसलिए मेरा इरादा किसी भी जाति के लोगों की भावनाओं को ठेस पहुँचाना बिल्कुल भी नहीं है।
मतलब बाहर से आए लोग भारत में आकर सभ्य हो गये और जहां से वे आए वहां मुर्ख के मूर्ख ही रहे और फिर ये गोत्र कहां आ गया,वे तो अपनी बहनों से भी शादी कर लेते हैं माइग्रेशन भारत से हुआ है महाराज
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झूट ,सारा रोला साधनों सम्पति और पद राजनीति पर कब्ज़ा बनाये रखना है और बाक़ी सभी से ख़ुद को उच्च और उन्मे भय क़ायम रखना इसके लिए झूठी वीडियो और गाने कहानीय बनायी जाती है अब भला क्या पता कहा कुछ रिसर्च हुआ या नहीं ये उनके माइंड का गेम है बस
चंद्रवीर, किसी ने तुम जैसे को देखकर ठीक ही कहा है कि जाट के सिर पर खाट। तुम लोग खुद कुछ खातों ही में शादी करते हो और चार पांच बच्चे जिस आदमी से पैदा कर चुकी होती है उससे अपने खसम को राखी बंधवा देते हो । ऐसी कौम को अहीरों और गूजरों से रोटी - बेटी का संबंध क्यों नहीं करते हो ? तुम जाट ब्राह्मणों को अपना दुश्मन मानते हो तो ब्राह्मणों की बात कैसे मान ली ।तुम लोग मेसोपोटामिया के मूल निवासी जाटों को भारत माता की संतान ब्राह्मणों ने अहीरों और गूजरों से कैसे अलग कर दिया ?
पाकिस्तान की तरफ से आने वाले सब आतंकवादी जाट हैं । इन्हें हरियाणा के जाट शरण देकर इनका पुर्नवास करें । उत्तर कोरिया के शासक के पूर्वज खेती करते थे अतः किम जाट है। इब्न ए बतूता और हवेनशांग व फाहियान भी जाट थे ।
डा. साहब, इस समय किसी की कोई नस्ल नहीं है, सब के सब अंग्रेजों, फ्रांसीसियों की नाजायज औलादें हैं। भरतपुर जाट नरेश की सेना का तोपची सिमरौन(समरू) 300 लम्पटों(तड़ीपार) को फ्रांसे लाकर सेना में रखा था। वो वापस थोड़े ना गऐ। यहां अब सभी कंजी आंखों बाले जाट उन्हीं की संतानें हैं...
यह समाज को बांटने का एक और तरीका है। जाट, गुर्जर, राजपूत, यादव हिंदू धर्म का व्यापक हिस्सा हैं। वास्तव में वे सामान्य रूप से योद्धा हैं और उन्होंने हिंदू धर्म को बचाने में मदद की।
जाट चाहें इराक, सीरिया , रोमानिया, साइबेरिया, टूंड्रा, लेबनान कहीं से आए हों लेकिन अपने मूलस्थान के विषय में सबसे भ्रमित नस्ल के लोग हैं जो सद्दाम हुसैन, कर्नल गद्दाफी, ओसामा बिन लादेन और अबूकर अल बगदादी को जाट बता कर उनके देशों में अपनी जड़ें खोजते हैं ।क्या जाट उन देशों की भूमि पर कब्जा करना चाहते हो ? मुसलमानों तो अपने दादा परदादा का देश अरब को मानते हैं ।किन्तु जाट आज तक अपने दादा परदादा का देश खोज रहे हैं और सबसे क्रूर ,जंगली और बर्बर जातियों में अपनी जड़ें खोज ते हैं । हम तो इस भारत भूमि पर इस धरती के जन्म के साथ ही पैदा हुए थे और हम निश्चिंत है ।
Dr Saheb ya to aap kisi jaati ko jyada achi dikhana chahte ho yaa View lene ke liye ese content rakhte ho, agar ap kaat kutai wale doctor ho to genetics me ese kai problem hai jo solve nai ho rahe uspe thoda research karlo,, bole to kuch bhi 😢
Hamne Gujarat ke anjana jat ka dna test kiya 3 sample har sample mien hame R haplogroup mila steppe 40 percentage ke aas pas hai Jo haryana aur UP ke jat ke sath mel khata hai hamne bagri hatyana se nikle hai 900 AD mein
गोंडवाना राज्य के इतिहास में भी जाटव का इतिहास मिलता है जो की यहां के मूलनिवासी हैं ।गोंडवाना के आदि इतिहास में जाटव को बड़ा देव या बड़ा भाई माना जाता है और हरियाणा में भी भैया खेड़ा के या दादा खेड़ा के नाम से आज भी स्थान मिलते हैं और उसकी हर अवसर पर उसकी पूजा की जाती है।ये गोंडी धर्म की पहचान है। जाट,जाटव भारत देश की प्राचीन मूल जाति में से एक है।
JATS kisi ek Dharam ki Jaati nahi hai , ye ek RACE hai, aur sabhi Dharmo ka Aadar kartey hain. Sirf ek JAATI bata kar ,Jats ko Chhotha karne ki koshish hai
जाट असल में बाहर से आए हुए लोग हैं। ये शक हूण पारसी ग्रीक रोमन कुषाण तुर्क अफगानी थे। ये पहले खेती पशुपालन और चोरी डकैती लूट मार करते थे। बाबर और ग़ज़नी ने इन्हें हराया था। उसके बाद मुघलो के वक़्त में जमीन हासिल की और उसके बाद लगभग सभी खेती और फ़ौज़ में लग गए।
आप ब्राह्मण विरोधी मानसिकता से परिपूर्ण हैं। कृपा करके, अगर कर पाए तो ये जान लीजिये की वर्तमान में लगभग १ हफ्ते पहले आपके समुदाय की कई औरतो को पाकिस्तान में सड़क पर नंगा किया गया। ये ब्राह्मणो ने नहीं किया।
शकसम्वत् और शालिवाहनसम्वत् भिन्न हैँ एक नहीँ। शालिवाहनसम्वत् जिसे शकान्तसम्वत् भी कहते हैँ भलेही अब उसे शकसम्वत् समझते हैँ किन्तु दोनोँभिन्न हैँ। शकोँ को सम्राट् विक्रमादित्य ने पराजितकर उन्हेँ शूद्रवर्ण मेँ रख खेतीबाड़ी का काम दिया। पश्चात् विदेश से और शक आए तो उन्हेँ महाराजशालिवाहन ने पराजित किया और शालिवाहनसम्वत् जिसे शकान्तसम्वत् भी कहते हैँ चलाया। शकसम्वत् ५८३ बीसी को प्रारम्भ हुआ था। अब पुनः शक उत्तर मेँ उत्पात मचा रहे हैँ।।
सबकी लड़कियाँ रखैल बनायी गई है मुगलो ने लेकिन उस पर कोई बात नहीं करता मुगलो की तलवारों नई सबको मुसलमान बनाया उस पर कोई बात नहीं गाँड़ वीर जी जाट भी मुसलमान बने गुर्जर भी पंडित भी क्योंकि हमारी गाँड़ फैट गई थी उनसे लड़ने में ये जो जातिवाद का ज़हर भर रहे हो ना ये आने वाली नस्लों को बर्बाद कर देगा
भाई साहब पहले सभी छोटे छोटे कबीले थे यो रोजगार की तलाश में भटकते रहते थे उस समय देशों की हदें नहीं होती थी यो यहां बस गए जगह उस की हो जाती फिर इन्हीं में से जातीय समूह बन गए फिर लोगों ने गोत्र बना लिए जैसे कि पंजाब में रहने वाले पंजाबी खत्री कंबोज जट सैनी तरखान रामगडीया ब्राह्मण में काफी गौत्र आपस में मिलते है वक्त के साथ जाति गोत्र भाषा धर्म रीति-रिवाज सबकुछ बदलता रहता है ये अंतहीन प्रतिक्रिया है इसलिए सब झमेले छोडो इन्सान बनो और मज़े से जिउ जैसे योरोपीय लोग जीते हैं