स्वयं के गुरू स्वयं हो आत्मा जो परमात्मा का प्रतिबिंब है हमारी वो हमारी गुरू जो सत्य एकमेव सत्य है चैतन्य है गुरू तत्व शुद्ध हो बाह्य दुष्प्रभाव ना हो सद्गुरु का अनुशरण हो सद्गुरू जिनका परमात्मा से योग है और जो योग कराने मे सक्षम हो वो सद्गुरू होते गुरू जो परमात्मा के बारे मे बताये मार्ग-दर्शन करे वो गुरू है सद्गुरू का अनुशरण करे भवसागर Void शुद्ध सन्तुलित हो चित्त शान्त चैतन्य मे लीन हो शुद्ध हो राइट भवसागर गुट ना हो गुटो से Void पकड़ता है सेन्टर वाला और उससे एकादशी रूद्र की पकड़ आती है भवसागर और नाभि जिसके चारो तरफ भवसागर रहता है वो खराब होता है मनोदेहिक रोग होते कैंसर जैसे भवसागर Void शुद्ध रहे गुरू तत्व भी नाभि खराब होती नही तो नाभि खराब तो घर-परिवार गृहस्थ जीवन खराब 😏
Billions of thanks to Shri Mataji for giving us self-realization and showing us the righteous path and keeping us in good health and spirits. Jai Shri Mataji