Ye vakayi bahut hi peedadayi samapan tha , ankhe nam ho gyi Na jane kab tak yeh upanyas mastisk me ghumta rahega Aur aapne bahut hi sandaar tarike se iski vyakhya ki hai 🌹
मैं चाह कर भी इसको दोबारा नहीं पढ़ सकता, ये बहुत भयावह है मेरे लिए मैं फिर से चंदर को सुधा को शादी के लिए ना चाहते हुए भी मजबूर करते हुए नही देख सकता मैं नहीं देख सकता सुधा कोई तिल तिल मरते हुए और चंदर को जिंदगी के नरक मे जाते हुए, मैं नहीं देख सकता इतने पवित्र और पूजनीय प्यार को इतने भयावह तरीके से खत्म होते हुए।
मेरा बड़ा मन था इस किताब को पढ़ने का पर किसी वजह से नहीं पढ़ पा रहा था पर आपने इसे बहुत आसान बनाया और इतने अद्भुत ढंग से प्रस्तुत किया की सारे पात्र जीवित हो उठे आपका शुक्रिया
सुबह 7 बजे से अभी तक यानी लगभग 8 घंटों का हर क्षण रुदन से भरा रहा , कुछ ऐसे मार्मिक क्षण आये जहां मेरे अश्रुधारा निरंतर बहने लगे , आँखे डबडबा गयी , जैसे थोड़े से हिलकोरे के कारण चाय के प्याले से चाय छलक उठती है वैसे ही कुछ घटनाओं ने मेरे ह्रदय के भीतर से आंसू छलका दिये,पद्मश्री सम्मानित धर्मवीर भारती की लेखनी ने मुझे ऐसा घेरा की आँखे कब भीग गयी जरा सा भनक नहीं लगा..सुधा का प्रेम तो देखो की चंदर के थप्पड़ मारने के बाद वो बोलती है तुम्हारे हाथ में लगी तो नहीं, शरीर और नशें थरथरा जाती है जब सुधा शादी के बाद पत्र लिखके कहती है और डॉक्टर चंदर बाबू अब तो तुम्हें कोई परेशान भी नहीं करता होगा ना और तुम तो अब चैन की बंशी बजा रहे होगे , दूसरा मार्मिक दृश्य विनती के जाते समय बनता है और एक दृश्य जो ह्रदय के तारों को भेद कर आत्मा पर प्रहार कर देती है वो है लखनऊ जाते पम्मी का पत्र,और अंत में सबसे मार्मिक सुधा का देहावसान..इस उपन्यास की समाप्ति के बाद मैं आधे घंटे तक बिल्कुल मौन और शांत हो गया... सहस्त्र बार नमन है धर्मवीर भारती जी की लेखनी को जिन्होंने पाठक के दिल पर एक गहरा छाप छोड़ देने वाला उपन्यास लिखा-गुनाहों का देवता ❤️.. आपको भी नमन है जिन्होंने पुरी मेहनत के साथ इस उपन्यास को हम अब समक्ष जीवंत रूप में सुनाया बहुत बहुत धन्यवाद ❤ दिनांक - 6 जुलाई 2024 रौनक मिश्रा
इस कहानी को सुनने के बाद ऐसा लगता है कि धर्मवीर भारती जी इस कलयुग के वाल्मीकि है। जिस प्रकार वाल्मीकि जी ने रामजी के जन्म से पहले ही रामायण लिख दी थी। उसी प्रकार भारती जी ने मेरे जीवन को लिख दिया वो भी मेरे जन्म से पहले। बस रूप अलग है पर कहानी हुबहू है। आपसे सच्चा प्रेम करने वाला मर ही जाता है। मुझसे भी सच्चा प्रेम करने वाला मुझे इस दुनिया में अकेले छोड़ कर चले गए और वो भी साहित्य से बहुत प्रेम करते थे। साहित्य तो जैसे उनकी रगो में बहता था। जिस प्रकार सुधा के आखरी पल थे उसी प्रकार उनके भी आखरी पल ऐसे ही थे वो भी किसी को नहीं पहचान रहे थे पर मुझे पहचाना और मुझे भी जीवन की ऊंचाई पर जाने के लिए कह गए।
Mam/sir dalni chalu ho gayi thi but beech mein copyright strike ke chakkar mein takedown yaani hatana pad gaya beech mein hi recording band karni padi sorry 🙏🥺
मैं एक छात्र हूं और मैं आपकी ज्यादा मदद नही कर सकता लेकिन मैं चाहता हूं की मैं कुछ मदद आर्थिक रूप से करू । आप मुझे बताइएगा की मैं आपकी मदद कैसे कर सकता हूं। बात रही इस ऑडियोबुक की, आपकी आवाज , आपका हरेक किरदार को पेश करने का तरीका मेरे सुने सभी ऑडियोबुक से अच्छा था। पूरे समय या तो मुख पर एक हल्की ही मुस्कान रही,या आंखो में आंसु। धन्यवाद इतनी सुंदर प्रस्तुति के लिए।
Thank you so much sir but agar aap support karna chahte hein to jyada se jyada is channel ko share karen taki aur log bhi ise sun sake itna hi bohot hoga sir is channel ke liye 🙏❤️😇