आपका बहुत बहुत धन्यवाद आपकी योगमे ध्यान स्थिर करने कि आतमा को शुरुआत करने के लिए बहुत अच्छी है सभी आतमा ओको परमशान्ति का अनुभव जरूर कराना परमपिता परमात्मा से अलमाइटि ओथोरिटि से योग जरूर लगवाना बेहदकी परम महाशान्ति 👏👏👏👏👏👏🙏🙏🙏🙏🙏🙏💖💖💖💖💖💖💖🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹👍👍👍👍👍👍👍👍👍👍
जितनी जल्दी आतमा ए अपना स्वपरिवतँन करेगी ऊतना ही बेहदका विष्वपरिवतँन जल्दी होगा 108कि माला बनानी है बादमे 1008भी आएगें बेहदके बेहदकी सभी आतमा ए जागृत हो बेहदका विष्वपरिवतँन जल्दी हो सभी आतमा ओका कल्याण हो परम महाशान्ति 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
Gurudev ko PRANAM mai apko Pichhle 2 varsh se you tub ke madhyam se sun raha hu. Mujhe jagrat me attmbhav to kabhi kabhi khyal me Ata hai Par swapna awastha me dehatm bhav hi Bna rahta hai.
दिया जलानेके लिए जितनी आगकि जरूरत पडती है ऊतनी भी परमलाइट किसिभी आतमा ने पा लिया तो दो भृकुटि के बीच आतमा पोईँट ओफ लाईट है उसमे लानी है अपनी आत्मा एक स्टार कि तरह चमकती है परम महाशान्ति 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
साधारण मनुष्य की सुषुप्ति अवस्था तो गहरी निद्रा है जो की तमोगुण के प्रभाव से होती है जो अज्ञान जनित है जबकि ज्ञानी की समाधि एक सुषुप्ति अवस्था है परंतु वो तमोगुण के कारण नही है और गहरी निद्रा नही है बल्कि ज्ञानी इस अवस्था में जाग्रत होता है
आपकी बात से दो निष्कर्ष निकाल रहे हैं महात्मा जी ,१, ज्ञानी में तमोगुण नहीं होता २ सुसुप्ति में ज्ञानी निद्रा में नहीं होता । क्या ये शास्त्र सम्मत है अनुभव में आया है किसी को भी । कृपया प्रसंग सहित प्रमाण सहित स्पष्ट करने की कृपा करें । मैं पिछले १४ वर्ष से महात्माओ से उपनिषद गीता ब्रह्म सूत्र आदि पढ़ रहा हूं पर ऐसा कहीं उल्लेख नहीं पाया है ।कि ज्ञानी में तमोगुण नहीं होता वे नींद में नहीं होते
@@mohanlalgurjar892 आप ठीक से समझ नही पाए, समाधि को समझाने का प्रयत्न किया है जैसे सुषुप्ति अवस्था में कोई इंद्रियाँ नही होती हैं क्युकि वहां कार्य का सिद्धांत नही होता है केवल कारण होता है, समाधि सुषुप्ति अवस्था के जैसी होती हैं परंतु इसमें ज्ञानी जाग्रत होता है, तमोगुण के बिना निद्रा कैसे आयेगी, समाधि में ज्ञानी जागृत होता है
@@shashankparihar4984 महात्मा जी प्रणाम आपकी बात ठीक से समझ नहीं पाए इसीलिए समाधान चाह रहे हैं सुषुप्ति में इंद्रिया नहीं होती यह भी समझ में नहीं आ रहा है इंद्रियां हमेशा रहती हैं तभी तो जागने पर काम करने लगती हैं सुषुप्ति में मन इंद्रियों को जगह नहीं पाता इसलिए लय रहती हैं मन को इंद्रियों की आवश्यकता नहीं रहती समाधि सुषुप्ति अवस्था एक जैसी नहीं होती समाधि कृतिम है उसमें समाधि करता होता है वह कृतिम अवस्था अभ्यास प्रयत्न का परिणाम है निद्रा सहज है इसमें कोई निद्रा का कर्ता नहीं होता । हजारों समाधिया भी निद्रा की पूर्ति नहीं कर सकती निद्रा आवश्यक है समाधि आवश्यक नहीं है निद्रा अनिवार्य है आवश्यक है समाधि में ज्ञानी जागृत रहता है तो क्या समाधि में अज्ञानी जागृत नहीं रहता समाधि में ज्ञानी अज्ञानी का भेद है समझ में आता है
@@mohanlalgurjar892 इंद्रियाँ जाग्रत और स्वप्न अवस्था में रहती है, आप दोनों अवस्थाओं में इंद्रियों से सब अनुभव करते हो जबकि सुषुप्ति अवस्था में इंद्रियों के माध्यम से कोई अनुभव नही होता है आप अत्यंत गहरी निद्रा में होते हो जहां कोई अनुभव नही होता है
@@shashankparihar4984 स्वप्न में इंद्रियां जागृत नहीं रहती महात्मा जी मन ही इंद्री बनता है मन ही अनुभव बनता है मन ही अनुभव कर्ता बनता है याने स्वप्न में जो कुछ भी बनता है वह मन बनता पड़ता है तभी तो वह स्वप्न है मन का संसार है मन वहां स्वयंभू रहता है वहां का इंद्री के वहां का प्रकाश वहां का जगत वहां का अनुभव वहां का अनुभव कर्ता वहां के अनुभव की प्रक्रिया सब कुछ । इंद्रियों के जागृत रहते हुए स्वप्न निद्रा असंभव है।