Welcome ! This channel is helping people to understand what life is and how we can discover better life then what it is.we recommend spiritual way to found truth with blessing of our master OSHO and all enlightened sadguru in the universe.
About speaker:
Darshan ji is a sanyaasi of sadguru osho and he is devoted in this field among 16 years. He is proffeseer at Tribhuvan university of litreture named Durgaprasad joshi.
private video
आत्म साधना १ : अकर्ता बोध आत्म साधना २ ; जागरण ध्यान प्रयोग आत्म साधना ३ : मृत्यु ध्यान आत्म साधना ४ ; साक्षी ध्यान आत्म साधना ५ : अकृया ध्यान प्रयोग आत्म साधना ६ : स्वीकार ध्यान आत्म साधना ७: समर्पण ध्यान प्रयोग आत्म साधना ८ : मौन साधना प्रयोग आत्म साधना ९ : No Mind meditation आत्म साधना १० : New Vipassanaa आत्म साधना ११ : समाधी ध्यान प्रयोग आत्म साधना 12 : तन्त्र साधना आत्म साधना 13 : observer is observed आत्म साधना 14 : Home coming meditation
प्राप्त करने के लिए Whats app +9779848430149 बात करे।
प्रणाम आदरणीय।एक वीडियो में आप बता रहे थे कुछ नहीं जानना केवल इस जीवन का आनंद लेना है।इस वीडियो में आप कुछ जानने की बात कह रहे हैं।कुछ स्पष्ट बताओ प्लीज।
आदरणीय फिर आप भी तो किसी न किसी जानकारी का ही तो वीडियो बना रहे हो। जबकि सब साधारण लोगजीवन को डूब कर ही जी रहे हैं।फिर आप मेडिटेशन की विधियां क्यों बताते हैं।प्लीज थोड़ा समझाओ।
मैने लगभग हर तरह की किताब को पढ़ा, जाना, समझा है गहराई से पूरे अर्थो मे - फिर चाहे वो किताब धर्म, विज्ञान, नैनो टेक्नोलॉजी, क्वांटम फिजिक्स, अंतरिक्ष विज्ञान, इतिहास, भूगोल, गणित, मनोविज्ञान, सामाजिक विज्ञान, सामान्य ज्ञान की हो या फिर कैसी भी क्यों ना हो, और मै पूरे वैज्ञानिक नजरिये से जांचते परखते हुए इस नतीजे पर पहुंचा हूँ कि किसी को, मै फिर जोर दे कर कहता हूँ कि किसी को भी सच नहीं मालूम है और ब्रह्मांड के सूक्ष्म व सही नियमो की जानकारी बिल्कुल भी नहीं है कम से कम आज की तारीख मे तो l यानी किसी को कुछ भी नहीं पता है l सब बस अपनी अपनी बात बोल रहे हैं अपने दिमाग मे उठने वाले तूफानी विचारों से और खुद को सही मान रहे हैं और बिल्कुल ही मुगालते मे जी रहे हैं l जबकि असल सच यह है कि किसी को कुछ भी नहीं पता है - कुछ नहीं पता है l ब्रह्मांड बड़ा पेचीदा है और इसको समझने के लिए बहुत बड़ी करोडो तेज दिमागों के बराबर वाली सूझबूझ व अक्ल चाहिए जो अभी इंसानो के पास नहीं है l दरअसल अक्ल के मामले मे इंसान बस जानवरों से थोड़ा सा ही बेहतर है और इसी बेहतर अक्ल के दम पर उसने अपने फ़ायदे के लिए अक्ल को इस्तेमाल किया है मगर अभी उसकी अक्ल इतनी तेज नहीं हुई है जो ब्रह्मांड के असली नियमों को जान और खोज सके l हमारा कम्पटीशन जानवरो से है और हम इंसान निसंदेह जानवरों से बेहतर हैं - मगर असली सच इस ब्रह्मांड का हमको समझ मे नहीं आने वाला है क्योंकि हम इंसानो की अक्ल अभी बहुत छोटी ही है - हाँ जानवरों की अक्ल से थोड़ा बेहतर है l अब तक बुद्दिमान इंसानो ने जो कुछ भी खोजा है वो सब सत्य और सच के सापेक्ष गलत ही है - ब्रह्मांड का सच जब भी मिलेगा वो बिल्कुल दूसरे तरीके का और हमारी सोच से बिल्कुल अकल्पनीय रूप से अलग ही होगा l तो आज मे पूरे जोर शोर से ये घोषणा कर सकता हूँ कि किसी को कुछ नहीं पता है और इतना तो मुझको अब पता चल ही गया है l इंसान ने कुछ अपने काम निकालने सीख लिए हैं कुदरत के सहयोग से तो इंसान बड़े बड़े दावे करने लगा है कि उसने तो सबकुछ जान लिया है जबकि उसने कुछ नहीं जाना है l ये ब्रह्मांड बहुत बहुत बहुत बड़ा है और यहाँ गणनाएँ लाखों करोड़ो मे नहीं खरबों खरब और उससे भी आगे जाकर नील, पदम, शंख, महाशंख और फिर अनंत तक जाती हैं और सूक्ष्म स्तर पर शून्य से इतर माइनस साइड मे जाकर बहुत सूक्ष्मता की गहराइयों तक जाती हैं तो भैया कोई भी और कैसी भी इंसानी बुद्धि इस ब्रह्मांड को समझने मे नाकाम ही रहेगी हमेशा l "किसी को कुछ भी नहीं पता" - बस इतना याद रखो l "किसी को कुछ नहीं पता" ये एक सत्य वचन है बस इसको ये समझो कि पत्थर पर खींची गई लकीर l डिबेट मे अगर कोई अच्छा पाइंट और अच्छे विचार दे रहा है तो वो सच को साबित नहीं कर रहा होता है बल्कि दूसरे लोगों के पाइंट और विचारों को गलत साबित कर रहा होता है जो उससे कमतर तार्किक लोगों के द्वारा दिये गए होते हैं लेकिन फिर भी इससे ये साबित नहीं होता कि अच्छे तर्क देने वाले का ब्रह्मांड के असल सच का कोई संबंध है l ब्रह्मांड तो अनंत है तो इसको जानने के लिए बहुत बड़ी बुद्धि चाहिए महज एक खोपडी, दो हाथ, दो पैर, 70-75 किलो वजन और 5-6 फीट के शारीरिक दायरे मे कैद मामूली और तुच्छ इंसान इस ब्रह्मांड के असल सच को कभी भी नहीं जान सकता है - बस भ्रम और मुगालता पाल सकता है l बेचारा मामूली इंसान ब्रह्मांड के सच को जान लेने का बड़ा दावा करता है सिर्फ दूसरे लोगों को प्रभावित करने के लिए l कल का न्यूटन और आईंस्टीन आज गलत सिद्ध होगा तथा आज के तमाम महान वैज्ञानिक आने वाले कल मे गलत सिद्ध होंगे - तो ज्ञान का प्रवाह इतना प्रबल है कि सबकी खोजें, अनुमान, थ्योरी, खोज और बड़े बड़े दावे सब गलत साबित ही होंगे असल सत्य की खोज मे l बहुत बड़ा और सटीक पैमाना चाहिए इस ब्रह्मांड के सत्य को मापने के लिए जो अभी इंसानी बुद्धि से बहुत बहुत परे है l इतना जान लो कि हर नई खोज के बाद बस एक नया झूंठ या नया पर्दा ही सामने आता है इंसानो के सामने और सत्य की सारी खोजे, अनुभव और विचार सब गुड गोबर हो जाते हैं l लेकिन हाँ, आधे अधूरे ज्ञान से भी यू ट्यूब पर तहलका मचाया जा सकता है क्योंकि हर विचार पर भरोसा कर लेना आम इंसानो की प्रवृत्ति और कमजोरी है l
आदरणीय महानुभाव अभी आपने विस्तार से मौन की बात की विचार चलते हैं आदत लग गई है बोलते रहते हैं बाहर से भी और भीतर से भी भाषा के बदले दुनिया नहीं है किसी भाषा का प्रयोग बोलते हैं संत महात्मा फिलॉस्फर आप बोर हो जाओ मौन हो जाओ होता नहीं इस आध्यात्मिक ज्ञान में मैं 35 से 40 साल से हूं जिसको आपने पढ़ा है उसे सभी मानव भाव को बने पढ़ा उनके किताबों के साथ रहा वीडियो के साथ रहा आपकी बात को भी सोच रहा हूं सिर्फ देखना दर्शक बन जाना होश में जीना शब्द मिलते हैं इस शरीर के जो हिस्से हैं वह चलते रहते हैं भविष्य का मजबूरी से सोचता है किसके पास है सुविधा किसके पास नहीं है तो कातिल जो होता है कठिन होता है मुश्किल का सामना करना पड़ता है पहले बात तो संस्कृति हजारों साल से जो चल रही है उसी का आधार लेकर चलते रहे हैं हजारों किताबें लिखी गई रिपीट रिपीट वही बात जो अनुभव मुझे हुई है वह अनुभव मेरी लिए नया है आपका देखने का जो नजरिया है जिस संस्कृति के बॉक्स में आप अपना जीवन गुजरते हैं मदनपल्ली बहुत साड़ी चीज अपने अपने अनुभव लोग बोलते हैं बड़े फिलासफी दर्शनशास्त्र आध्यात्मिक स्पिरिचुअल में डूब गए होश में जीना अच्छा लगता है बोलने के लिए सजगता में जरा जागृत अवस्था में जीना बगैर मगर होता नहीं है एक तो हमारा मां और दिमाग बीमार है हमारा जो भीतर का मन है वह बीमार है आप कुछ और कहते हो कोई चीन का कोई जापान का तत्व चिंतक भारत के तत्व चिंतक बोलते हैं कुछ पल के लिए आपकी बात बहुत अच्छी लगती है थोड़ी सी झलक मिल जाती है पूरा नहीं मिलता 48 दिन में आपका दिमाग जो बोलता है वह पूरा दुनिया सुनता है फिर 8 या 15 दिन के बाद दूसरा तत्व चिंता कहा जाता है दार्शनिक आ जाता है तो उसके बाद लोग पढ़ते हैं तो यह सिलसिला चलता है तो हम सब को किताबें फेंक देना पड़ता है आपका अनुभव बेहतर है जैसे मैं चल रहा हूं अचानक रहो पर आप आ गए और बोलते जा रहे हो आप और मैं सुन रहा हूं फिर आपका गांव आ जाता है आप चले जाते हो मैं चलते रहता हूं यहां शब्दों की दुनिया से दूर संस्कृति से दूर परंपरा से दूर चलते रहना है ऊपर आकाश है पंछी नजर आते हैं समुंदर नदिया पहाड़ी इलाके रेल में सफर यह सब कुछ होता है मां शांत नहीं होता है सफर में किसी के साथ बात करता है उसको कौन सा टॉपिक अच्छा लगता है वह हम बोलना शुरू करते हैं अगर कोई नहीं सुनना चाहता है तो भी जबरदस्ती सुनना चाहते हैं क्योंकि हम आध्यात्मिक की रुझान की तरफ है जो मिला है उसको बांटने का दिल होता है क्या साहब बहुत धन्यवाद जी अशोक उपाध्याय सोलापुर महाराष्ट्र इंडिया भारत सिटीजन सीनियर 74 इयर्स ओल्ड मैन थैंक यू सर फुर्सत वक्त समय आपके पास में तो मैसेज का जवाब दे सकते हो मैं जानता हूं आप दो शब्दों में बात करोगे मेरी भीतर की बात आप नहीं समझोगे अपनी बात समझोगे अपनी बात आप मुझे समझाओ गे है ना डिटेल लिखो धन्यवाद जी
Guru ji, jaise ek sharabi ko maro usko durd nahi hota wo behoshi ko ji raha hota hai, pur ek insan ko thokar bhi lug jaye pero me usey durd ka mehsoos hota hai.. kyunki uski mun/budhi usko batati hai.. Sakshi ko koi durd pida nahi hoti, wo jaanta hai ye pida sharir ho ho rahi hai aur wo usko Jaan Raha hai.. Kya ye baat sahi hai? Kripya jawab dein. 🙏💐