विकास जी राम राम जी जो जीव अपने पीव़ यानि कि अपनी आत्मा को जानता है वही संत होता है हमारी आत्मा में ही परमात्मा है सभी संतो ने कहा है कि आत्मा सो परमात्मा ज्ञान गुरु इस संसार का भेष धरे सब कोए उस भेष को बह जाने दे जहा शब्द भेद ना होए फूटी आंख विवेक की लखे ना संत , असंत जिसके पीछे दस बीस हो वाको नाम महंत नौ मन धागा उलझा ऋषि रहे झक मार सतगुरू ने ऐसा खोला उलझे ना दुजी बार भाई साहब विकास जी तेलन के फेरे नही है बिल्कुल मर्द का बच्चा हुं अक्षर दो भाख,होगा खसम तो लेगा राख बावन के जंजाल में फस गया ये संसार सिमरन बावन का करे कैसे लागे पार ना प्राण मे ना पिंड ना ब्रह्मांड आकाश में खोजी हो तो तुरंत मिल जाऊ एक पल की तलाश में और मै तो हूं विश्वास मे विकास जी ज्ञान दृष्टि से सबको धूल चटा दूंगा आपका भाई कबीर
सच मेंअंधे हो गुरुजी, विडियो में दिख रहे व्यक्ति कोई भी आपकी बात नही सुन रहे, विकास पशोरिया जी खुद पेटले से कुछ इशारा करने में लगे हैं, ओर आपकी कुर्सी के नजदीक वाला तो कुछ ज्यादा ही, विकास पशोरिया जी की बाते सुनने आता हूं आपके चैनल पर, लेकिन पेशे से वीडियो एडिटर हूं तो ऐसा सिस्टम देखकर पहले ही ऐसा मूड हो जाता है, अनेक बार चुप रहने के बाद बोला है, कृपया या तो कैमरामैन को समझाओ की जो बोल रहा है उसका कलोजप रख, नही तो एडिटर की दिहाड़ी काट लो, आपका ही फायदा होगा भविष्य में