बेटे आपने बाबा साहब अम्बेडकर और मां रमाई की दुख भरी कहानी पढ़ कर सुनाया साथ में चार बच्चों के हृदय विदारक मृत्यु भी सुनाया इस दुख भरी पीड़ा को उन्होंने सही फिर भी समाज देशहित में उन्होंने समय काटकर महिलाओं के कोडबिल और संविधान जैसे महत्वपूर्ण सारे देशहित में फैशला देकर भारत देश को रहने लायक बनाया। और अपने अंतिम दिन में मृत्यु से पहले हिन्दू धर्म को त्याग कर बौद्ध धम्म अपना कर कहा। मेरे देश वासियों मैं हिन्दू धर्म में पैदा लिया ये मेरे बस के बाहर था। पर मैं हिन्दू धर्म त्याग कर बौद्ध धम्म अपनाउंगा मरुंगा ये मेरे बस में है कहकर मृत्यु को प्राप्त हुआ और देश के गरीबों लचारो को एक वोट का अधिकार देकर सभी को सुखी सम्पन्न से भर दिया। ऐसे थे हमारे भीम बाबा पर आजतक बहुजन समाज अपने अधिकारों को सुरक्षित नही रख पाया हृदय विदारक गाथा गाकर आपने बताया। आप सभी जजों और स्रोताओं को सादर शाधुवाद जय भीम नमो बुद्धाय