Samkhya IAS is a premier coaching institute of civil services for general studies and Philosophy optional. We work hard to maintain our quality. Our objective is to provide qualitative and updated teaching facility and study material. This channel's aim is to give right approach for the students to get selected as a civil servant. Our services 1- Philosophy optional (IAS and State PCS) Online & Offline/ Hindi & English Med 2-General Studies (prelims and mains) 3- Ethics 4- UPPCS (PT+Mains) Online & Offline 5-CSAT 6-Interview gu सांख्य IAS सिविल सेवा की तैयारी हेतु एक प्रमुख कोचिंग संस्थान है। यह चैनल उन विद्यार्थियों के लिए समर्पित है जिनमे प्रतिभा तो है किंतु सही मार्गदर्शन के अभाव में वे आईएएस की परीक्षा नही उत्तीर्ण कर पाते। आशा है आप इससे अवश्य लाभान्वित होंगे।
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Brihaspati ji ne Indra ko sabak sikhane ke liye Charwak Darshan diya ...kripya yah bhi sabko batayiye...sath hi Vedant darshan pr bhi kuch prakas daliye.
नारी नर्क का द्वार है किसी चूतिया ने कहा होगा लेकिन मनुस्मृति में लिखा है "यत्र नार्यासु पुज्यंते तत्र रमंते देवता"। मनुस्मृति हिंदू धर्म का defining ग्रंथ है। सनातन धर्म के दुश्मन किसी चूतिया की कही हुई एक लाइन उठा लेंगे और सनातन के पीछे लठ्ठ लेकर पड़ जाएंगे।हिंदू धर्म एक किताब पर आधारित धर्म नहीं है।जितनी किताबें हिंदू धर्म में हैं उतनी दुनिया के सारे धर्मों को मिला कर नहीं होंगी। उपरोक्त लाइन कोट करने वाले ने यह नहीं बताया कि एक किताब आधारित धर्म की किताब में लिखा है कि औरत शैतान की बेटी है। यह हिंदू लिबरांडुओं का दुष्प्रचार है कि चार्वाक (जाबाली) को मारा पीटा गया और उनकी किताबों को जला दिया गया। सनातन धर्म जैसा उदार तो कोई धर्म हो ही नहीं सकता। चार्वाक जिस धर्म को, उसके देवी देवताओं को, वेदों तथा अन्य धार्मिक ग्रंथों को गाली देते थे उसी सनातन धर्म ने उनको महर्षि की उपाधि दी थी। और उसके बदले उन्होंने सनातन धर्म को बदनाम करने के लिए उसके धर्म ग्रंथों को विकृत किया। जैसे यह सर्वमान्य विचार है कि चार्वाक या उनके अनुयायियों ने भगवान राम का चरित्र हनन करने के लिए बाल्मीकि रामायण को विकृत किया, उसमें उत्तर काण्ड जोड़ा। जहां तक चार्वाक दर्शन की किताबों के खत्म हो जाने का सवाल है, चार्वाक का सिद्धांत "यावत जिवेत सुखम् जिवेत ऋणम् कृत्वा घृतम् पिवेत" चोर, उच्चके, लंपटों को तो अच्छा लग सकता है सभ्य समाज को नहीं।चोर उच्चके तो किताबों का जतन करेंगे नहीं। प्रेस तो था नहीं,हाथ से लिख कर किताबें आगे बढ़ाई जाती थीं। वह हुआ नहीं तो नष्ट हो गईं। किताबें जलानें वाले एक किताब के धर्म वाले थे। क्योंकि वह मानते थे कि उनकी एक किताब में दुनिया भर का ज्ञान है। किसी और किताब की जरूरत नहीं। असल में वो डरते थे कि उनके लोगों ने दूसरी किताबें पढ़ीं तो उनकी पोल खुल जाएगी।
Ye philosophy America, Europe ke log leke aage bade aur aaj kitne aage h, India me brahmin ne apni dukan aur apna position strong karne ke liye majority people ko bewakuf banaya, scientific and logical thinking ko aage nahi badne diya, ye philosophy bilkul sahi h, brahmin kisi bhagwan ko bula ke dikhaye agar etna hi Gyan h, kewal bewakuf banate h