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जीवन को चूँकि हम समझते नहीं तो जीवन की समस्याओं का कोई भी ऊलजलूल समाधान( ज्योतिष, न्यूमरोलॉजी, टेरो, वास्तु आदि) हम स्वीकार कर लेते हैं। -आचार्य प्रशांत
नमस्ते आचार्य जी .......मै आज इस वीडियो को इसलिए देखने आई थी क्योंकि.....मैं 6 महीने से terot card reading देख रही थी..... क्योंकि मैं खुद कश्मकश में फस गई थी.....और मैं खुद कोई फैसला नहीं कर पा रही थी.....pr ज्यादा समय होने के बाद मैं खुद ....... फैसला करके आज मानसिक सांति और शारीरिक तरीके से ठीक हूं........और अचानक दिमाग में आया की आपके क्या विचार है....... मुझे जवाब मिल गया आचार्य जी......🙏 की हम खुद को एक अंधविश्वास मे रखते है और कुछ लोग इस अंधविश्वास को ओर ज्यादा बढ़ावा देते है......वो राह नही दिखाते है .... हमे अपने आप से कुछ फैसले लेने होते है चाहे वो कितना भी कष्टदायक हो🙏❣️
बहुत ही मार्मिक विश्लेषण।अध्यात्म के मार्ग में अविचल व्यक्ति ही जीवन के मूल तथ्यों को खोजने में सक्षम होता है, अन्यथा व्यक्ति अंधविश्वास, झूठे एवम फूहड़ धारणाओं में बंधा हुआ अंधकार में खोया रहता है।🙏
आध्यात्मिक यात्रा में पहली चीज़ होती है- विवेक। और विवेक का अर्थ होता है एक को नीचा जानना और एक को ऊँचा जानना। एक को स्वीकार करना, एक को त्यागना। सार और असार का भेद, ग्राह्य और अग्राह्य का भेद। जिस व्यक्ति को सबकुछ स्वीकार है वो आध्यात्मिक कभी नहीं हो सकता। -आचार्य प्रशांत
इस दुनिया में सबसे भटका हुआ प्राणी इंसान ही हैं, इसे आप जैसे गुरु ही सही रास्ता पर ला सकते हैं, मैं एक बहुत ही अंधविश्वासी व्यक्ति था लेकिन अब सत्य की मार्ग पर अग्रसर हु किसी भी तथ्य की पूर्णतः अन्वेषण किए बिना उसे सही नही मानता मैं आपका शिष्य होने के साथ साथ मनोविज्ञान का छात्र भी हु✍️✍️✍️✍️
डर, अनिश्चितता ,मूर्खतापूर्ण चीजों में बांटे बांटे रहने का नाम नहीं है अध्यात्म, अध्यात्म का लक्ष्य है हमें पूर्णता देना, हमारे बेहोशी भरे ढर्रे को काटने का नाम है अध्यात्म।
जिसे नकारना आ गया वो भी बच जाता है जिसमे सत्य के प्रति श्रद्धा आ गई वो भी बच जाता है। ये दोनो ही बच जाते है इन्ही को प्रेम मार्ग और ज्ञान मार्ग कहा गया है। ज्ञानी झूठ को तत्काल पकड़कर नकारता है वो भी बच जाता है और प्रेम मार्ग में सत्य के प्रति अगाध श्रद्धा होती है वो भी बच जाता है। "प्रणाम आचार्य जी"
अत्यंत ही बोधपूर्ण एवं मार्मिक बिश्लेशण, हम सब इतने भाग्यशाली हैं कि आचार्य जी जैसे उच्च कोटि के दार्शनिक, गुरु, हम सब के जीवन में उपलब्ध है, जो कठिन से कठिन परिश्रम करके हम सब को सद्मार्ग दिखाने में प्रत्यनशील,, कोटि कोटि नमन करते हैं, आप के इस प्रयास का,, 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
मैंने भी बचपन से किसी धागे न बढ़ाने में, नजर उतारने न देने के वजह से घर पर बहुत कुछ सहा है, आखिरी में मेरी एक परिवार के व्यक्ति की मृत्यु हुई और मेरी मां की तबियत खराब है इस अंधा विश्वास के कारण। मेरी हात देख कर एक ने कहा मैं डॉक्टर बनूंगा मैं कॉमर्स का स्टूडेंट हूं। धन्यवाद आचार्य जी अब मेरी मां बस आपके विडियोज ही देखती है।
हम अति नहीं करते और अति न करने का क्या अर्थ है? कि हम सच में और झूठ में सामंजस्य बैठा कर रखते हैं। अगर हम पूरी तरह से सच की तरफ चले जाएंगे तो वो अति हो जाएगी न? और हमें बताया गया है कि अति नहीं करनी चाहिए। एक्सट्रीम्स नहीं लेनी चाहिए। द ट्रूथ इज़ ऑलवेज एक्सट्रीम जो अति नहीं कर सकता, सत्य उसके लिए नहीं है। -आचार्य प्रशांत
मैंने आपके कई वीडियो देखें हैं।बड़ी सच्ची और कड़वी बातें अवश्य ही होती हैं परन्तु मार्गदर्शन भी करती हैं।काश आपकी ही तरह से निष्पक्ष भाव से सभी मार्गदर्शक अपने विचार प्रकट करते।
Acharya ji main 54 years ki hun main bht badi fan hun apki 🙏🙏 bhot acche hain aap main jyada padhi likhi nhi hun fir bhi apki baat bhot acche se dimag main bhaithti hai..... salute sir😊
प्रणाम आचार्य जी🙏🏻 इस विडियो के माध्यम से मुझे मेरे प्रश्न का उत्तर मिल गया। और उलझन सुलझ गयी।सही समय पर ये जानकारी मिली।धन्यवाद् सत्य से परिचय करवाने के लिये।
सत्यम् ब्रूयात प्रियम् ब्रूयात न ब्रूयात सत्यम् प्रियम्। अति सर्वत्र वर्जयते। और अन्य एक चना भाड़ नहीं फोड़ता। वही यह भी कहा है कि एक व्यक्ति क्रांति ला देता है। अतः हरि अनंत हरि कथा अनंता। ये सभी संशय उत्पन्न/ प्रदान करते हैं। उचित मार्गदर्शन अपेक्षित है हाँ हो सकता है कि किसी न किसी व्याख्यान में आप पहले ही कह चुके होंगे उन्हें हमें ढूंढने होंगे। सादर प्रणाम।
आध्यात्म की वास्तविक परिभाषा आपसे ही जानी है मैंने । श्रीकृष्ण जी के गीता में कहे वचनों को समझना है तो सभी को आपको सुनना चाहिए। फिर अंधेरे में भटकना नहीं पड़ता।
दो चीज है जो हमें अच्छा और सरल जीवन जीने के लिए प्रेरित करती हैं ,विज्ञान और आध्यात्म दोनों को ही जैसे खंडित कर दिया गया है। 🥺🥺🥺🥺🥺 मिलावटी अध्यात्म , और मिलावटी विज्ञान हमारे सामने प्रस्तुत कर दिया गया 🙄🥺😐😐
आचार्य जी सादर प्रणाम।2-3दिनों से लगातार आपका कार्यक्रम देख रहा हूं। आपके द्वारा धर्म के बारे में जो बताया जा रहा है वहीं वास्तव में धर्म का सच्चा स्वरूप है जो कालांतर में आडम्बरयुक्त होने से युवा पीढ़ी इससे विमुख हो रहे थे आप इसे पुनर्जीवित और पुनर्स्थापित करने का जो सराहनीय काम कर रहे हैं उसे कोटि-कोटि नमन है ।
आध्यात्मिक यात्रा में पहली चीज होती है विवेक। सार और असार का भेद जानना। नकार और स्वीकार्य को समझना। जिसको सब स्वीकार्य होता है उसके लिए आध्यात्मिक यात्रा नहीं होती है। ।। आचार्य प्रशांत।।
आचार्य जी वेदान्त महोत्सव एक ही जगह ना होकर भारत के अलग अलग राज्यों में होगा तो सभी देशाटन भी साथ में हो जाएगा ।जिससे अध्यात्म को ज़्यादा गहराई से समझ पाएँगे। जब अभी गोवा में महोत्सव हुआ तब मन को समझने में और मदद मिली ।प्रकृति के निकट जा करके। 🌻नमन आचार्य जी🌻