❤12/07/2024./❤ हरी ॐ हरी ॐ सोहंम वाशुदेव सर्वम ही हैं वहीं तत्व से सर्व आत्मा ही परमात्मा ही हैं वहीं तत्व से सबकुच्छ सच्चिदानंदघन ही ब्रह्म ही हैं।❤❤❤।
जय श्रीमन नारायण स्वाभिमान तो सबके होना ही चाहिए यह अलग बात है लेकिन जो ज्ञानी होगा सतोगुण ही होगा पुष्प प्राणी में तो अहंकार का कोई स्थान नहीं होगा और अहंकारी मनुष्य तो अहंकार में ही प्रसन्नता रहता है गुरुजी वह तो ठीक है लेकिन कृष्ण और अर्जुन का एक प्रसंग है महाभारत का अर्जुन ने कहा श्री कृष्णा जी से की मेरा जैसा योद्धा कोई नहीं है तू कृष्ण अर्जुन कर्ण के पास गई थी तो कारण रणभूमि में घायल पड़ा हुआ था करण की सोने की दांत थे कर्ण दानवीर थे तू कृष्ण ने उनसे दान मांगा था तो कारण बोली मेरे पास तो भगवान कुछ नहीं है तो कृष्ण भगवान बोले आपके पास जो सोने के दांत हैं उनको उखाड़ कर दे दो तो करने अपने दांत तोड़ कर दे दिए भगवान को भगवान होली यह तो अशुद्ध है इनको गंगा के जल से धो कर दो तो करुण करण ने एक बन मारा था पृथ्वी में तू पृथ्वी में से जल की धारा बहने लगी और मरना सन करने भगवान के सामने वह दांत धोकर उनको अर्पण किया तो अर्जुन सोन रह गया कि मैं कहे का योद्धा हूं पोकरण से श्री भगवान भोले की है कारण तुम वरदान मांगो तो दानवीर कर्ण बोले मेरा दाह संस्कार जहां करना जहां कोई मनुष्य का दास संस्कार नहीं हुआ हो तो अर्जुन और श्री कृष्णा जगह उसको ले जाती तो पृथ्वी बोल उठाती यहां तो उसे राजा का दाह संस्कार हुआ है यहां मत करो सब जगह ही पृथ्वी ऐसे ही बोलती थी तो श्री कृष्णा ने अपनी हथेली की बड़ी करके हथेली पर संस्कार किया था जय श्री राधे कृष्णा भाई गलती हो गई हो तो मुझे माफ करना
ओ मेरे भगवान मुझे तो आप नित्य ही दर्शन देते हैं ब भगवान लेकिन बंद नेत्रों से ही दर्शन होते हैं जय गोपेश्वर जय जग ईश्वर जय श्री विष्णु मुकुंद बिहारी लीलाधारी बृज बिहारी गोविंद कृष्ण हरि मुरारी मुरली बजैया नाग नथिया दाऊजी को भैया नंद को गोपाल मैं कहां तक वर्णन करूं आपके नाम को मैं तो आपकी शरण में हूं मैं तो बहुत छोटी तू छ