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अपने गोत्र, प्रवर, वेद, शाखा, सूत्र व देवता का कैसे पता लगाएं? 

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भारत में जो भी रह रहे हैं वे सभी ऋषि और मुनियों
की संतानें हैं। चाहे वह सूर्यवंशी हो, असुरवंशी हो,
चंद्रवंशी हो या अन्य किसी भी कुल से हो। ऋषियों
में बहुत से ऐसे ऋषि थे जिन्होंने वेदों को संभालने
के लिए वेदों के विभाग करने उन्हें अनेक शाखाओं
में विभक्त करके सभी को अलग अलग वेद, शाखा
आदि को कंठस्थ कराकर उन्हें यह शिक्षा दी की
आप अपनी पढ़ियों को भी वेद की उक्त शाखा को
कंठस्थ कराएं। इस तरह ब्राह्मण कुल के अलग
अलग समाज का निर्माण होता गया।
वर्तमान में यदि कोई जानकार अपना परिचय देगा
तो अपना गोत्र, प्रवर, वेद, शाखा, शर्म, देवता,
आवंटक आदि को बताना होगा। अब हम जानते
हैं कि यह सब क्या होता है।
1.गोत्र : गोत्र का अर्थ है कि वह व्यक्ति किस
ऋषि के कुल का है। जैसे किसी ने कहा कि मेरे
गोत्र भारद्वाज है तो उसके कुल के ऋषि
भारद्वाज हुए। अर्थात भारद्वाज के कुल से
संबंध रखता है। भारद्वाज उसके कुल के आदि
पुरुष है। इसी तरह कोई इंद्र, सूर्य या चंद्रदेव से
तो कोई हिरण्याक्ष या हिरण्यकशिपु से संबंध
रखता है तो कोई महान राजा बलि की संतान
है। हालांकि सभी ऋषि अंगिरा, भृगु, अत्रि,
कश्यप, वशिष्ठ, अगस्त्य, कुशिक आदि
ऋषियों की ही संताने हैं।
गोत्रों के अनुसार ईकाई को 'गण' नाम दिया
गया। एक गण का व्यक्ति दूसरे गण में विवाह
कर सकता है। इस प्रकार जब कालांतर में
गणों के कुल के लोगों की संख्या बढ़ती गई
तो फिर उनमें अलग अलग भेद होते गए।
संख्‍या बढ़ने के साथ ही पक्ष और शाखाएं
बनाई गई। इस तरह इन उक्त ऋषियों के
पश्चात उनकी संतानों के विद्वान ऋषियों के
नामों से भी अन्य गोत्रों का नामकरण प्रचलित
हुए। जैसे अग्नि नाम का एक गोत्र या वंश है।
अग्नि के पुत्र अंगिरा हुए जिनके नाम का भी
गोत्र या वंश चला। फिर अंगिरा के पुत्र
बृहस्पति हुए और बृहस्पति के पुत्र भारद्वाज
हुए जिनके नाम का भी गोत्र या वंश चला।
गोत्रों से व्‍यक्ति और वंश की पहचान होती है।
वंश से इतिहास की पहचान होती है। वे लोग
धन्य है जिन्होंने अपने कुल धर्म को नहीं
छोड़ा है।
2.प्रवर : प्रवर के वैसे तो अर्थ श्रेष्ठ होता है।
गोत्रकारों के पूर्वजों एवं महान ऋषियों को
प्रवर कहते हैं। जैसे भारद्वाज ऋषि के वंश
में अपने कर्मो द्वारा कोई व्यक्ति ऋषि होकर
महान हो गया है जो उसके नाम से आगे
वंश चलता है। यह मील के पत्थर जैसे है।
मूल ऋषि के कुल में तीन, पांच या सात
आदि महान ऋषि हो चले हैं। मूल ऋषि के
गोत्र के बाद जिस ऋषि का नाम आता है
उसे प्रवर कहते हैं।
3.वेद- वेदों की रचनाएं ऋषियों के
अंत:करण से प्रकट हुई थी। उस काल में
सिल्लाओं के अलावा लिखने का और कोई
साधन नहीं था। ऐसे में उनी ऋचाओं की
रक्षा और संवरक्षण हेतु एक परंपरा का
प्रचलन हुआ। वह यह कि उसे सुनाकर ही
दूसरे को याद कराया जाए और इस तरह
वह कंठस्थ कर ली जाए। चूंकि चारों वेद
कोई एक ऋषि याद नहीं रख सकता था
इसलिए गोत्रकारों ने ऋषियों के जिस भाग
का अध्ययन, अध्यापन, प्रचार प्रसार,
आदि किया उसकी रक्षा का भार उसकी
संतान पर पड़ता गया इससे उनके पूर्व
पुरुष जिस वेद ज्ञाता थे तदनुसार
वेदाभ्‍यासी कहलाते हैं।
4.शाखा- मान लो कि किसी एक ऋषि
की कुल संतान को एक ऋग्वेद के ही
संवरक्षण का कार्य सौंप दिया गया तो
फिर यह भी समस्या थी कि इतने
हजारों मंत्रों को कोई एक ही याद करके
कैसे रखे और कैसे वह अपनी अगली
पीढ़ी को हस्तांतरित करें। ऐसे में वेदों
की शखाओं का निर्माण हुआ। ऋषियों
ने प्रत्येक एक गोत्र के लिए एक वेद के
अध्ययन की परंपरा डाली थी, कालांतर
में जब एक व्यक्ति उसके गोत्र के लिए
निर्धारित वेद पढ़ने में असमर्थ हो जाता
था तो ऋषियों ने वैदिक परंपरा को जीवित
रखने के लिए शाखाओं का निर्माण किया।
इस प्रकार से प्रत्येक गोत्र के लिए अपने
वेद की उस शाखा का पूर्ण अध्ययन करना
आवश्यक कर दिया। इस प्रकार से उन्‍होंने
जिसका अध्‍ययन किया, वह उस वेद की
शाखा के नाम से पहचाना गया। मतलब
यह कि उदाहरणार्थ किसी का गोत्र अंगिरा
, प्रवर भारद्वाज और वेद ऋग्वेद एवं ऋग्वेद
की 5 शाखाओं में से उसकी शाखा शाकल्प
है।
इसी तरह सूत्र होता है, व्यक्ति जब शाखा के
अध्ययन में भी असमर्थ हो गया, तब उस
गोत्र के परवर्ती ऋषियों ने उन शाखाओं को
सूत्र रूप में बांट दिया। फिर देवता, देवता
प्रत्येक वेद या शाखा का पठन, पाठन करने
वाले किसी विशेष देव की आराधना करते
हैं वही उनका कुल देवता या उनके आराध्‍य
देव है। इसी प्रकार कुल-देवी होती हैं। इसका
ज्ञान अगली पीढ़ी को दिया जाता है। इसके
अलावा दिशा, द्वार, शिखा, पाद आदि भेद
भी होते हैं। उक्त अंतिम भेद से यह पता
लगाया जा सकता है कि यह व्यक्ति किस
कुल का है, कौन से वेद की कौनसी शाखा के
कौन से सूत्र और कौन से सूत्र के कौन से देव
के ज्ञान को संवरक्षित करने वाला है।
वर्तमान में यह ज्ञान या यह जानकारी बहुत
कम ब्राहमणों हो ही रह गई है तो अन्य समाज
के बारे में सोचा नहीं जा सकता है कि उन्होंने
अपने कुल खानदान का क्या क्या खो दिया है।
लेकिन यदि कोई यह जानना चाहे तो अंतिम
भेद यदि वह जान ले तो प्रथम पर आसानी से
पहुंचा जा सकता है।
#brahman
#gotra
#pravar
#veda

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8 янв 2022

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Комментарии : 83   
@AjitVishwakarmaji
@AjitVishwakarmaji 10 месяцев назад
जय dada Vishwakarma ji
@yadavrahul2086
@yadavrahul2086 3 месяца назад
हम भी अत्रि ऋषि गोत्र वाले है महाराज जी।। 🚩🚩🪷🚩🚩राधेकृष्ण🚩🚩🪷🚩🚩
@MohitSharma-zm9rh
@MohitSharma-zm9rh Год назад
Aisi koi book aati hai kya jaha sab gutr ki sab knowledge mil jaye? Naam bata skte hai?
@jaatbhai1708
@jaatbhai1708 2 года назад
Nice video and good videos belonging to the knowledge 🎉🤩🤗
@ReetKnowledgeTV
@ReetKnowledgeTV 2 года назад
Thank you beta
@vish507
@vish507 Год назад
Thank you sir ❤ mere liye bahut important tha
@ReetKnowledgeTV
@ReetKnowledgeTV Год назад
Welcome dear
@kushalkarankot6158
@kushalkarankot6158 Год назад
Jai shree Radhe Krishna
@SanataniEktaSangathan
@SanataniEktaSangathan Год назад
Ji achyuta gotra ke baare main kuchh gyan dijiye..🙏🙏🙏
@ReetKnowledgeTV
@ReetKnowledgeTV Год назад
व्यक्ति, जो वैष्णव मंत्रों की दीक्षा लेता है ( पंचसंस्कार-दीक्षा के साथ प्रपत्ती -मार्ग को स्वीकार करके ) या वैष्णव आदेशों में समन्वय करता है और सर्वोच्च भगवान विष्णु को अपने प्रिय देवता के रूप में लेता है, एक भाईचारे या पारिवारिक वंश ( गोत्र ) में प्रवेश करता है, जिसे अच्युत गोत्र कहा जाता है। वेदों और वैष्णव-आगमों में अनुशंसित पांच गुना वैष्णव प्रथाओं के दिव्य संस्कार को स्वीकार करने के बाद, वह किसी जाति या वर्ण से संबंधित नहीं थे; ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र या बहिष्कृत। वह एकांत दशात्व - अनन्य सेवक-पद और शरणगत या प्रपन्न के रूप में सम्मानित - भगवान के अपने परिवार के एक समर्पित साथी को लेने आया था। वह अब अपने रक्त-संबंध आधारित सांसारिक पारिवारिक वंश के साथ अपनी पहचान नहीं बना पाएगा। वह भगवान विष्णु के सभी सेवकों या भगवतों और वैष्णवों की व्यापक, सार्वभौमिक बंधुता को अपनाता है। नुसंतरा में, इस गोत्र को हरि-वंश या हरिवंश भी कहा जाता है। सच्चे अर्थों में हरिवंशों की पहचान उनके रक्त-संबंधों के आधार पर नहीं, बल्कि उनके पूर्वजों की शिक्षाओं और प्रथाओं को जारी रखने की उनकी क्षमता के आधार पर की गई थी। पूर्वी जावा कादिरी के कुलीनों में अपने मूल का पता लगाने वाले कुछ पारिवारिक वंश, जिन्हें आमतौर पर हरिवंग्सा के रूप में स्वीकार किया जाता है। उनके वंशज बहुत जटिल ऐतिहासिक पृष्ठभूमि के साथ आज भी बाली में रह रहे थे। हमारे पास बाबादों (पारिवारिक इतिहास, लेकिन जिसे हम पौराणिक कथाओं के रूप में सोचते हैं) और पिछली पीढ़ियों द्वारा जारी किए गए कुछ आधिकारिक शिलालेखों की तुलना में उनके सच्चे संबंधों को निर्धारित करने के लिए कोई अन्य स्रोत नहीं है। (कुछ चॉपर टैबलेट पर लिखे गए थे, लेकिन बहुत कुछ सिर्फ ताड़ के पत्ते की पांडुलिपि पर लिखे गए थे, जो मौसम, उम्र आदि से आसानी से क्षतिग्रस्त हो गए थे।) आपको जावा के मार्कंडेय ऋषि अभी भी याद होंगे जो बाली के वैष्णव ब्राह्मण वंश के संस्थापक के रूप में बाली आए और सभ्य समाज की स्थापना की। मार्कंडेय ऋषि के वंश का इतिहास, भुजंग वैष्णव ब्राह्मणवादी आदेश, भगवान के आह्वान के साथ शुरू हुआ था। ॐ नमः देवाय, पनामस्करनिंग हुलुन ए भतारा हयंग ममी। सदन्या पादुका भतारा विष्णु, सिरा अनुग्रहानिंग भुक्ति म्वांग मुक्ति, सिद्ध सप्रयोजन, नित्य प्रतिष्ठांग उरधा शिवद्वारा सेम्बाहेन। इति तत्वनिरा इदा भुजंग वैष्णवा हनेंग बली पुलिना, नगुनी कमीमितानिरा साकिंग जवा द्वीप मंडल, तुमुरुन मरेंग बली द्वीप मंडल। “ ओम नमः देवय , मैं अपने महिमामय भगवान के प्रति अपना सबसे सम्मानजनक सम्मान अर्पित कर रहा हूं। सर्व भक्ति प्रदान करने वाले उस परम पूजनीय भगवान विष्णु के अतिरिक्त अन्य कोई नहीं(कामुक सुख) और मुक्ति (मुक्ति), हमारे सर्वोच्च अंतिम लक्ष्य के रूप में प्राप्त, निरंतर पूजा की जाती है और हमारे सिर के मुकुट पर हमेशा के लिए विराजित होती है। बाली द्वीप में श्रद्धेय भुजंग वैष्णव कैसे मौजूद हैं, यह सच्चाई है। अतीत में, उनका मूल जावा से था और फिर बाली में उतरा। इस प्रकार, बाली का भुजंगा वैष्णव वंश एक अच्युत गोत्र था जो वैदिक ब्राह्मणवादी कर्तव्यों का पालन करता था और वैष्णव तांत्रिक या आगमिक साधना (आध्यात्मिक अनुशासन) करता था और साथ ही साथ शिष्य उत्तराधिकार की निरंतरता की रक्षा भी करता था। हालाँकि आज उन्हें अन्य बाली पुजारी आदेशों (या संप्रदायों) से अलग करना मुश्किल है, लेकिन उनकी प्रार्थनाओं को देखने और सुनने से हमें कई वैष्णव सूत्र मिलेंगे। यदि आज वे भारत के स्मार्ट ब्राह्मणों की तरह बन सकते हैं, तो कम से कम उनके इष्ट-देव भगवान श्रीमन नारायण हैं। ऐसे बदलाव असामान्य नहीं थे। उदाहरण के तौर पर, दक्षिण भारत के कुछ वदामा स्मार्ट, श्री रामानुज के प्रचार कार्य के प्रभाव से, वैष्णव अयंगर ब्राह्मण बन गए हैं, इसलिए बाली के वैष्णव ब्राह्मण बन गए। कुछ ने उनके साथ लंबे जुड़ाव के कारण दूसरे संप्रदाय की साधनाओं को स्वीकार कर लिया है।
@cescsantosh
@cescsantosh Год назад
जय सनातन धर्म 🙏
@user-vg2ye9jw8k
@user-vg2ye9jw8k 2 года назад
Mujhe mere gotra .. kuldevi ke alwa kuch nahi pats
@sas_global
@sas_global Год назад
Anek Anek avaar
@user-vg2ye9jw8k
@user-vg2ye9jw8k 2 года назад
एक वीडियो रावण वंश के उपर🙏 कई ब्राह्मण अपने आप को रावण वंशी मानते है🙏 कृपया करके बनाए❤️❤️
@ReetKnowledgeTV
@ReetKnowledgeTV 2 года назад
जी अवश्य
@swatipatil2367
@swatipatil2367 Год назад
please Vasishtha gotra ki kuldevta ka naam bataiye .. koi shiv kahete hai parantu shiv to dev hai , devta nahi .. koi devi Bhattarika kahete hai ... inka temple Orissa me hai ... agar koi Vansh ke log bahut door aake base jaise ki Parmar/ Pawar Dhar se Poona ( pune) aake base to unki kuldevi change hogi ya nahi ? please bataye ...
@PavanKumar-ng6qr
@PavanKumar-ng6qr Год назад
Mera bhi same doubt hai 🙏🙏
@pinkyd1008
@pinkyd1008 Год назад
Raykhengar gotra ke bare me bataye plz? Aur kuldevi koun hoti h iss gotra ki?
@SaveEarth_SaveEveryone
@SaveEarth_SaveEveryone Год назад
नया नया हूँ... ज्यादा जानता नहीं... लेकिन ऐसा मैंने मेरे उत्तर प्रदेश में कभी सुना नहीं शायद मेरे सम्पर्क में कभी इस गोत्र का कोई आया नहीं 🙏
@arunjyoti
@arunjyoti 8 месяцев назад
@ReetKnowledgeTV Pandit ji, Mera gotra Kashyap hai, pravar vansh me kisiko nahi pata kya hai, lekin ek bhaiya ne bola ki Ohir, mohir, Devadatta hai hamara pravar ye kya kashyap gotra ka pravar ho sakta hai?
@arunjyoti
@arunjyoti 8 месяцев назад
Gotra : Kashyap, Sakha : Madhyadina (yajurveda), Sutra : Katyayana, Kul dev : Shiva, Kul devi : Nahi pata, Pravar : Nahi pata ( lekin Ahir, Mahir, Devdatta ek bhaiiya ne bola tha, pata nhi correct hai ki nahi) Kripaya kar mujhe sahi Gyan dein🙏
@Raftaarkashyap2612
@Raftaarkashyap2612 5 месяцев назад
Kiya ye jankari keval brahamno ke liye hai ya our ke liye bhi jese ham kashyap hai our hmara gotra Bharduwaj hai
@sharangIAS
@sharangIAS 2 года назад
हरितस्य गोत्र ब्रामण वंश की कुलदेवी कोन सी है
@jagdishsharma4210
@jagdishsharma4210 Год назад
Kya ap mujhe bta skte h ki mardundini kiski shakha h
@SarojKumar-qr7iy
@SarojKumar-qr7iy 2 года назад
bistrit jankari dijiye.
@sas_global
@sas_global Год назад
Chakraborty (Chatterjee) & Sandilya Gotra ka kuch connection h kaise pata chalega?? Margdarshan
@kandiking2218
@kandiking2218 Год назад
Bhai Shaunak Gotra ke Kshatriya kaun hai ?
@ashutoshupdhayay8056
@ashutoshupdhayay8056 2 года назад
Mera gotra damahir hai mere kuldevi or devta ka naam bta sakte hai
@kaushalraghuvanshi6799
@kaushalraghuvanshi6799 2 года назад
I am kaushal Brahmin
@deeps7914
@deeps7914 Год назад
Trivedi surname ka gotra,kuldevi kya hai?
@ReetKnowledgeTV
@ReetKnowledgeTV Год назад
गोत्र :-गर्ग,गंगासन कृष्णत्रेय, मांडव्य, वैशम्पायन,वत्स, कश्यप, धारणस, लोंगाक्षी, कौशिक, उपमन्यु, वात्सायन कुलदेवी:- शांता देवी, सुखददेवी, भट्टयोगिनी, धर्मधारिका देवी, लिम्ब्जादेवी, अनजादेवी, गोत्रडा देवी, छत्रजा देवी, महा योगिनी देवी, यक्षिणी देवी, गोत्रडा देवी,भट्टारिका देवी
@aseeker..9231
@aseeker..9231 11 месяцев назад
Mera gotra shandilya hai..kya is se pata lag sakta hai ki main kanyakubj brahman hun ya koi aur brahman.. kripaya margdarshan karen
@harshpanchal1617
@harshpanchal1617 Год назад
Bai dhalwal gotra ke bare me batao
@ReetKnowledgeTV
@ReetKnowledgeTV Год назад
Dhaliwal ya dhalwal
@saurabhjha3114
@saurabhjha3114 Год назад
I am a maithil bhramin❤
@AjitVishwakarmaji
@AjitVishwakarmaji 9 месяцев назад
I'm also
@Singh_G-h3e
@Singh_G-h3e 2 года назад
KYA PRAVARA SE KULDEVI/DEVTA KA PATA LAGAYA JA SAKTA HAI?
@user-vg2ye9jw8k
@user-vg2ye9jw8k 2 года назад
आप अपने गांव जाए या अपने घर के बड़े बूढ़े पूर्वजों से जाने 👍
@Durgeshswain876
@Durgeshswain876 Год назад
Nag gotra kai hai
@kopilakhanal5477
@kopilakhanal5477 Год назад
Ghrit kaushik gotra ka kul devi/ kul devta batane ka krupa karen?
@ReetKnowledgeTV
@ReetKnowledgeTV Год назад
माता अदिति
@rajeevsharma1979
@rajeevsharma1979 2 года назад
Pandit ji pranam shandily gotr ka Pravat kaun hai
@ReetKnowledgeTV
@ReetKnowledgeTV 2 года назад
शांडिल्य, असित व कश्यप तीन प्रवर हैं
@Durgeshswain876
@Durgeshswain876 Год назад
Nag gotra belong bataiye
@ReetKnowledgeTV
@ReetKnowledgeTV Год назад
बिलोंग से आपका क्या तात्पर्य है कृपया स्पष्ट करें।
@Durgeshswain876
@Durgeshswain876 Год назад
@@ReetKnowledgeTV nag gotra kai hai
@ReetKnowledgeTV
@ReetKnowledgeTV Год назад
@@Durgeshswain876 नाग गोत्र नहीं है एक पूरी जाती है जो पौराणिक रूप से नागों के वंशज मने जाते हैं
@susantajena5866
@susantajena5866 2 года назад
Pandit ji mera gotra nagasya hai krupaya mera vansh bataye🙏
@ReetKnowledgeTV
@ReetKnowledgeTV 2 года назад
महाऋषि विश्वामित्र जी के वंशी नागस्य गोत्र के होए हैं।
@susantajena5866
@susantajena5866 2 года назад
@@ReetKnowledgeTV dhanyabad pandit ji🙏
@riyapandit015
@riyapandit015 Год назад
Das surname ka kya gotr hai vaishnav brahmin hu mai
@ReetKnowledgeTV
@ReetKnowledgeTV Год назад
रिया जी दास तो एक उपाधि भी है जो कईं गोत्रों के लोग लगाते हैं।
@deepdevnath7239
@deepdevnath7239 4 месяца назад
Shiv gotra kya brahman hota hai
@fantasticfifth5
@fantasticfifth5 2 года назад
कृपया शर्म और आवंटन के बारे में बताइए 🙏🏻
@DevSharma-px1iq
@DevSharma-px1iq Год назад
444
@virendrapubg1253
@virendrapubg1253 Год назад
मैं मोबिया हूं मेरे देवता और महाराज और वेदमाता सक्ति बताए
@amanbhatt525
@amanbhatt525 Год назад
Pandit ji pranam mera nam aman sharma sarswat brahmin kashyap gotra mera pravar kya hoga
@ReetKnowledgeTV
@ReetKnowledgeTV Год назад
ब्रह्मर्षि कश्यप के अधीन एक गण है। इस गण के अंतर्गत दस प्रसिद्ध ऋषि हैं। वे हैं कश्यप, वत्सर, नैद्रुवा, संकृति, पुतिमाश, रैभ्य, शांडिल्य, शांडिला, देवला और असित। इस गण के अंतर्गत प्रमुख प्रवर हैं: कश्यप - वत्सर - नैद्रुवी (त्रि-ऋषि-प्रवर) कश्यप - वत्सर - रैभ्य (त्रि-ऋषि-प्रवर) कश्यप - शांडिला - देवला (त्रि-ऋषि-प्रवर) इनमें से ही आपका एक प्रवर है
@amanbhatt525
@amanbhatt525 Год назад
Dhanyawad gurudev
@amanbhatt525
@amanbhatt525 Год назад
Or ved ky hoga guru dev
@kaushalraghuvanshi6799
@kaushalraghuvanshi6799 2 года назад
Kaushal gotra ke rishi kon h ji
@ReetKnowledgeTV
@ReetKnowledgeTV 2 года назад
सारस्वत ब्राह्मणों का एक गोत्र है कौशल और महर्षि कौशल गोत्र प्रवर्तक ऋषि हैं
@AnkitSharma-jk2wx
@AnkitSharma-jk2wx Год назад
acchi baat h aap itna bata rhe h lakin aap ki knowledge mai kami hai... rishiyon ki santan sirf brahmin hai.. saare hindu rishi ki santan ni hai rishi santan prapti ke liye yaggh krte the naki khud paida krte the sab ke bacche... smaj aa rha h bhaisahab aap ne kayi videos mai galat baatein batai h jese garg rishi ki santan saare garg surname lagane wale h .. ye bat galat h agarsen maharaj ke guru the rishi garg jab agarsen maharaj ne apne 18 putra mai pehle putra ka naam rishi k naam pe rakha tha .. or baaki 17 bhi rishi ke naam pe rakha tha jinlogo ne yagh kraya tha vo total 18 rishi the rishi garg samet..
@shaileshsharma6699
@shaileshsharma6699 Год назад
Ankit ji, main is baat se bilkul bhi sehmat nahi hu ki rishiyon ki santan sirf Brahmin hai. Agar hum shastron ka addhyan kare toh pata chalta hai ki koi bhi vyakti janma se Brahmin nahi hota hai, kai sanskaaro aur addhyan aur Brahm ki jaankari prapt karne ke baad hi use brahman kaha jaata tha. Sanskrit ka shloka yaad nahi mujhe lekin hai aisa shloka. Agar aisa tha toh koi bhi gyani apne karmo se gyani ho sakta hai fir woh kisi bhi kul me kyu na janma ho. Aap isi se aankalan laga lijiye k chandragupta maurya ko kshtriya ghosit karna ho ya Chhatrapati Shivaji Maharaj ka Rajya Abhishek ho. Yaha tak ki Agrawal samaaj Agrasen Maharaj k wansaj hai jo us kaal k Kshatriya Raja Mane gaye hain.
@Shubhammishra-hx6ny
@Shubhammishra-hx6ny Год назад
'शिखा' और 'पाद' का पता कैसे करें?
@kantibhengra5064
@kantibhengra5064 Год назад
Aadiwasi Ki Kya Gotr H
@ReetKnowledgeTV
@ReetKnowledgeTV Год назад
आदिवासी की बहुत सारे गोत्र हैं परंतु यदि प्राचीन गोत्र की बात करें तो वो ऋषि मुनियों की ही संताने हैं।
@madarauchiha636
@madarauchiha636 2 года назад
Valmiki logo ka kya gotra hai?
@ReetKnowledgeTV
@ReetKnowledgeTV 2 года назад
वाल्मीकि समाज के अन्य नाम है हेला,डोम, हलालखोर,लालबेग, भंगी, चूहड़ा, बांसफोड़, मुसहर, नमोशूद्रा, मातंग, मेहतर, महार, सुपच, सुदर्शन, मज़हबी, गंगापुत्र, नायक, बेदा, बोया, हंटर, कोली
@madarauchiha636
@madarauchiha636 2 года назад
@@ReetKnowledgeTV ye log kis rishi ke vansaj hai valmiki rishi ke?? Or valmiki to kudh chayvan rishi ke vanshaj the or chayvan be bhrigu rishi ke vanshaj the to ye valamiki samaj ko bhrigu ke vanshaj mane ke chavyan vansh ke mane ke fir valmiki rishi ke???
@swatipatil2367
@swatipatil2367 Год назад
​@@madarauchiha636
@madarauchiha636
@madarauchiha636 Год назад
@@swatipatil2367 ???
@Singh_G-h3e
@Singh_G-h3e 2 года назад
RAJPUROHIT KA KYA HOTA HAI ? KYUNKI HUMARE PARIWAR ME BHI EK RAJPUROHIT HAI.
@ReetKnowledgeTV
@ReetKnowledgeTV 2 года назад
पुराने समय मे राजा के जो पुरोहित होते थे वो राज पुरोहित होते थे, असल मे ये एक उपाधि होती थी। जिसका इस्तेमाल बाद में गोत्र की तरह किया जाने लगा।
@Singh_G-h3e
@Singh_G-h3e 2 года назад
@@ReetKnowledgeTV thik hai
@p.r.deshmukh5626
@p.r.deshmukh5626 Год назад
प्रकाशन के पहले एक बार तो पढ़ लिया करो! केवल पैसे ही बनाने में मत लगे रहो| दुनिया भर की गलती भरी हुई है !!
@Singh_G-h3e
@Singh_G-h3e 2 года назад
KYA PRAVARA SE KULDEVI/DEVTA KA PATA LAGAYA JA SAKTA HAI?
@ReetKnowledgeTV
@ReetKnowledgeTV 2 года назад
जी
@Singh_G-h3e
@Singh_G-h3e 2 года назад
@@ReetKnowledgeTV MERA PRAVAR ANGIRA AMBARISH YUVANASWA HAI TO MERI KULDEVI KOIN HAI PLEASE BATAIEYE
@SaveEarth_SaveEveryone
@SaveEarth_SaveEveryone Год назад
@@Singh_G-h3e भाई कुछ पता चला क्या 🙏🙏🙏
Далее
Идея под заказ😂
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