मर्दानी खेल भारत के महाराष्ट्र प्रान्त का परम्परागत मार्शल आर्ट है। यह मराठों द्वारा सृजित एक शस्त्रों वाली युद्ध कला है। इस परम्परागत कला का अभ्यास मुख्यतः कोल्हापुर में किया जाता है।
यह युद्ध कला महाराष्ट्र के पहाड़ी क्षेत्र के अनुकूल है जहाँ यह उत्पन्न हुयी थी। इसमें तेज गतियाँ शामिल होती हैं। यह कला शस्त्रों विशेषकर तलवारों पर केन्द्रित है। इसमें लाठी-काठी, तलवार-ढाल, दाँडपट्टा आदि हथियारों का अभ्यास शामिल हैं। दोहरी पट्टा तलवार दाँडपट्टा का प्रयोग प्रमुख है। अन्य हथियारों में बाघनख, बिछवा आदि शामिल हैं। अभ्यास करने वाले परम्परागत सफेद-भगवा वेशभूषा पहनते हैं।
इतिहास मर्दानी खेल का विकास १५-१६वीं शताब्दी में मराठा काल (लगभग १६५० से १८५७ तक) में हुआ। महान मराठा राजा छत्रपति शिवाजी ने मुगलों की विशाल सेना का मुकाबला करने के लिये छापामार (गुरिल्ला) युद्ध पद्धति शुरु की। इसी काल में पश्चिम भारत के पहाड़ी जंगलों में छापामार पद्धति से युद्द के लिये इस कला का विकास हुआ। शिवाजी स्वयं शस्त्र युद्ध में निपुण थे जिनमें तलवार, बाघनख, विछवा आदि शामिल थे।
अगदी सोप्या पद्धतीने धोतर कसे नेसावे हे समजाऊन सांगितले आणि छान पद्धतीने धोतर नेसता येईल याचे बारकावेही प्रात्यक्षिकाने करुन दाखवले खूप खूप धन्यवाद गुरुजी 👌
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जय शिवराय सर..🙏🏻🚩 खूप सोप्या आणि सुंदर पद्धतीने प्रशिक्षण देत आहात आपण. मी इंदापूर तालुक्यात आपल्या RU-vid channel वरून प्रशिक्षण घेत आहे आणि माझ्या गावातिल् मुलींना पण प्रशिक्षण देत आहे. आपले खुप खूप धन्यवाद.🙏🏻🚩