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जब पापुलर पत्रकारिता कटघरे में हो तब साहित्यिक पत्रकारिता महत्वपूर्ण हो उठतीं है। इस लघु प्रयास से जुड़ने-देखने-सुनने के लिए धन्यवाद।
Комментарии
@laxmiprakash3851
@laxmiprakash3851 7 часов назад
Sir Rajasthan merwada or mewar ke mer or mev meena ke baare mai bhi detail se btao....
@maneetayadav6393
@maneetayadav6393 День назад
धन्यवाद सर
@KhwahishEkTamanna
@KhwahishEkTamanna День назад
बहुत बहुत धन्यवाद सर "सहराना" उपन्यास की ज्ञानवर्धक समीक्षा के लिए।
@ramkishormali4872
@ramkishormali4872 День назад
दहेज बनाम दायित्व आज के युग का ज्वलंत मुद्दा हो चला है आपका चिंतन मनन सर्वाधिक प्रासंगिकता के घेरे में है समाज कई कुप्रथाऔ को मानने के लिए बाध्य होता है जो समाज को आज पीछे तो धकेलने का काम कर रही है राजशाही के शासनकाल में शुरू हुई दहेज प्रथा ने आज के युग में अंधा अनुकरण का रूप ले लिया है जिससे समुदाय को खोखला ही किया है दहेज और रिश्वत की समानता आपके विकसित विचारों को स्पष्ट करता है दहेज दोनों ने आज तक कई जिंदगी को खत्म कर दिया है यह माना जा सकता है कि दहेज में दी गई वस्तु की कोई लंबी उम्र नहीं होती है यह ओस का पानी होता है जिससे कभी भी प्यास नहीं बुझ सकती है यह जब गणित रूप ले लेता है तो जीवन को खत्म कर देता है यह लॉब की पराकाष्ठा है इसे समाप्त करने के लिए दहेज नहीं देने व लेने की शपथ ली जानी चाहिए यह काम खुद अपने से शुरू करनी चाहिए आए दिन दहेज की सनसनीखेज घटनाएं देखने और सुनने को मिलती है आज का गरीब व्यक्ति मधु कांकरिया के सामाजिक विमर्श थोड़ा और की प्रवृत्ति ने उसे संकटग्रस्त बना दिया है थोड़ा और के चक्कर में वह व्यक्ति शादी में उलउल जुलूखर्च करता है कर्ज लेता है जिसे वापस भर पाना मुश्किल हो जाता है और वह व्यक्ति हसीए पर आ जाता है जिस तरह से रिश्वत अनाज में पड़े कीड़े की तरह हैं वैसा ही दहेज की प्रथ है इसे नष्ट किया जाना समुदाय के लिए आवश्यक है व्यक्ति को दहेज के रूप में बच्चों को शिक्षा दे उसे आत्मनिर्भर बनाएं यह है उसका वास्तविक दहेज होगा जिसके परिणाम भविष्य के लिए उन्नत होंगे हमारे साहित्य चेतन वन युगपुरुष प्रोफेसर रमेश चंद मीणा के प्रयास हमेशा समाज में तब्दीली लाने के लिए रहे हैं समाज की उन्नति के लिए रहे हैं इनके विचार दिमाग को झकझोर करने वाले और परिवर्तन की दिशा की ओर बढ़ने वाला है इनका अधिकतम समय समुदाय के हित चिंतन में ही लगा रहता है यह लगातार समुदाय को रास्ता दिखाने का काम करते हैं उनके प्रयासों को बहुत बहुत साधुवाद जय हिंद जय भारत
@shankarjikibadi6949
@shankarjikibadi6949 2 дня назад
इनाम देना जरूरी नहीं है 🙏🙏 लेकिन समाज के हित में विचार रखना जरूरी है हमारा विचार से दहेज लेना वे देना समाज के लिए बहुत बडी चुनौती है दहेज को त्याग करने वाला बहुत बड़ा भामाशाह वे समाजसेवी की पहचान होती है अब हम इस ग्रुप में इंतजार करते हैं की किस भामाशाह का मैसेज पहले आता है जो समाज की बच्ची की शादी में दहेज त्याग कर कन्या लेकर घर आता है जय श्री लिखमीदास जी महाराज की जय🙏🙏
@ramkishormali4872
@ramkishormali4872 3 дня назад
आपका आदिवासी संस्कृति उत्थान का मार्ग प्रशस्त करता है आदिवासी समुदाय क्यों लगातार पिछड़ा जा रहा है उसके लिए क्या कदम उठाए जाने चाहिए उनके लिए प्रेरक है समुदाय को ऊपर उठने के लिए आपके विचार उपयुक्त बन पड़ा है आपके विचार तार्किक वह उन्नत है
@maneetayadav6393
@maneetayadav6393 3 дня назад
बेहद ही सुंदर आवाज के साथ पठार पर कोहरा उपन्यास की प्रस्तुति लाजवाब
@rameshchandmeena2111
@rameshchandmeena2111 3 дня назад
भारतीय समाज की हर जाति में दहेज की विडंबना कम और अधिक पाई जाती है। आप अपनी टिप्पणी देकर इस विचार पर बात आगे बढ़ा कर अपनी भूमिका निभाकर अनुगृहीत करेंगे। धन्यवाद
@ProfessorParvezEnglishwalaKota
@ProfessorParvezEnglishwalaKota 7 дней назад
Nice Video
@ProfessorParvezEnglishwalaKota
@ProfessorParvezEnglishwalaKota 7 дней назад
Sir, Prof. of Practice mein mera bhi registration hai.
@rameshchandmeena2111
@rameshchandmeena2111 7 дней назад
@@ProfessorParvezEnglishwalaKota कहां है?
@rameshchandmeena2111
@rameshchandmeena2111 7 дней назад
क्या अभिनेता का फेकल्टी के रूप में नाम होना विज्ञापन भर नहीं है?
@ProfessorParvezEnglishwalaKota
@ProfessorParvezEnglishwalaKota 7 дней назад
​means ?@@rameshchandmeena2111
@ProfessorParvezEnglishwalaKota
@ProfessorParvezEnglishwalaKota 7 дней назад
@@rameshchandmeena2111 vigyapan hi hai parantu agar ye celebrity college campus mein aate hai tau unke field ke gyan aur scope ke baare mein bachhon ko jaankari mil sakti hai aur bachhon ka college ke prati rujhan aur roochi bad sakti hai. Parantu sabse badi baat tau ye hai ki jo celebrity stage pe paanv dharne ke laakhon rupaye lete hain wo kisi college mein kuchh rupayon ke liye kyun aayenge. Sir, ye sirf kagzi ghoshnaen hain jinko kabhi amli jama nahin pahnaya ja sakta hai . Padayengen tau aap aur hum aapke shagird hi. Thanks
@KhwahishEkTamanna
@KhwahishEkTamanna 8 дней назад
नमस्ते सर। मैं मंजू कंवर पीएचडी स्कॉलर बनस्थली विद्यापीठ।बहुत बहुत धन्यवाद सर ये पुस्तक मुझे उपलब्ध करवाने के लिए ।उपन्यासों में आदिवासी भारत पुस्तक उन सभी शोधार्थियों के लिए बेहद उपयोगी है जो हिंदी में आदिवासी उपन्यास साहित्य पर शोध कर रहे है।
@rameshchandmeena2111
@rameshchandmeena2111 7 дней назад
@@KhwahishEkTamanna पठार पर कोहरा पर बताएं
@ramkishormali4872
@ramkishormali4872 8 дней назад
आपका व्याख्यान आदिवासी शिक्षा चेतन को बढ़ाने वाला है आपके 10 साल पहले के उपन्यास का विश्लेषण सार्थक बन पड़ा है आपने उपन्यास में आदिवासी भारत पर दिया है इसमें राकेश कुमार सिंह का उपन्यास पठार पर कोहरा में बताया गया है कि आदिवासी संस्कृति को शिक्षा से किस प्रकार दूर रखा जा रहा है मेरे B.Ed की सहपाठी रही सुनीता गोगरा के मथाई उपन्यास की चर्चा उपयुक्त है यह आदिवासी लेखिका है आपका उपन्यास कोरा कागज में आदिवासी शिक्षा से संबंधित समांथा का उल्लेख करता है आपका जहरीला सांप का उदाहरण उपयुक्त प्रतीत होता है आदिवासी जनजीवन का यहां पर पूरा लेखा जोखा प्रस्तुत हुआ है यह आदिवासियों को जानने का अच्छा स्रोत है गजली अंधविश्वास से युक्त है उसकी शिक्षा कोसो दूरी है राकेश कुमार सिंह के पहले उपन्यास की चर्चा हुई है हरिराम मीणा के आदिवासी साहित्य के प्रति जागरूकता एक प्रेरणा देती है एक गैर शैक्षिक होते हुए भी साहित्य के प्रति रुचि जग जाहिर होती है उनके धूणी तपे तीर शिक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ाने वाले हैं इन उपन्यासों में आदिवासी चरित्र की रचना हुई है यह उपन्यास शोधकर्ता के लिए अत्यंत उपयोगी है यह उपन्यास पूरी शिद्दत के साथ शिक्षा व्यवस्था पिको पर चोट है आदिवासी क्षेत्र में नहीं तो सड़के पहुंची है नहीं शिक्षा पहुंची है आदिवासी को शिक्षा देना वह अपने स्वार्थ पर कुठाराघात मानते हैं एक शिक्षक को काले पानी के रूप में आदिवासी क्षेत्र में भेजा जाता है लेकिन वह वहां पर पढ़ाई नहीं करवा करके खाली खाना पूर्ति करता है नहीं शिक्षकों को देखा गया है और नहीं छात्रों को लेकिन कागज जो मैं सर्वांगीण शिक्षा मिल गई है जो सोचने लायक और यथार्थ है सर आपका यह कार्यक्रम हमेशा प्रेरणा देने वाले होते हैं धन्यवाद जी
@sambavillagesnews2198
@sambavillagesnews2198 8 дней назад
🎉🎉🎉
@amitkumarnama4632
@amitkumarnama4632 9 дней назад
बूंदी का क्षेत्रफल बड़ने की जगह घटा है , धारीवाल और पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के फैसलों के कारण
@ramkishormali4872
@ramkishormali4872 9 дней назад
मुक्तिबोध की कविता अंधेरे में कवि ने प्रशासन पत्रकार मीडिया के आमजन के प्रति गैर जिम्मेदार आना रवैया को अभिव्यक्त किया गया है इसमें कई को डर है कि उसे ही शिकार ने बना लिया जावे उसे जुलूस में चोर डकैती का ही करवा नजर आता है कवि अंधेरे में भागता है उसे बहुत होता है कि आम जीवन का भविष्य संकट में है
@ramkishormali4872
@ramkishormali4872 9 дней назад
कविता मे
@ramkishormali4872
@ramkishormali4872 9 дней назад
देश की स्वतंत्रता के काम आए देशभक्तों को याद किया गया उनके बलिदान को याद किया गया उनके संघर्षों की गाथा को गया गया उनकी इसके लिए गांधी जी सुभाष चंद्र बोस भगत सिंह के बलिदान को भूल नहीं जा सकता है इनमें तिलक के व्यक्तित्व की पहचान हुई है
@ramkishormali4872
@ramkishormali4872 9 дней назад
आपका व्याख्यान विश्लेषण प्रदान करने वाला है मुक्तिबोध में प्रभाकर मचावे की कविताओं में समता का बोध होता है दोनों की ही कविताओं में एक प्रकार से उलझन है जीवन में दोहराव महत्व है यह है समाज के अंधेरे पक्ष की ओर हमारा ध्यान खींचती है आपके उद्बोधन से कवि की अंतर विरोधी परवर्ती की जानकारी मिलती है आपके बोलने में आम आदमी की पीड़ा अभिव्यक्त होती है नायक की भाव अभिव्यक्ति स्पष्ट होती है उसके अंदर चल रहे विचारों का कारवां होता है
@pratibhakiran6678
@pratibhakiran6678 10 дней назад
ओशो को पढ़ ले तो फिर बाबा ही क्या ख़ुद की भी ज़रूरत नहीं होती ,what osho is when you read or listen him then you know …
@rameshchandmeena2111
@rameshchandmeena2111 10 дней назад
@@pratibhakiran6678 जी। धन्यवाद जो ओशो को सुन लेगा वह बाबाओं के धर पर क्या लेने जायेगा? वे जो चाहते हैं, लालच और उनकी समस्याओं से मुक्ति के लिए जाते हैं और शिकारी के जाल में होते हैं।
@rcmeena8728
@rcmeena8728 13 дней назад
Excellent 👌🌹
@ramkishormali4872
@ramkishormali4872 14 дней назад
आपने अपने इस लेख में आदिवासी समुदाय के इतिहास वृत्त का सफल संयोजन किया है आदिवासी जल जंगल में जमीन से जुड़ा विश्व परिदृश्य का समुदाय है उन्हें साहित्यकार की दृष्टि से आदिवासी नाम का संबोधन किया है जबकि राजनीतिक लोग उन्हें वनवासी की संज्ञा देते हैं वस्तुत आदिवासी अनुसूचित जनजाति में आता है आदिवासी से डॉक्टर रमेश जी का अभिप्राय किसी जगह विशेष पर कई पीडियो के दौरान किसी एक ही जगह पर निरंतर रूप से रहते हैं उनकी अपनी विशिष्टता होती है उनका अपना विश्वास होता है उनके आदिवासी पृष्ठभूमि के नायक बिरसा मुंडा तात्या भक्ति गोविंद गिरी मोतीलाल तेजावत सिंगी कली आदि ने अपनी मूल संस्कृति को बचाने के लिए संघर्ष किया विस्थापन से आदिवासी समुदाय समस्या ग्रस्त हुआ है दलित और आदिवासी समांतर की पृष्ठभूमि से आते हैं 9 दशक में आदिवासी साहित्यकार आया है जो पाठ्यक्रम की गरिमा भी बनता है उनके संघर्ष की मूल विचारधारा के केंद्र में सामाजिक समानता जिससे उनका संघर्ष मुख्य धारा के समुदाय से होता है
@arpitsolanki09
@arpitsolanki09 14 дней назад
जनसंख्या बढ़ोतरी देश के विकास में सहायक है, किसी देश की साक्षरता दर कम होना उस देश का सबसे बड़ा दुर्भाग्य है। मेरा मानना है की जनसंख्या बढ़ोतरी किसी देश के विकास में बाधक नहीं हो सकते, वादा है तो उसे देश कि साक्षरता दर कम होना युवाओं का बेरोजगार होना, शिक्षा से मोह भंग होना। मैं अपने सभी व्यक्ति अस्वस्थ हूं की जनसंख्या बढ़ोतरी किसी देश के विकास में सहायक है और आगे भी रहेगी। परंतु साथ ही यह भी कहता हूं कि अशिक्षित लोगों के बढ़ जाने से किसी देश का विकास नही हो सकता
@mahimavlog213
@mahimavlog213 14 дней назад
Old is 🥇 gold❤🎉
@durgashankargahlot9922
@durgashankargahlot9922 14 дней назад
बाबाओं का भ्रमजाल कहें या धर्म का धंधा कहें या 'माफियाई रेकेट शिकारी' कहें इनको - जिनके आयोजकों की साजिशों के शिकार बनते रहते हैं अधिकांशत: दलित, आदिवासी व आर्थिक रुप से कमजोर बने रहने वाले OBC समुदाय के सदस्य... तो, इन पाखंडी-व्यभिचारी 'तथाकथित संत-बाबाओं' के आयोजनों के 'आयोजक उर्फ़ ठेकेदार उर्फ़ दलाल' बने होते हैं - धूर्त, मक्कार, दोगली नस्ल के चतुर सुजान उत्पादन ; जैसे राष्ट्रवादिता के मुखौटाधारी देशघाती-देशविनाशी व हर किस्म के अपराधिक कृत्यों में पारंगत एवं हत्यारी व लुटेरी संस्कृति के रक्षक-पोषक बने हुये राजनेताओं के 'दलाल' बने होते हैं... तो, धर्म रक्षा व जन रक्षा के नाम पर दलाल-ठेकेदार आयोजकों के द्वारा आयोजित होने वाले ऐसे धार्मिक व राजनीतिक आयोजनों में इन अंध-भक्तजनों का भरपूर शोषण भी होता रहता है ; जिसमें शोषण के शिकार होने वाले ये अंधभक्त पीड़ितजन ना रो पाते हैं व ना हस पाते हैं और ना ही अन्य किसी से अपने इस शोषण को कह पाते हैं... इसी कटु सत्यता को सहज व सरल शब्दों में पूरी स्पष्टता व तार्कितता के साथ अपने इस वीडियो 'बाबाओं का भ्रमजाल' में व्यक्त किया है - जागरूक वरिष्ठ साहित्यकार व समाज चिंतक प्रोफेसर (डॉ.) रमेश चंद जी मीणा, बून्दी (प्राचार्य, राजकीय महाविद्यालय, हिण्डोली, जिला बून्दी-राज.) ने... जिसके लिये हम इनका आभार व्यक्त करते हैं... - जीनगर दुर्गा शंकर गहलोत, वरिष्ठ नागरिक, कोटा (राज.) (10/07/24 ; 07:50 AM)
@ramkishormali4872
@ramkishormali4872 15 дней назад
आपके द्वारा उम्दा साहित्यिक रचना का विश्लेषण ज्ञान को बढ़ाने वाला है कोई भी आम रचना से बढ़कर सरजीत रचना जिसमें शैली का अनूठा पन हो अनुपम रचना में आती है उसके लिए लिक से हटकर चलना होता है आपने बताया की किन गुना के आधार पर कोई रचना बुकर पुरस्कार प्राप्त करती है नए दरवाजे को खोलती है खाट पर विराजित महिला का उत्तरोत्तर फ्लैट और देश की सीमा से पाकिस्तान में पहुंच पाना उसकी गतिशीलता प्रमाण के रूप में है आपकी कहने की शैली प्रभावकारी है डेजी राक्वेल की रचना को बुकर पुरस्कार प्राप्त होना उनकी क्षमता को बढ़ाना है मेहनत से बढ़कर तरीके पर यहां जोर दिया गया है हम कह सकते हैं कि यह रचना अपने आप में आम रचनाओं से अलग है आपका प्रबौददेना सार्थक है
@ramkishormali4872
@ramkishormali4872 16 дней назад
अपने अपने व्याख्यान में शिक्षा के संपूर्ण इतिहास वृत्त का सुंदर संयोजन किया है जन्म से मृत्यु तक शिक्षा सदैव चलायमान होती है व्यावहारिक तौर पर हम शिक्षा हर पल हर शाम प्राप्त करते रहते हैं लेकिन औपचारिक रूप से शिक्षा विद्यालय महाविद्यालय विश्वविद्यालय के माध्यम से प्राप्त करते हैं प्रकृति की हर वस्तु में अनूठा शिक्षण प्रदान करती है शिक्षा ज्ञान के उत्तरोत्तर विकास और जीवन को सार्थक तरीके से जीने के लिए अति आवश्यक है आपके विचार शिक्षा की दिशा में एक अलख जगत है आपका प्रयास सदा ही समुदाय को मार्ग दिखाने वाला रहा है नैतिक शिक्षा का महत्व अपने बताइए वह भाव का उदाहरण देने वाला है आपने पाठ्यक्रम चयन के विपिन गुर बताएं अपने तकनीकी शिक्षा में किताब शिक्षा के बारे में सुंदर विश्लेषण किया है कुत्ते का उदाहरण तार्किक दिया है शिक्षा सहज होनी चाहिए शिक्षा में तनाव आत्महत्या की ओर ले जाता है शिक्षा में रुचि मेरे दर्शन का महत्व अपने जग जाहिर किया जो मार्गदर्शन देने का कार्यकर्ता है
@ramkishormali4872
@ramkishormali4872 16 дней назад
पशु पक्षी प्रेमी डॉ रमेश चंद मीणा का पक्षी के प्रति प्रेम आत्मीयता के कार्य प्रेरणा वर्ध वर्धकहै बतौर साहित्यकार आपने प्रकृति का जीवनदाई मनोहरी चित्र प्रस्तुत किया है जो आपकी प्रकृति में पशु पक्षी प्रेम को अभिव्यक्त करता है आपका शब्द चयन प्रभावकारी वह आकर्षित करने वाला है लुभाने वाला है धन्यवाद सर जी
@ramkishormali4872
@ramkishormali4872 17 дней назад
आदिवासी जीवन का जलता बस्तर आदिवासियों के प्रति संजना को उजागर करता व्याख्यान है इस कथानक में रघु और इरमाही नायक और नायिका है इस समाज की विसंगति को इसमें उजागर किया गया है आदिवासी दांपत्य को मुख्य करता आपका व्याख्यान है शिकार के लिए बेताब लोगों में संयुक्त झा लगती है गोटूल गांव में उनका समय मिलन में परिचय होता है एक दिन एरिमा नायक बकरी चरती हुई घायल नक्सलवादी से रूबरू होती है वह उसके अनुकरण में आकर नक्सलवाद को अपना लेती है गांव से शहर तक बातें आम हो जाती है इसमें सलवार शिविर का अत्याचार बिम्बित होता है एक दिन इरमा गायब हो जाती है जिसे रघु ढूंढ नहीं पता है उसका पत्रकार मित्र उसको खोजने की कोशिश करता है लेकिन उसे भी सफलता नहीं मिलती है विज्ञान में मुंडिया आदिवासी जीवन दर्शन प्रकट होता है रघु को खबर मिलती है कि इरमा नक्सलबाड़ी के गियर में है वह उससे मिलने के लिए जाता है लेकिन उससे पहले ही पुलिस उसको जाकर दबोच लेती है रघु फिर भी उसे नहीं मिल पाता है नक्सलवाद आदिवासियों की समस्या ही बनता है उनका सहज जीवन दुबर हो जाता है इस तरह से रघु के जीवन में भूचाल आ जाता है जो हमें सदा सावधान रहने की सीख देता है
@ramkishormali4872
@ramkishormali4872 20 дней назад
आपका व्याख्या पर्यावरण चेतना को बढ़ाने वाला है पर्यावरण जीवन में अति आवश्यक क्यों है उसके बारे में स्पष्ट बताया गया है क्रेटा का प्रयास रंग लता है मनुष्य को सब सुख सुविधा चाहिए लेकिन पर्यावरण को अनदेखा करके हम वह सब कुछ नहीं पा सकते हैं पेड़ पौधों के नहीं होने से हमारा जीवन दुर्गम हो जाएगा आने वाली पीडिया संकट मैं हो जाएगी हमारा अपने और समाज के प्रति दायित्व है कि हम पर्यावरण सुरक्षित रखने के लिए अधिक से अधिक पेड़ पौधे लगाए आपका स्पीच हमें पर्यावरण के प्रति निरंतर जागरूकता को बढ़ाने वाला है संकट को बचाने वाला है आज इस चीज की आवश्यकता है वह आपके विचारों से बलवती है जिस समय रहते हमें समझना होगा अधिक से अधिक पेड़ पौधे लगाने होंगे तभी हम अपनी आने वाल के लिए कुछ कर सकते हैं
@ramkishormali4872
@ramkishormali4872 21 день назад
गांधी मयी होना सार्थक है
@ramkishormali4872
@ramkishormali4872 21 день назад
गांधी जी और हमारा आज मैं आपके विचार इस समय की मांग है गांधी जी के दृष्टिकोण को पाने के लिए हमें गांधी जी के साहित्य को पढ़ना होगा गांधी जी से संबंधित विचार गोष्ठी आयोजित की जानी चाहिए गांधी जी के विचारों को कार्य रूप में वर्णित किया जाना चाहिए सत्य और अहिंसा के उनके साधन आज के समय की मांगे आज के अशांति के दौर में उनकी आवश्यकता महसूस की जा रही है आपके विचारों में गांधी नहीं होना ही सार्थक है इससे मानव मन की भटकाव को एक नई दिशा मिल सकेगी विच अरे गोष्टी से हम एक दूसरे से परिचित हो सकेंगे एक दूसरे के नजदीक आ सकेंगे हमारे विचारों का आदान प्रदान हो सकेगा जो हमारे भविष्य निर्माण के लिए सहायक बन सकेंगे
@ramkishormali4872
@ramkishormali4872 22 дня назад
जीवन में आरोह अवरोह चलता रहता है! मन में उत्साह ताकत भरता है! आपने कर्म शीलता का महत्व जाहिर किया! करत करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान के लाभों के गुणो को बताया ! पुस्तके ज्ञान को बढाती है! पुस्तके सकारात्मकता देते है! व्यक्तित्व निर्माण में सहायक होते है! इससे जीवन में काया कल्प होता है! गरीबी का कारण नकारात्मकता है! कृतज्ञता दिल को सान्त्वना प्रदान करती है। पृकति चमत्कारों से भरी है! ज्ञानीजन ही इसे जान पाते है! वे हमें अनुभव देते है! आपका ज्ञान वर्धक कार्यकर्म प्रेरणा देता है!
@Dr.ShashiKantbairwa
@Dr.ShashiKantbairwa 22 дня назад
बहुत ही शानदार सर......महाविद्यालय के छात्र छात्राओं को प्राचार्य सर जिनके लिए छात्र हित सर्वोपरि है से प्रेरणा लेनी चाहिए ....और शैक्षणिक गतिविधियों के अलावा अशेक्षणिक गतिविधियों में बढ़चढ़कर भाग लेना चाहिए....में सब कुछ कर सकता हूं/सकती हूं की भावना यदि मन और मस्तिष्क दोनो में हो तो कुछ भी असंभव नही हे..... उदाहरण के तोर पर शीतल देवी (भारतीय तीरंदाज) जिसके दोनो बाजू नही होते हुए भी हिम्मत नहीं हारी और ओलंपिक में गोल्ड लेकर आई........
@rajbohare
@rajbohare 22 дня назад
आपका चिन्तन ग़ज़ब
@ramkishormali4872
@ramkishormali4872 23 дня назад
आपका उद्बोधन किशोरो में चेतना का संचार करता है ! वे सही व गलत में निर्णय कर सकेंगे ! आपके बेबाक बोल छात्रों मे सही दिशा में बढ़ने के लिए उपयुक्त है! अपना जीवन बनाने के लिए तैयार होंगे!
@4ukailash
@4ukailash 24 дня назад
Acharya Prashant Ji ko naman🙏🙏🙏🙏🙏
@ramkishormali4872
@ramkishormali4872 24 дня назад
Very Nice workshop program. Thanks to new knowledge give us
@ramkishormali4872
@ramkishormali4872 24 дня назад
आपके विचार जीवन से तालमेल रखने वाले हैं जीवन में दर्शन का ज्ञान अति आवश्यक है इसके लिए अपने चयन की आवश्यकता पर बोल दिया है यूट्यूब में मसाले की परमार है अपने सार्थक जीवन के गुण बताएं हैं जीवन की दशा और दिशा के अच्छा स्पष्ट किया है जीवन रहस्य में है जीवन में कभी भी कुछ हो सकता है घटित हो सकता है के दार्शनिक ओशो के ज्ञान की चेतना चर्चा हुई है लोग संभोग से समाधि तक का विरोध करते हैं लेकिन जिन्होंने इस गहराई से पढ़ा है उनके मैं तो को जान गए हैं साधु पीड़ित होते हुए महिला चिंतन करता है लेकिन उससे मुक्त होकर के ही आध्यात्मिक को पा सकता है ओशो में प्रशांत के विचार अंधविश्वास को दूर करने वाले हैं यह है सही है कि अंतिम सत्य तक कोई नहीं पहुंच पाया है व्यक्ति दर्शन के बारे में जान करके पाखंड से मुक्त हो सकता है आपके विचार पास संगीत और वेलफेयर हैं समाज को नूतन दिशा देने में सहायक है धन्यवाद सर जी
@gajendrakumartasiwal3166
@gajendrakumartasiwal3166 24 дня назад
Gratitude most important part of success
@rameshchandmeena2111
@rameshchandmeena2111 24 дня назад
दार्शनिक, विचारक, चिंतक और पत्रकार एक उदाहरण के बतौर कि ये किस तरह अपनी भूमिका जनसामान्य के प्रति निभाते हैं? जानकर समझकर टिप्पणी करें। धन्यवाद
@ramkishormali4872
@ramkishormali4872 24 дня назад
प्रस्तुत पाठ योजना आदिवासी संस्कृति के संपूर्ण इतिहास वृत्त का ज्ञान प्रदान करती है आदिवासियों की मूल संस्कृति देश के लिए उसके विकास के लिए कितनी आवश्यकता थी क्या है इसका स्पष्ट वाचन किया गया है आदिवासी हमारी मूल संस्कृति है जल जंगल और जमीन की दावेदार संस्कृति है हमारे पर्यावरण की सुरक्षित संस्कृति है जिसे विकास के नाम पर विस्थापन के दो से गुजरना पड़ा आज आदिवासी वाहिनी संस्कृति कम होने से हमारे जीवन संजय की ताकत कम होती जा रही है
@ramkishormali4872
@ramkishormali4872 25 дней назад
हमारे महा धनिया महादेव वही नहीं है जो लंगटा बाबा के हैं हमारे आदिवासी असुर औरत की दशा और दिशा प्रतीक मानी गई है याद रहे शब्द है सियानी ने की जननी समझदारी दिए हुए हैं असुर महिला का सेनापन सिंह बंगा की कथा में भी आता है पेड़ पड़कर रोकने की कोशिश करती है भले ही उसकी कीमत अपना रूप बिगाड़ कर भूत चुड़ैल के रूप में देती है शोषण होता है नकली जोरो में गीत गया गया है नजर मिलाई ले मुंशी सांगला सा लगे ले कछिया लोग एक गुलाब औरतों का यौन शोषण गैर आदिवासी करते हैं मशरूम में औरतों की आजादी की लंबी परंपरा रही है लिविंग टुगेदर जब कभी विवाह में देरी या अर्चना आ जाती है तब लड़का लड़की साथ साथ रहना शुरू कर देते हैं शादी की रस्म निभाई पड़ती है कभी-कभी एक ही माधवी में मां बाप शादी करते हैं औरत का शोषण जैसी बीमारी बाहरी देखो की घुसपैठ से आरंभ होती है असुर औरत भी अपवाद नहीं है एक तरफ बुधनी और ललिता है दूसरी तरफ मजबूर आदिवासी महिलाएं हैं जिनका सब तरह से शोषण किया जाता है असुर आदिवासियों का संघर्ष और आदिवासियों के जीने मरने और संघर्ष की कहानी को इस उपन्यास में चित्रित किया गया है कई संस्थाओं के चेहरों से नकाब उतरता नजर आता है लोकतांत्रिक सरकार और लोकतंत्र के चौथे स्तंभ का दावा करने वाली जमीनी सच्चाई से कोसो दूर दिखाई देते हैं सरकार वह मीडिया के लिए जंगल में घटते भेड़िया चिंता का कारण है जबकि आदिवासी उसे बेटी है आदिवासियों द्वारा थाने में धरना प्रदर्शन करने के दौरान पुलिस गोली चल देती है आदिवासियों पर पुलिस कनेक्शन अत्याचार मीडिया के लिए कोई खबर नहीं पत्थर पार्ट में हुए पुलिस मुठभेड़ में 6 नक्सली मारे गए कमांडर बालचंद में शामिल है अंत में इस बात का भी उल्लेख था कि भागते समय नक्सली लस्सी उठा ले गए पुलिस की बच्चों के लिए पैदा नहीं रही इंडिया और पुलिस वालों के लिए किस नीति के तहत नक्सली बना है यह एक बहुत बड़ा सवाल है उपन्यास में अन्य कोई रोचक सामाजिक मानव शास्त्री जानकारियां है वीर वीर रस बिरहा जंगल के अर्थ में ऋग्वेद के प्रारंभ में असुर देवताओं के रूप में चित्रित होते हैं जो अंत तक दानव में बदल जाते हैं रेसिपी आप की खोज और देवताओं की लड़ाई अखाड़ा असुरों का सार्वजनिक पंचायती स्थल होता है या गुरुवार के दिन गांव के बुजुर्ग समझदार सयानी बैठकर घर गांव की समस्याओं पर बतियाते हैं सोम का बाबा अपनी जमीन खदान दलाल को क्यों भेजता है उसका समाधान कालजी कार्यवाही भी वही की जाती है आदिवासी के साथ लोकतंत्र का चौथा स्तंभ मीडिया और पुलिस बिल्कुल भी नहीं है मीडिया नेटवर्क ग्लोबल गांव के देवता के साथ है साबित करनी है अपने हक की लड़ाई लड़ने वाले आदिवासियों पर जलियांवाला कांड कौन जम दिया जाता है सही साबित करने के लिए गरीब गुण को नक्सली घोषित कर देना उनके बाएं हाथ का खेल है की पुलिस हिरासत में दिए बयान को कोर्ट सही नहीं मानती लेकिन जब पुलिस के काहे को मीडिया बिना जांच पड़ताल के अक्षर से लेकर एक बात निश्चित कर डालता है कि लोकतंत्र के नाम पर देश में निश्चित वर्ग का हिट पोषण किया जा रहा है जहां आदिवासी के जहां आदिवासी के लिए किसी तरह का स्थान नहीं बचा है बहुराष्ट्रीय कंपनियां पर्यावरण के खिलाफ है बहुराष्ट्रीय कंपनियों की संविधान के खिलाफ होते हुए भी स्वीकार कर रही है कमजोर आदिवासी की आवाज हर संवाद दवाई जा रही है नीलगिरी पहाड़ी से बॉक्साइट खनन का ठेका वेदांत कंपनी से केंद्र सरकार वापस ले लेती है पर्यावरण
@ramkishormali4872
@ramkishormali4872 25 дней назад
सर आपके आध्यात्मिक विचार ज्ञान को बढ़ाने वाले वे अंधकार को दूर करने वाले हैं आपने ओशो वह आचार्य प्रशांत तथा हनुमान की राम जी के बारे में अनूठा विश्लेषण किया है जो नवीनतम है हमारे ज्ञान का नया स्रोत है यह सभी ज्ञान की उच्च कोटि के बुद्धिजीवी व्यक्ति है आपके खरगोश में शेर का उदाहरण ज्ञान को बढ़ाने वाला है इन सभी का रास्ता ईश्वर की ओर बढ़ना और मुक्ति का प्रयास है हम जानवर की तरह रहकर अभी भी मुक्ति को नहीं प्राप्त कर सकते हैं जहां ओशो अपने दार्शनिक विचार प्रकट करते हैं वही आचार्य प्रशांत वेदांत का प्रचार करते नजर आते हैं इन सब की भावना लोक कल्याण की है अपने अद्भुत तरीके से समझ कर स्पष्ट कर दिया गया है कि वास्तव में ज्ञान क्या है उनका तार्किक जवाब देना हमारी बुद्धि का मार्गदर्शन करना है हमारे दिमाग का अंधकार दूर करना है आप जैसे बुड्ढी जिओ का ज्ञान हमें भटकते हुए मार्ग से बचाता है हम इसे सुनते हैं तो लगता है की लगातार सुनते ही जाए
@ramkishormali4872
@ramkishormali4872 25 дней назад
सामाजिक चेता प्रोफेसर रमेश चंद मीणा का आज की युवाओं भटकने से रोकने का सार्थक प्रयास है आज की कोचिंग संस्थाएं पैसा बनाने की मशीन बन गई है जिसमें लोक कल्याण वह सामाजिक सरोकार की भावना प्राइवेसी हो गई है यहां के हॉस्टल में खाने पीने की प्रयास सुविधा नहीं होती है छात्र लुभाने वाले विज्ञापन देखकर इस मृग मरीचिका में आकर अपने प्राणों का महत्व त्याग देते हैं लेखक ने यहां के वातावरण देश कल का समाज के सामने सच्चा चिट्ठा पेश किया है इनकी भाषा शैली सहज सरल सुबोध है ज्ञानवर्धक है सारण्य है मीणा जी ने बच्चों के मनोवैज्ञानिक विश्लेषण का आभा से किराया है कोचिंग वाले हॉस्टल पर अपनी जिम्मेदारी का पल्ला झाड़ देते हैं जो विद्यार्थियों के दुर्भाग्य का सूचक बनता है एक विद्यार्थी के भविष्य की भूमिका में अभिभावक कोचिंग हॉस्टल मीडिया की सामूहि 27:57 क भूमिका होती है जिसको न कर जाता है अभिभावक बच्चों की पढ़ाई के लिए कर्ज लेकर के उन्हें कोचिंग में भेजते हैं लेकिन बार बार यसफल हो करके जो विद्यार्थी लौटते हैं तो अभिभावक अपना हैं लेते हैं अति और गति की मारी युवा पीढ़ी मौत के को प्राप्त हो रही है जिसे समाज को नहीं सिरे से विचार करना चाहिए लेखक ने आज के युवाओं के तनाव को मानक परिवर्तन करने का सफल प्रयास क्या है उन्होंने धैर्य की शक्ति को एक ब्रह्मास्त्र के रूप में अपने का उद्बोध किया है लेखक की युवाओं के प्रति सेंसटिविटी जग जाहिर होती है
@gajendrakumartasiwal3166
@gajendrakumartasiwal3166 25 дней назад
अर्ध सत्य। छात्र की मजबूरी है कोचिंग जाना। स्कूल v कॉलेज में पढ़ाई नही होती, शिक्षक को कोई मतलब नहीं जो शिक्षा वो विद्यार्थी को दे रहा है, उसे विद्यार्थी ग्रहण कर रहा है या नहीं। ग्रहण नहीं कर रहा तो उसका दोष भी विद्यार्थी को । मूल कारण तक कोई जाना ही नहीं चाहता।जब उसे स्कूल v कॉलेज में नॉलेज नही मिलती तब उसकी मजबूरी हो जाती हैं की उसे कोच मिले जो उसे गाइड करे, उसकी शंकाओं, कठिनाइयों का समाधान करे। कोचिंग का सक्सेस होना , उनकी संख्याओं में वृद्धि होना, छात्रों का महंगी फीस देकर join करना हमारी शिक्षण व्यवस्था, स्कूलों, कॉलेज के fail होने का परिचायक हैं।
@ramkishormali4872
@ramkishormali4872 28 дней назад
Mahan aatma kisi ki pida ko antrtam ki gahrai se mehsuste h. Vahi Budh h .
@ramkishormali4872
@ramkishormali4872 28 дней назад
Prem me ekadhikar ban jata h vahi tanashahi ka roop le leta h . Tab dard dard hi anubhut nahi hota h . apni tanashahi bhali lagti h. Purn tanashahi se prem nast hota h.
@ramkishormali4872
@ramkishormali4872 29 дней назад
कृतज्ञता से शान्ति की अनुभूति होती है। चिन्तन को बल मिलता है । दिल को दिलासा होती है। मैंने मिले गुणो का अनुमोदन किया ऐसे लगता है,। सुभाव निर्मल होता है। धन्यवाद सर ।
@ramkishormali4872
@ramkishormali4872 29 дней назад
सरजी सुख आसानी से गुजरता है वही दुख पहाड़ की तरह क्यों विकट होता है ।
@KhwahishEkTamanna
@KhwahishEkTamanna 29 дней назад
❤❤❤❤❤