मनुष्य अपने सीमित बुद्धि क्षमता, सीमित ज्ञान और सुख दुख के मोह पाश से ऐसा बंधा होता है कि वह किसी भी परिस्थिति के सकारात्मक पहलू को देख नहीं पाता जब भी ज्योतिष शास्त्र पर हम बात करते हैं या ज्योतिष शास्त्र के अनुभव की चर्चा करते हैं तब यही बातों को हम भारपूर्वक दोहराते हैं की कुंडली के किसी भी स्थान या किसी भी ग्रहों को अशुभ समझना मानव जन्म की सीमित ज्ञान मर्यादा से ही आंकलन करने जैसा है।
अष्टम भाव को मृत्यु का स्थान कहा जाता है मृत्यु जो मानव जन्म का एक अटल सत्य है। इसीलिए इस स्थान का महत्व किसी भी तरह कम नहीं है। अगर मनुष्य अपने जीवन की नश्वरता को समझ लेता है तब वह अपने समय का सही उपयोग योग्य दिशा में करने हेतु हमेशा कार्यरत रहता है।
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27 авг 2024