मेने गुजरती मे शंकराचार्य पुस्तक लिखा हे ।मायावती आश्रम से मेने स्वामी अपूर्वानंदकी हिंदी मे लिखी पुस्तक खरीदी थी। उसमेसे शंक्राचार्य की बहुत माहिती मिली। उसमेसे जरूरी माहिती मेने लिखी। विश्वहिंदु परिषद ने छपी थी
*अपने अपने दायरे से बाहर निकलें* *एक ' चूहा ' एक कसाई के घर में बिल बना कर रहता था । एक दिन ' चूहे ' ने देखा कि उस कसाई और उसकी पत्नी एक थैले से कुछ निकाल रहे हैं । चूहे ने सोचा कि शायद कुछ खाने का सामान है । उत्सुकतावश देखने पर उसने पाया कि वो एक ' चूहेदानी थी* *खतरा भाँपने पर उस ने पिछवाड़े में जा कर रह रही कबूतर ' को यह बात बताई कि घर में चूहेदानी आ गया है कबूतर ने मजाक उड़ाते हुए कहा कि मुझे क्या ? मुझे कौनसा उस में फँसना है ?* *निराश चूहा ये बात ' मुर्गे को बताने गया । मुर्गे ने खिल्ली उड़ाते हुए कहा जा भाई .. ये मेरी समस्या नहीं है ।* *हताश चूहे ने बाड़े में जा कर ' बकरे ' को ये बात बताई- और बकरा हंसते - हँसते लोटपोट होने लगा ।* *उसी रात चूहेदानी में खटाक की आवाज हुई , जिस में एक जहरीला साँप ' फँस गया था । अंधेरे में उसकी पूँछ को चूहा समझ कर उस कसाई की पत्नी ने उसे निकाला और साँप ने उसे डस लिया । तबीयत बिगड़ने पर उस व्यक्ति ने हकीम को बुलवाया ।* *हकीम ने उसे ' कबूतर ' का सूप पिलाने की सलाह दी । कबूतर अब पतीले में उबल रहा था ।* *खबर सुनकर उस कसाई के कई रिश्तेदार मिलने आ पहुँचे जिनके भोजन प्रबंध हेतु अगले दिन उसी मुर्गे को काटा गया ।* *कुछ दिनों बाद उस कसाई की पत्नी सही हो गयी , तो खुशी में उस व्यक्ति ने कुछ अपने शुभचिंतकों के लिए एक दावत रखी तो ' बकरे ' को काटा गया* *' चूहा ' अब दूर जा चुका था , बहुत दूर ...* *सीख : ■ अगली बार कोई आपको अपनी समस्या बताये और आप को लगे कि ये मेरी समस्या नहीं है , तो रुकिए और दुबारा सोचिये ।* *■एक नागरिक खतरे में है तो पूरा समाज व पूरा देश खतरे में है* *अपने - अपने दायरे से बाहर निकलिये । स्वयं तक सीमित मत रहिये । सामाजिक बनिये समझ लो किस बारे में है ये*WHO एक धोखाधड़ी और आपराधिक संगठन है! इसकी 'महामारी संधि' मानव शरीर को डिजिटल रूप से उपनिवेश बनाने और राष्ट्र की स्वायत्तता को गिरफ्तार करने का प्रयास है।Another man collapsed on live tv. @Covid19vaccinevictimsru-vid.com/video/%D0%B2%D0%B8%D0%B4%D0%B5%D0%BE-so-TT6eflBIh.htmlttps://ru-vid.com/video/%D0%B2%D0%B8%D0%B4%D0%B5%D0%BE-SO-yVHaAlyA.html
आप का बहुत आदर करती हूं, चाणक्य धारवाहिक की बडी प्रशंसक हूं। बस एक बात हमेशा से खटकटी हैं की प्राचीन ग्रंथो में स्त्री को प्रलोभन का साधन क्यो माना जाता हैं? क्या स्त्री मनुष्य नहीं? क्या वह एक उपभोग का साधन हैं?