Log tang akar jaha Pakistan ko bura bhala kehty hen, wahan Faiz ki nazam umeed hy, ky mohabbat zinda hy. Watan e aziz ka ye haal zalim pr reham krny ki wjah se hy.
1. सुना है लोग उसे बड़े ध्यान और बहुत देर तक देखते हैं, शायद वो इतनी ख़ूबसूरत है कि एक नज़र से देखना काफ़ी नहीं होता। 2. इसलिए हम भी उसके शहर में कुछ दिन ठहर कर, उसे देखना चाहते हैं। 3. सुना है कि वो मुश्किल हालात में लोगों के क़रीब आती है और उनके दुःख-दर्द में शामिल होती है। 4. इसलिए हमने सोचा कि खुद को बर्बाद करके देखें, शायद वो हमारी तरफ भी ध्यान दे। 5. सुना है उसकी आँखें दर्द से भरी हुई हैं, और उसकी नज़र दिल को खींच लेती है। 6. इसलिए हम भी उसकी गली से गुज़र कर उसे देखना चाहते हैं, शायद उसकी एक नज़र हम पर भी पड़ जाए। 7. सुना है कि उसे भी शायरी बहुत पसंद है। 8. इसलिए हम भी उसे अपने शेर-ओ-शायरी से प्रभावित करने की कोशिश करेंगे। 9. सुना है जब वो बोलती है, तो उसकी बातों से जैसे फूल झड़ते हैं। 10. अगर ये सच है, तो चलो उससे बात करके देख लेते हैं। 11. सुना है कि रात में चाँद उसे देखता रहता है। 12. और सितारे आकाश से झुककर उसे निहारते हैं। 13. सुना है कि दिन में तितलियाँ उसके इर्द-गिर्द मंडराती रहती हैं। 14. और रात में जुगनू उसकी रोशनी में रुककर उसे देखते हैं। 15. सुना है उसकी आँखें सब कुछ बर्बाद कर देने वाली हैं, जैसे हिरन की जैसी चमकती आँखें। 16. और हिरन भी उसकी आँखों को देख कर ठहर जाते हैं। 17. सुना है उसकी ज़ुल्फ़ें रात से भी गहरी और काली हैं। 18. और शाम के साये भी उसकी ज़ुल्फ़ों से होकर गुज़रते हैं। 19. सुना है उसकी काली आँखें किसी क़यामत से कम नहीं हैं। 20. इसलिए काजल बेचने वाले भी उसकी आँखों को देखकर ठिठक जाते हैं। 21. सुना है उसके होंठों से गुलाब खिलते हैं। 22. इसलिए हम उसकी ख़ूबसूरती का इल्ज़ाम बहार पर डालते हैं। 23. सुना है उसकी पेशानी आईने की तरह चमकती है। 24. और भोले-भाले लोग उसे देखने के लिए सजधज कर आते हैं। 25. सुना है जब से उसने गहने पहने हैं, उसकी ख़ूबसूरती और बढ़ गई है। 26. अब लोग उसके अलग-अलग गहनों को देखकर मोहित हो जाते हैं। 27. सुना है कल्पनाएँ बहुत गहरी हैं 28. लोग उसकी कमर के नाज़ुक मोड़ को देखकर हैरान होते हैं। 29. सुना है उसका शरीर इस तरह से तराशा गया है, जैसे किसी कारीगर ने उसे बहुत प्यार से गढ़ा हो। 30. यहाँ तक कि फूल भी अपनी पंखुड़ियों को काटकर उसकी ख़ूबसूरती को देखते हैं। 31. वो लंबी और खूबसूरत है, लेकिन उसकी ख्वाहिशें अब तक पूरी नहीं हुई हैं। 32. फिर भी लोग उसकी ख़ूबसूरती की तारीफ में नए-नए शब्दों का इस्तेमाल करते हैं। 33. उसकी एक नज़र से ही दिलों का काफिला लुट जाता है। 34. इसलिए मोहब्बत के रास्ते पर चलने वाले लोग भी उससे डरते हुए नज़र मिलाते हैं। 35. सुना है उसकी सोने की जगह जन्नत से जुड़ी हुई है। 36. और स्वर्ग के निवासी भी उसकी एक झलक पाने के लिए उसकी तरफ़ देखते हैं। 37. जब वो ठहरती है, तो समय भी उसके इर्द-गिर्द घूमता है। 38. और जब वो चलती है, तो समय ठहर जाता है। 39. किसी की इतनी क़िस्मत नहीं है कि उसे बिना पहिरन के देख सके। 40. कभी-कभी उसके घर की दीवारों और दरवाजें देखते है। 41. भले ही ये सारी बातें अतिशयोक्ति हों, मगर उसकी ख़ूबसूरती में कुछ तो ख़ास है। 42. अगर वो एक सपना है, तो हम उसे हक़ीक़त बनाने की कोशिश करेंगे। 43. अब ये सोचने की बात है कि हम उसके शहर में और रुकें या चले जाएं। 44. फ़राज़, चलो तारों की मदद से अपना फैसला करें, और तब देखें कि क्या करना है।
سنا ہے لوگ اسے آنکھ بھر کے دیکھتے ہیں سو اس کے شہر میں کچھ دن ٹھہر کے دیکھتے ہیں سنا ہے ربط ہے اس کو خراب حالوں سے سو اپنے آپ کو برباد کر کے دیکھتے ہیں سنا ہے درد کی گاہک ہے چشم ناز اس کی سو ہم بھی اس کی گلی سے گزر کے دیکھتے ہیں سنا ہے اس کو بھی ہے شعر و شاعری سے شغف سو ہم بھی معجزے اپنے ہنر کے دیکھتے ہیں سنا ہے بولے تو باتوں سے پھول جھڑتے ہیں یہ بات ہے تو چلو بات کر کے دیکھتے ہیں سنا ہے رات اسے چاند تکتا رہتا ہے ستارے بام فلک سے اتر کے دیکھتے ہیں سنا ہے دن کو اسے تتلیاں ستاتی ہیں سنا ہے رات کو جگنو ٹھہر کے دیکھتے ہیں سنا ہے حشر ہیں اس کی غزال سی آنکھیں سنا ہے اس کو ہرن دشت بھر کے دیکھتے ہیں سنا ہے رات سے بڑھ کر ہیں کاکلیں اس کی سنا ہے شام کو سائے گزر کے دیکھتے ہیں سنا ہے اس کی سیہ چشمگی قیامت ہے سو اس کو سرمہ فروش آہ بھر کے دیکھتے ہیں سنا ہے اس کے لبوں سے گلاب جلتے ہیں سو ہم بہار پہ الزام دھر کے دیکھتے ہیں سنا ہے آئنہ تمثال ہے جبیں اس کی جو سادہ دل ہیں اسے بن سنور کے دیکھتے ہیں سنا ہے جب سے حمائل ہیں اس کی گردن میں مزاج اور ہی لعل و گہر کے دیکھتے ہیں سنا ہے چشم تصور سے دشت امکاں میں پلنگ زاویے اس کی کمر کے دیکھتے ہیں سنا ہے اس کے بدن کی تراش ایسی ہے کہ پھول اپنی قبائیں کتر کے دیکھتے ہیں وہ سرو قد ہے مگر بے گل مراد نہیں کہ اس شجر پہ شگوفے ثمر کے دیکھتے ہیں بس اک نگاہ سے لٹتا ہے قافلہ دل کا سو رہروان تمنا بھی ڈر کے دیکھتے ہیں سنا ہے اس کے شبستاں سے متصل ہے بہشت مکیں ادھر کے بھی جلوے ادھر کے دیکھتے ہیں رکے تو گردشیں اس کا طواف کرتی ہیں چلے تو اس کو زمانے ٹھہر کے دیکھتے ہیں کسے نصیب کہ بے پیرہن اسے دیکھے کبھی کبھی در و دیوار گھر کے دیکھتے ہیں کہانیاں ہی سہی سب مبالغے ہی سہی اگر وہ خواب ہے تعبیر کر کے دیکھتے ہیں اب اس کے شہر میں ٹھہریں کہ کوچ کر جائیں فرازؔ آؤ ستارے سفر کے دیکھتے ہیں
@@ahhZaid I think you need to improve yourself. Literature is my subject and I had been teaching it for 30 years before I retired. Your knowledge about literature needs improvement
In k mushairy ki videos main n ek RU-vid channel "Sapno Ki Jageer" pr dyki ti...Boht lovely words or nice thinking thi...i really impressed .Kia rare video ti....