दहेज बनाम दायित्व आज के युग का ज्वलंत मुद्दा हो चला है आपका चिंतन मनन सर्वाधिक प्रासंगिकता के घेरे में है समाज कई कुप्रथाऔ को मानने के लिए बाध्य होता है जो समाज को आज पीछे तो धकेलने का काम कर रही है राजशाही के शासनकाल में शुरू हुई दहेज प्रथा ने आज के युग में अंधा अनुकरण का रूप ले लिया है जिससे समुदाय को खोखला ही किया है दहेज और रिश्वत की समानता आपके विकसित विचारों को स्पष्ट करता है दहेज दोनों ने आज तक कई जिंदगी को खत्म कर दिया है यह माना जा सकता है कि दहेज में दी गई वस्तु की कोई लंबी उम्र नहीं होती है यह ओस का पानी होता है जिससे कभी भी प्यास नहीं बुझ सकती है यह जब गणित रूप ले लेता है तो जीवन को खत्म कर देता है यह लॉब की पराकाष्ठा है इसे समाप्त करने के लिए दहेज नहीं देने व लेने की शपथ ली जानी चाहिए यह काम खुद अपने से शुरू करनी चाहिए आए दिन दहेज की सनसनीखेज घटनाएं देखने और सुनने को मिलती है आज का गरीब व्यक्ति मधु कांकरिया के सामाजिक विमर्श थोड़ा और की प्रवृत्ति ने उसे संकटग्रस्त बना दिया है थोड़ा और के चक्कर में वह व्यक्ति शादी में उलउल जुलूखर्च करता है कर्ज लेता है जिसे वापस भर पाना मुश्किल हो जाता है और वह व्यक्ति हसीए पर आ जाता है जिस तरह से रिश्वत अनाज में पड़े कीड़े की तरह हैं वैसा ही दहेज की प्रथ है इसे नष्ट किया जाना समुदाय के लिए आवश्यक है व्यक्ति को दहेज के रूप में बच्चों को शिक्षा दे उसे आत्मनिर्भर बनाएं यह है उसका वास्तविक दहेज होगा जिसके परिणाम भविष्य के लिए उन्नत होंगे हमारे साहित्य चेतन वन युगपुरुष प्रोफेसर रमेश चंद मीणा के प्रयास हमेशा समाज में तब्दीली लाने के लिए रहे हैं समाज की उन्नति के लिए रहे हैं इनके विचार दिमाग को झकझोर करने वाले और परिवर्तन की दिशा की ओर बढ़ने वाला है इनका अधिकतम समय समुदाय के हित चिंतन में ही लगा रहता है यह लगातार समुदाय को रास्ता दिखाने का काम करते हैं उनके प्रयासों को बहुत बहुत साधुवाद जय हिंद जय भारत
इनाम देना जरूरी नहीं है 🙏🙏 लेकिन समाज के हित में विचार रखना जरूरी है हमारा विचार से दहेज लेना वे देना समाज के लिए बहुत बडी चुनौती है दहेज को त्याग करने वाला बहुत बड़ा भामाशाह वे समाजसेवी की पहचान होती है अब हम इस ग्रुप में इंतजार करते हैं की किस भामाशाह का मैसेज पहले आता है जो समाज की बच्ची की शादी में दहेज त्याग कर कन्या लेकर घर आता है जय श्री लिखमीदास जी महाराज की जय🙏🙏
आपका आदिवासी संस्कृति उत्थान का मार्ग प्रशस्त करता है आदिवासी समुदाय क्यों लगातार पिछड़ा जा रहा है उसके लिए क्या कदम उठाए जाने चाहिए उनके लिए प्रेरक है समुदाय को ऊपर उठने के लिए आपके विचार उपयुक्त बन पड़ा है आपके विचार तार्किक वह उन्नत है
भारतीय समाज की हर जाति में दहेज की विडंबना कम और अधिक पाई जाती है। आप अपनी टिप्पणी देकर इस विचार पर बात आगे बढ़ा कर अपनी भूमिका निभाकर अनुगृहीत करेंगे। धन्यवाद
@@rameshchandmeena2111 vigyapan hi hai parantu agar ye celebrity college campus mein aate hai tau unke field ke gyan aur scope ke baare mein bachhon ko jaankari mil sakti hai aur bachhon ka college ke prati rujhan aur roochi bad sakti hai. Parantu sabse badi baat tau ye hai ki jo celebrity stage pe paanv dharne ke laakhon rupaye lete hain wo kisi college mein kuchh rupayon ke liye kyun aayenge. Sir, ye sirf kagzi ghoshnaen hain jinko kabhi amli jama nahin pahnaya ja sakta hai . Padayengen tau aap aur hum aapke shagird hi. Thanks
नमस्ते सर। मैं मंजू कंवर पीएचडी स्कॉलर बनस्थली विद्यापीठ।बहुत बहुत धन्यवाद सर ये पुस्तक मुझे उपलब्ध करवाने के लिए ।उपन्यासों में आदिवासी भारत पुस्तक उन सभी शोधार्थियों के लिए बेहद उपयोगी है जो हिंदी में आदिवासी उपन्यास साहित्य पर शोध कर रहे है।
आपका व्याख्यान आदिवासी शिक्षा चेतन को बढ़ाने वाला है आपके 10 साल पहले के उपन्यास का विश्लेषण सार्थक बन पड़ा है आपने उपन्यास में आदिवासी भारत पर दिया है इसमें राकेश कुमार सिंह का उपन्यास पठार पर कोहरा में बताया गया है कि आदिवासी संस्कृति को शिक्षा से किस प्रकार दूर रखा जा रहा है मेरे B.Ed की सहपाठी रही सुनीता गोगरा के मथाई उपन्यास की चर्चा उपयुक्त है यह आदिवासी लेखिका है आपका उपन्यास कोरा कागज में आदिवासी शिक्षा से संबंधित समांथा का उल्लेख करता है आपका जहरीला सांप का उदाहरण उपयुक्त प्रतीत होता है आदिवासी जनजीवन का यहां पर पूरा लेखा जोखा प्रस्तुत हुआ है यह आदिवासियों को जानने का अच्छा स्रोत है गजली अंधविश्वास से युक्त है उसकी शिक्षा कोसो दूरी है राकेश कुमार सिंह के पहले उपन्यास की चर्चा हुई है हरिराम मीणा के आदिवासी साहित्य के प्रति जागरूकता एक प्रेरणा देती है एक गैर शैक्षिक होते हुए भी साहित्य के प्रति रुचि जग जाहिर होती है उनके धूणी तपे तीर शिक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ाने वाले हैं इन उपन्यासों में आदिवासी चरित्र की रचना हुई है यह उपन्यास शोधकर्ता के लिए अत्यंत उपयोगी है यह उपन्यास पूरी शिद्दत के साथ शिक्षा व्यवस्था पिको पर चोट है आदिवासी क्षेत्र में नहीं तो सड़के पहुंची है नहीं शिक्षा पहुंची है आदिवासी को शिक्षा देना वह अपने स्वार्थ पर कुठाराघात मानते हैं एक शिक्षक को काले पानी के रूप में आदिवासी क्षेत्र में भेजा जाता है लेकिन वह वहां पर पढ़ाई नहीं करवा करके खाली खाना पूर्ति करता है नहीं शिक्षकों को देखा गया है और नहीं छात्रों को लेकिन कागज जो मैं सर्वांगीण शिक्षा मिल गई है जो सोचने लायक और यथार्थ है सर आपका यह कार्यक्रम हमेशा प्रेरणा देने वाले होते हैं धन्यवाद जी
मुक्तिबोध की कविता अंधेरे में कवि ने प्रशासन पत्रकार मीडिया के आमजन के प्रति गैर जिम्मेदार आना रवैया को अभिव्यक्त किया गया है इसमें कई को डर है कि उसे ही शिकार ने बना लिया जावे उसे जुलूस में चोर डकैती का ही करवा नजर आता है कवि अंधेरे में भागता है उसे बहुत होता है कि आम जीवन का भविष्य संकट में है
देश की स्वतंत्रता के काम आए देशभक्तों को याद किया गया उनके बलिदान को याद किया गया उनके संघर्षों की गाथा को गया गया उनकी इसके लिए गांधी जी सुभाष चंद्र बोस भगत सिंह के बलिदान को भूल नहीं जा सकता है इनमें तिलक के व्यक्तित्व की पहचान हुई है
आपका व्याख्यान विश्लेषण प्रदान करने वाला है मुक्तिबोध में प्रभाकर मचावे की कविताओं में समता का बोध होता है दोनों की ही कविताओं में एक प्रकार से उलझन है जीवन में दोहराव महत्व है यह है समाज के अंधेरे पक्ष की ओर हमारा ध्यान खींचती है आपके उद्बोधन से कवि की अंतर विरोधी परवर्ती की जानकारी मिलती है आपके बोलने में आम आदमी की पीड़ा अभिव्यक्त होती है नायक की भाव अभिव्यक्ति स्पष्ट होती है उसके अंदर चल रहे विचारों का कारवां होता है
@@pratibhakiran6678 जी। धन्यवाद जो ओशो को सुन लेगा वह बाबाओं के धर पर क्या लेने जायेगा? वे जो चाहते हैं, लालच और उनकी समस्याओं से मुक्ति के लिए जाते हैं और शिकारी के जाल में होते हैं।
आपने अपने इस लेख में आदिवासी समुदाय के इतिहास वृत्त का सफल संयोजन किया है आदिवासी जल जंगल में जमीन से जुड़ा विश्व परिदृश्य का समुदाय है उन्हें साहित्यकार की दृष्टि से आदिवासी नाम का संबोधन किया है जबकि राजनीतिक लोग उन्हें वनवासी की संज्ञा देते हैं वस्तुत आदिवासी अनुसूचित जनजाति में आता है आदिवासी से डॉक्टर रमेश जी का अभिप्राय किसी जगह विशेष पर कई पीडियो के दौरान किसी एक ही जगह पर निरंतर रूप से रहते हैं उनकी अपनी विशिष्टता होती है उनका अपना विश्वास होता है उनके आदिवासी पृष्ठभूमि के नायक बिरसा मुंडा तात्या भक्ति गोविंद गिरी मोतीलाल तेजावत सिंगी कली आदि ने अपनी मूल संस्कृति को बचाने के लिए संघर्ष किया विस्थापन से आदिवासी समुदाय समस्या ग्रस्त हुआ है दलित और आदिवासी समांतर की पृष्ठभूमि से आते हैं 9 दशक में आदिवासी साहित्यकार आया है जो पाठ्यक्रम की गरिमा भी बनता है उनके संघर्ष की मूल विचारधारा के केंद्र में सामाजिक समानता जिससे उनका संघर्ष मुख्य धारा के समुदाय से होता है
जनसंख्या बढ़ोतरी देश के विकास में सहायक है, किसी देश की साक्षरता दर कम होना उस देश का सबसे बड़ा दुर्भाग्य है। मेरा मानना है की जनसंख्या बढ़ोतरी किसी देश के विकास में बाधक नहीं हो सकते, वादा है तो उसे देश कि साक्षरता दर कम होना युवाओं का बेरोजगार होना, शिक्षा से मोह भंग होना। मैं अपने सभी व्यक्ति अस्वस्थ हूं की जनसंख्या बढ़ोतरी किसी देश के विकास में सहायक है और आगे भी रहेगी। परंतु साथ ही यह भी कहता हूं कि अशिक्षित लोगों के बढ़ जाने से किसी देश का विकास नही हो सकता
बाबाओं का भ्रमजाल कहें या धर्म का धंधा कहें या 'माफियाई रेकेट शिकारी' कहें इनको - जिनके आयोजकों की साजिशों के शिकार बनते रहते हैं अधिकांशत: दलित, आदिवासी व आर्थिक रुप से कमजोर बने रहने वाले OBC समुदाय के सदस्य... तो, इन पाखंडी-व्यभिचारी 'तथाकथित संत-बाबाओं' के आयोजनों के 'आयोजक उर्फ़ ठेकेदार उर्फ़ दलाल' बने होते हैं - धूर्त, मक्कार, दोगली नस्ल के चतुर सुजान उत्पादन ; जैसे राष्ट्रवादिता के मुखौटाधारी देशघाती-देशविनाशी व हर किस्म के अपराधिक कृत्यों में पारंगत एवं हत्यारी व लुटेरी संस्कृति के रक्षक-पोषक बने हुये राजनेताओं के 'दलाल' बने होते हैं... तो, धर्म रक्षा व जन रक्षा के नाम पर दलाल-ठेकेदार आयोजकों के द्वारा आयोजित होने वाले ऐसे धार्मिक व राजनीतिक आयोजनों में इन अंध-भक्तजनों का भरपूर शोषण भी होता रहता है ; जिसमें शोषण के शिकार होने वाले ये अंधभक्त पीड़ितजन ना रो पाते हैं व ना हस पाते हैं और ना ही अन्य किसी से अपने इस शोषण को कह पाते हैं... इसी कटु सत्यता को सहज व सरल शब्दों में पूरी स्पष्टता व तार्कितता के साथ अपने इस वीडियो 'बाबाओं का भ्रमजाल' में व्यक्त किया है - जागरूक वरिष्ठ साहित्यकार व समाज चिंतक प्रोफेसर (डॉ.) रमेश चंद जी मीणा, बून्दी (प्राचार्य, राजकीय महाविद्यालय, हिण्डोली, जिला बून्दी-राज.) ने... जिसके लिये हम इनका आभार व्यक्त करते हैं... - जीनगर दुर्गा शंकर गहलोत, वरिष्ठ नागरिक, कोटा (राज.) (10/07/24 ; 07:50 AM)
आपके द्वारा उम्दा साहित्यिक रचना का विश्लेषण ज्ञान को बढ़ाने वाला है कोई भी आम रचना से बढ़कर सरजीत रचना जिसमें शैली का अनूठा पन हो अनुपम रचना में आती है उसके लिए लिक से हटकर चलना होता है आपने बताया की किन गुना के आधार पर कोई रचना बुकर पुरस्कार प्राप्त करती है नए दरवाजे को खोलती है खाट पर विराजित महिला का उत्तरोत्तर फ्लैट और देश की सीमा से पाकिस्तान में पहुंच पाना उसकी गतिशीलता प्रमाण के रूप में है आपकी कहने की शैली प्रभावकारी है डेजी राक्वेल की रचना को बुकर पुरस्कार प्राप्त होना उनकी क्षमता को बढ़ाना है मेहनत से बढ़कर तरीके पर यहां जोर दिया गया है हम कह सकते हैं कि यह रचना अपने आप में आम रचनाओं से अलग है आपका प्रबौददेना सार्थक है
अपने अपने व्याख्यान में शिक्षा के संपूर्ण इतिहास वृत्त का सुंदर संयोजन किया है जन्म से मृत्यु तक शिक्षा सदैव चलायमान होती है व्यावहारिक तौर पर हम शिक्षा हर पल हर शाम प्राप्त करते रहते हैं लेकिन औपचारिक रूप से शिक्षा विद्यालय महाविद्यालय विश्वविद्यालय के माध्यम से प्राप्त करते हैं प्रकृति की हर वस्तु में अनूठा शिक्षण प्रदान करती है शिक्षा ज्ञान के उत्तरोत्तर विकास और जीवन को सार्थक तरीके से जीने के लिए अति आवश्यक है आपके विचार शिक्षा की दिशा में एक अलख जगत है आपका प्रयास सदा ही समुदाय को मार्ग दिखाने वाला रहा है नैतिक शिक्षा का महत्व अपने बताइए वह भाव का उदाहरण देने वाला है आपने पाठ्यक्रम चयन के विपिन गुर बताएं अपने तकनीकी शिक्षा में किताब शिक्षा के बारे में सुंदर विश्लेषण किया है कुत्ते का उदाहरण तार्किक दिया है शिक्षा सहज होनी चाहिए शिक्षा में तनाव आत्महत्या की ओर ले जाता है शिक्षा में रुचि मेरे दर्शन का महत्व अपने जग जाहिर किया जो मार्गदर्शन देने का कार्यकर्ता है
पशु पक्षी प्रेमी डॉ रमेश चंद मीणा का पक्षी के प्रति प्रेम आत्मीयता के कार्य प्रेरणा वर्ध वर्धकहै बतौर साहित्यकार आपने प्रकृति का जीवनदाई मनोहरी चित्र प्रस्तुत किया है जो आपकी प्रकृति में पशु पक्षी प्रेम को अभिव्यक्त करता है आपका शब्द चयन प्रभावकारी वह आकर्षित करने वाला है लुभाने वाला है धन्यवाद सर जी
आदिवासी जीवन का जलता बस्तर आदिवासियों के प्रति संजना को उजागर करता व्याख्यान है इस कथानक में रघु और इरमाही नायक और नायिका है इस समाज की विसंगति को इसमें उजागर किया गया है आदिवासी दांपत्य को मुख्य करता आपका व्याख्यान है शिकार के लिए बेताब लोगों में संयुक्त झा लगती है गोटूल गांव में उनका समय मिलन में परिचय होता है एक दिन एरिमा नायक बकरी चरती हुई घायल नक्सलवादी से रूबरू होती है वह उसके अनुकरण में आकर नक्सलवाद को अपना लेती है गांव से शहर तक बातें आम हो जाती है इसमें सलवार शिविर का अत्याचार बिम्बित होता है एक दिन इरमा गायब हो जाती है जिसे रघु ढूंढ नहीं पता है उसका पत्रकार मित्र उसको खोजने की कोशिश करता है लेकिन उसे भी सफलता नहीं मिलती है विज्ञान में मुंडिया आदिवासी जीवन दर्शन प्रकट होता है रघु को खबर मिलती है कि इरमा नक्सलबाड़ी के गियर में है वह उससे मिलने के लिए जाता है लेकिन उससे पहले ही पुलिस उसको जाकर दबोच लेती है रघु फिर भी उसे नहीं मिल पाता है नक्सलवाद आदिवासियों की समस्या ही बनता है उनका सहज जीवन दुबर हो जाता है इस तरह से रघु के जीवन में भूचाल आ जाता है जो हमें सदा सावधान रहने की सीख देता है
आपका व्याख्या पर्यावरण चेतना को बढ़ाने वाला है पर्यावरण जीवन में अति आवश्यक क्यों है उसके बारे में स्पष्ट बताया गया है क्रेटा का प्रयास रंग लता है मनुष्य को सब सुख सुविधा चाहिए लेकिन पर्यावरण को अनदेखा करके हम वह सब कुछ नहीं पा सकते हैं पेड़ पौधों के नहीं होने से हमारा जीवन दुर्गम हो जाएगा आने वाली पीडिया संकट मैं हो जाएगी हमारा अपने और समाज के प्रति दायित्व है कि हम पर्यावरण सुरक्षित रखने के लिए अधिक से अधिक पेड़ पौधे लगाए आपका स्पीच हमें पर्यावरण के प्रति निरंतर जागरूकता को बढ़ाने वाला है संकट को बचाने वाला है आज इस चीज की आवश्यकता है वह आपके विचारों से बलवती है जिस समय रहते हमें समझना होगा अधिक से अधिक पेड़ पौधे लगाने होंगे तभी हम अपनी आने वाल के लिए कुछ कर सकते हैं
गांधी जी और हमारा आज मैं आपके विचार इस समय की मांग है गांधी जी के दृष्टिकोण को पाने के लिए हमें गांधी जी के साहित्य को पढ़ना होगा गांधी जी से संबंधित विचार गोष्ठी आयोजित की जानी चाहिए गांधी जी के विचारों को कार्य रूप में वर्णित किया जाना चाहिए सत्य और अहिंसा के उनके साधन आज के समय की मांगे आज के अशांति के दौर में उनकी आवश्यकता महसूस की जा रही है आपके विचारों में गांधी नहीं होना ही सार्थक है इससे मानव मन की भटकाव को एक नई दिशा मिल सकेगी विच अरे गोष्टी से हम एक दूसरे से परिचित हो सकेंगे एक दूसरे के नजदीक आ सकेंगे हमारे विचारों का आदान प्रदान हो सकेगा जो हमारे भविष्य निर्माण के लिए सहायक बन सकेंगे
जीवन में आरोह अवरोह चलता रहता है! मन में उत्साह ताकत भरता है! आपने कर्म शीलता का महत्व जाहिर किया! करत करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान के लाभों के गुणो को बताया ! पुस्तके ज्ञान को बढाती है! पुस्तके सकारात्मकता देते है! व्यक्तित्व निर्माण में सहायक होते है! इससे जीवन में काया कल्प होता है! गरीबी का कारण नकारात्मकता है! कृतज्ञता दिल को सान्त्वना प्रदान करती है। पृकति चमत्कारों से भरी है! ज्ञानीजन ही इसे जान पाते है! वे हमें अनुभव देते है! आपका ज्ञान वर्धक कार्यकर्म प्रेरणा देता है!
बहुत ही शानदार सर......महाविद्यालय के छात्र छात्राओं को प्राचार्य सर जिनके लिए छात्र हित सर्वोपरि है से प्रेरणा लेनी चाहिए ....और शैक्षणिक गतिविधियों के अलावा अशेक्षणिक गतिविधियों में बढ़चढ़कर भाग लेना चाहिए....में सब कुछ कर सकता हूं/सकती हूं की भावना यदि मन और मस्तिष्क दोनो में हो तो कुछ भी असंभव नही हे..... उदाहरण के तोर पर शीतल देवी (भारतीय तीरंदाज) जिसके दोनो बाजू नही होते हुए भी हिम्मत नहीं हारी और ओलंपिक में गोल्ड लेकर आई........
आपका उद्बोधन किशोरो में चेतना का संचार करता है ! वे सही व गलत में निर्णय कर सकेंगे ! आपके बेबाक बोल छात्रों मे सही दिशा में बढ़ने के लिए उपयुक्त है! अपना जीवन बनाने के लिए तैयार होंगे!
आपके विचार जीवन से तालमेल रखने वाले हैं जीवन में दर्शन का ज्ञान अति आवश्यक है इसके लिए अपने चयन की आवश्यकता पर बोल दिया है यूट्यूब में मसाले की परमार है अपने सार्थक जीवन के गुण बताएं हैं जीवन की दशा और दिशा के अच्छा स्पष्ट किया है जीवन रहस्य में है जीवन में कभी भी कुछ हो सकता है घटित हो सकता है के दार्शनिक ओशो के ज्ञान की चेतना चर्चा हुई है लोग संभोग से समाधि तक का विरोध करते हैं लेकिन जिन्होंने इस गहराई से पढ़ा है उनके मैं तो को जान गए हैं साधु पीड़ित होते हुए महिला चिंतन करता है लेकिन उससे मुक्त होकर के ही आध्यात्मिक को पा सकता है ओशो में प्रशांत के विचार अंधविश्वास को दूर करने वाले हैं यह है सही है कि अंतिम सत्य तक कोई नहीं पहुंच पाया है व्यक्ति दर्शन के बारे में जान करके पाखंड से मुक्त हो सकता है आपके विचार पास संगीत और वेलफेयर हैं समाज को नूतन दिशा देने में सहायक है धन्यवाद सर जी
प्रस्तुत पाठ योजना आदिवासी संस्कृति के संपूर्ण इतिहास वृत्त का ज्ञान प्रदान करती है आदिवासियों की मूल संस्कृति देश के लिए उसके विकास के लिए कितनी आवश्यकता थी क्या है इसका स्पष्ट वाचन किया गया है आदिवासी हमारी मूल संस्कृति है जल जंगल और जमीन की दावेदार संस्कृति है हमारे पर्यावरण की सुरक्षित संस्कृति है जिसे विकास के नाम पर विस्थापन के दो से गुजरना पड़ा आज आदिवासी वाहिनी संस्कृति कम होने से हमारे जीवन संजय की ताकत कम होती जा रही है
हमारे महा धनिया महादेव वही नहीं है जो लंगटा बाबा के हैं हमारे आदिवासी असुर औरत की दशा और दिशा प्रतीक मानी गई है याद रहे शब्द है सियानी ने की जननी समझदारी दिए हुए हैं असुर महिला का सेनापन सिंह बंगा की कथा में भी आता है पेड़ पड़कर रोकने की कोशिश करती है भले ही उसकी कीमत अपना रूप बिगाड़ कर भूत चुड़ैल के रूप में देती है शोषण होता है नकली जोरो में गीत गया गया है नजर मिलाई ले मुंशी सांगला सा लगे ले कछिया लोग एक गुलाब औरतों का यौन शोषण गैर आदिवासी करते हैं मशरूम में औरतों की आजादी की लंबी परंपरा रही है लिविंग टुगेदर जब कभी विवाह में देरी या अर्चना आ जाती है तब लड़का लड़की साथ साथ रहना शुरू कर देते हैं शादी की रस्म निभाई पड़ती है कभी-कभी एक ही माधवी में मां बाप शादी करते हैं औरत का शोषण जैसी बीमारी बाहरी देखो की घुसपैठ से आरंभ होती है असुर औरत भी अपवाद नहीं है एक तरफ बुधनी और ललिता है दूसरी तरफ मजबूर आदिवासी महिलाएं हैं जिनका सब तरह से शोषण किया जाता है असुर आदिवासियों का संघर्ष और आदिवासियों के जीने मरने और संघर्ष की कहानी को इस उपन्यास में चित्रित किया गया है कई संस्थाओं के चेहरों से नकाब उतरता नजर आता है लोकतांत्रिक सरकार और लोकतंत्र के चौथे स्तंभ का दावा करने वाली जमीनी सच्चाई से कोसो दूर दिखाई देते हैं सरकार वह मीडिया के लिए जंगल में घटते भेड़िया चिंता का कारण है जबकि आदिवासी उसे बेटी है आदिवासियों द्वारा थाने में धरना प्रदर्शन करने के दौरान पुलिस गोली चल देती है आदिवासियों पर पुलिस कनेक्शन अत्याचार मीडिया के लिए कोई खबर नहीं पत्थर पार्ट में हुए पुलिस मुठभेड़ में 6 नक्सली मारे गए कमांडर बालचंद में शामिल है अंत में इस बात का भी उल्लेख था कि भागते समय नक्सली लस्सी उठा ले गए पुलिस की बच्चों के लिए पैदा नहीं रही इंडिया और पुलिस वालों के लिए किस नीति के तहत नक्सली बना है यह एक बहुत बड़ा सवाल है उपन्यास में अन्य कोई रोचक सामाजिक मानव शास्त्री जानकारियां है वीर वीर रस बिरहा जंगल के अर्थ में ऋग्वेद के प्रारंभ में असुर देवताओं के रूप में चित्रित होते हैं जो अंत तक दानव में बदल जाते हैं रेसिपी आप की खोज और देवताओं की लड़ाई अखाड़ा असुरों का सार्वजनिक पंचायती स्थल होता है या गुरुवार के दिन गांव के बुजुर्ग समझदार सयानी बैठकर घर गांव की समस्याओं पर बतियाते हैं सोम का बाबा अपनी जमीन खदान दलाल को क्यों भेजता है उसका समाधान कालजी कार्यवाही भी वही की जाती है आदिवासी के साथ लोकतंत्र का चौथा स्तंभ मीडिया और पुलिस बिल्कुल भी नहीं है मीडिया नेटवर्क ग्लोबल गांव के देवता के साथ है साबित करनी है अपने हक की लड़ाई लड़ने वाले आदिवासियों पर जलियांवाला कांड कौन जम दिया जाता है सही साबित करने के लिए गरीब गुण को नक्सली घोषित कर देना उनके बाएं हाथ का खेल है की पुलिस हिरासत में दिए बयान को कोर्ट सही नहीं मानती लेकिन जब पुलिस के काहे को मीडिया बिना जांच पड़ताल के अक्षर से लेकर एक बात निश्चित कर डालता है कि लोकतंत्र के नाम पर देश में निश्चित वर्ग का हिट पोषण किया जा रहा है जहां आदिवासी के जहां आदिवासी के लिए किसी तरह का स्थान नहीं बचा है बहुराष्ट्रीय कंपनियां पर्यावरण के खिलाफ है बहुराष्ट्रीय कंपनियों की संविधान के खिलाफ होते हुए भी स्वीकार कर रही है कमजोर आदिवासी की आवाज हर संवाद दवाई जा रही है नीलगिरी पहाड़ी से बॉक्साइट खनन का ठेका वेदांत कंपनी से केंद्र सरकार वापस ले लेती है पर्यावरण
सर आपके आध्यात्मिक विचार ज्ञान को बढ़ाने वाले वे अंधकार को दूर करने वाले हैं आपने ओशो वह आचार्य प्रशांत तथा हनुमान की राम जी के बारे में अनूठा विश्लेषण किया है जो नवीनतम है हमारे ज्ञान का नया स्रोत है यह सभी ज्ञान की उच्च कोटि के बुद्धिजीवी व्यक्ति है आपके खरगोश में शेर का उदाहरण ज्ञान को बढ़ाने वाला है इन सभी का रास्ता ईश्वर की ओर बढ़ना और मुक्ति का प्रयास है हम जानवर की तरह रहकर अभी भी मुक्ति को नहीं प्राप्त कर सकते हैं जहां ओशो अपने दार्शनिक विचार प्रकट करते हैं वही आचार्य प्रशांत वेदांत का प्रचार करते नजर आते हैं इन सब की भावना लोक कल्याण की है अपने अद्भुत तरीके से समझ कर स्पष्ट कर दिया गया है कि वास्तव में ज्ञान क्या है उनका तार्किक जवाब देना हमारी बुद्धि का मार्गदर्शन करना है हमारे दिमाग का अंधकार दूर करना है आप जैसे बुड्ढी जिओ का ज्ञान हमें भटकते हुए मार्ग से बचाता है हम इसे सुनते हैं तो लगता है की लगातार सुनते ही जाए
सामाजिक चेता प्रोफेसर रमेश चंद मीणा का आज की युवाओं भटकने से रोकने का सार्थक प्रयास है आज की कोचिंग संस्थाएं पैसा बनाने की मशीन बन गई है जिसमें लोक कल्याण वह सामाजिक सरोकार की भावना प्राइवेसी हो गई है यहां के हॉस्टल में खाने पीने की प्रयास सुविधा नहीं होती है छात्र लुभाने वाले विज्ञापन देखकर इस मृग मरीचिका में आकर अपने प्राणों का महत्व त्याग देते हैं लेखक ने यहां के वातावरण देश कल का समाज के सामने सच्चा चिट्ठा पेश किया है इनकी भाषा शैली सहज सरल सुबोध है ज्ञानवर्धक है सारण्य है मीणा जी ने बच्चों के मनोवैज्ञानिक विश्लेषण का आभा से किराया है कोचिंग वाले हॉस्टल पर अपनी जिम्मेदारी का पल्ला झाड़ देते हैं जो विद्यार्थियों के दुर्भाग्य का सूचक बनता है एक विद्यार्थी के भविष्य की भूमिका में अभिभावक कोचिंग हॉस्टल मीडिया की सामूहि 27:57 क भूमिका होती है जिसको न कर जाता है अभिभावक बच्चों की पढ़ाई के लिए कर्ज लेकर के उन्हें कोचिंग में भेजते हैं लेकिन बार बार यसफल हो करके जो विद्यार्थी लौटते हैं तो अभिभावक अपना हैं लेते हैं अति और गति की मारी युवा पीढ़ी मौत के को प्राप्त हो रही है जिसे समाज को नहीं सिरे से विचार करना चाहिए लेखक ने आज के युवाओं के तनाव को मानक परिवर्तन करने का सफल प्रयास क्या है उन्होंने धैर्य की शक्ति को एक ब्रह्मास्त्र के रूप में अपने का उद्बोध किया है लेखक की युवाओं के प्रति सेंसटिविटी जग जाहिर होती है
अर्ध सत्य। छात्र की मजबूरी है कोचिंग जाना। स्कूल v कॉलेज में पढ़ाई नही होती, शिक्षक को कोई मतलब नहीं जो शिक्षा वो विद्यार्थी को दे रहा है, उसे विद्यार्थी ग्रहण कर रहा है या नहीं। ग्रहण नहीं कर रहा तो उसका दोष भी विद्यार्थी को । मूल कारण तक कोई जाना ही नहीं चाहता।जब उसे स्कूल v कॉलेज में नॉलेज नही मिलती तब उसकी मजबूरी हो जाती हैं की उसे कोच मिले जो उसे गाइड करे, उसकी शंकाओं, कठिनाइयों का समाधान करे। कोचिंग का सक्सेस होना , उनकी संख्याओं में वृद्धि होना, छात्रों का महंगी फीस देकर join करना हमारी शिक्षण व्यवस्था, स्कूलों, कॉलेज के fail होने का परिचायक हैं।
Prem me ekadhikar ban jata h vahi tanashahi ka roop le leta h . Tab dard dard hi anubhut nahi hota h . apni tanashahi bhali lagti h. Purn tanashahi se prem nast hota h.
कृतज्ञता से शान्ति की अनुभूति होती है। चिन्तन को बल मिलता है । दिल को दिलासा होती है। मैंने मिले गुणो का अनुमोदन किया ऐसे लगता है,। सुभाव निर्मल होता है। धन्यवाद सर ।