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🇮🇳 जय भारत 🇮🇳
Комментарии
@JanakBouddh-ej6ho
@JanakBouddh-ej6ho 4 часа назад
Bandami bante
@D.K.12342.
@D.K.12342. 4 часа назад
जाहीर निषेध है उन क्रूर मुग्लोका जिन्होने हमारे बुधदेव के मूर्तियोको तोडकर अपमानित किया जय श्रीराम धन्यवाद🙏 सनातन समीक्षा 🙏
@pradeepmaurya6226
@pradeepmaurya6226 5 часов назад
👌
@harishnaithani1441
@harishnaithani1441 8 часов назад
जो मूर्ति आप दिखा रहे हैं वह बौद्ध धर्म से सम्बंधित नहीं है। क्यौं कि बौद्ध धर्म की मूर्ति में जनेऊ नहीं होता है
@bapparawal9709
@bapparawal9709 11 часов назад
नाग पूजा अत्यन्त प्राचीन काल से प्रचलित है। नाग पूजक शिवभक्त होते है। शिव का आभूषण नाग है । इस रूपक का यह अर्थ निकलता है कि, शिव के नाग भक्त थे । शैव थे। शिव उपासक थे । पुरा-तन शैवधर्म किंवा मत का भूषण नाग जाति थी। शिव मत की अनुयायी थी । नाग, भूत, प्रेत, पिशाच आदि जातियां शिव उपासक थी। उन्हें शिव के अनुचरों के रूप में प्रकट किया गया है । कालान्तर में नाग, पिशाच आदि जातियों के मूलरूप को लोग भूल गये होंगे । किमो अतीत गाथा अथवा रूप के आधार पर उन्हें अनु- चर मान लिया गया । इस रूपक को सत्य मानकर शिव की मूर्ति को कल्पना उसी आधार पर की गयी होगी। शिव का मानव आकार किंवा मूर्ति नागादि से मण्डित कर दी गयी। नागेश्वर नाम से शंकर के अवतार को कल्पना को गयो । दाहक राक्षस को शंकर ने मारा था। शिव को नागनाथ कहा जाने लगा । ( शिव शतक रुद्र-संहिता ४२ । ) नागनाथ का उपलिंग भूतेश्वर रूप में पूजा जाने लगा ।
@virendraYadav-lb2zu
@virendraYadav-lb2zu 11 часов назад
Nmo buddhay sir ji