रूह झूम गयी,वाह हँस जी।वाकई रूहानी दर्द है।मुर्शिद की निगाहो की मस्ती का यही आलम है जो आपने बयान किया। रूहानी मय पीने वाले आशिक जहान से किनारा कर लेते है।उनकी हालत की शिफा संसार मे नही सतगुरू की बारगाह है।रूहानी इश्क का दर्द मे आशिक न तो जिन्दा होता है और न ही मुर्दा।इश्क के मरीज़ की दवा रूहानी इश्क ही है।