आमंत्रण vs निमंत्रण | आरंभ vs प्रारंभ | इनमें क्या अंतर है? amantran or nimantran me antar arambh or prarambh me antar hindi words confusion hindi grammar
यदि किसी घरेलू धार्मिक अनुष्ठान जैसे अमावश्या एकादशी या श्राद्ध के दिन मात्र एक व्यक्ति को भोजन के लिए बुलाना होता है तो उसको क्या कहेंगे ? आपके अनुसार निमंत्रण हो नही सकता क्योकि यह बड़े स्तर पर नही हो रहा और आमंत्रण इसलिये नही कह सकते क्योंकि ये तो मिलने के लिए नहीं सोद्देश्य खाने के लिए बुलाया जा रहा है । तो अब बताइये एक व्यक्ति को खाने पर बुलाने के लिए क्या प्रयोग करेंगे आमंत्रण या निमंत्रण ?
एक ही जैसे अर्थबोधक शब्दों के प्रयोग में सूक्ष्मतम अन्तर को समझाने के लिए आपका ये प्रयास बहुत ही सराहनीय एवं ज्ञानवर्धक साबित होगा, ऐसा मेरा विश्वास है । 👌👍
जब भी हम किसी को घर या विशेष स्थल पर औपचारिक रूप से बुलाते हैं तो उसे 'आमंत्रण' या निमंत्रण देते हैं। 'आमंत्रण' और 'निमंत्रण' दोनों का अर्थ समान समझ लिया जाता है, पर ऐसा नहीं है। दोनों ही शब्दों में 'मंत्र' धातु की एक सी उपस्थिति है। सामान्य रूप से 'आमंत्रण' और निमंत्रण बुलावे के लिए प्रयुक्त होते है, परंतु 'आ' और 'नि' के चलते इनके अर्थो में विशिष्टता आ गई है। आमंत्रण में अच्छी तरह बुलाने का भाव निहित है। निमंत्रण भी अच्छी तरह का ही बुलावा है, पर भोजन आदि का हेतु विशेष रूप से इसमें जुड़ गया है। न्योता इसी निमंत्रण से निकला है। किसी कार्यक्रम में भोजन-नाश्ते की व्यवस्था हो तो लोगों को निमंत्रण भेजा जाता है, पर मंच पर भाषण करने, कविता आदि पढ़ने के लिए बुलाना हो तो आमंत्रित किया जाता है।
हिन्दी दिखने में बहुत सरल और सीधा साधा लगता है,पर है ऐसा नही, हिन्दी के गहराई में वही जा सकता है जो दिमागी तौर पर बहुत मजबूत हो,भारत,भारतीय और हिन्दी यू ही विश्वगुरु नही गया है। बहुत शानदार प्रस्तुति हिन्दी सूक्ष्म विज्ञान का आपने दिया
@@shweta6140 जी हां, धन्यवाद 🙏🏻। परन्तु जिन्हें इस बात का पूर्ण ज्ञान नहीं होता वे वसुदेव जी को ही वासुदेव मान लेते हैं। जैसे:- वासुदेव जी ने भगवान श्री कृष्ण को यमुना (जी) नदी पार करवाई थी।
@@Hariom-cx9pm आप सही कह रहे हैं, आरंभ से ज्ञान होना ज़रूरी है, हमें बचपन में ही पढ़ाया गया था गुणाः सर्वत्र पुजायन्ते न देवो न मानवा वासुदेव सर्वत्र पुजायन्ते वसुदेव न मनवा