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मोहन राकेश कृत ‘आषाढ़ का एक दिन’ नाटक | Ashaad ka ek din by Mohan Rakesh,
नाटककार मोहन राकेश ने आषाढ़ का एक दिन १९५८ में प्रकाशित किया,
मोहन राकेश
नई कहानी’ के दौर के अग्रणी रचनाकारों में एक मोहन राकेश का जन्म 8 जनवरी, 1925 को जंडीवाली गली, अमृतसर में हुआ।
आषाढ़ का एक दिन सन 1958 में प्रकाशित नाटककार मोहन राकेश द्वारा रचित एक हिंदी नाटक है। इसे कभी-कभी हिंदी नाटक के आधुनिक युग का प्रथम नाटक कहा जाता है। 1959 में इसे वर्ष का सर्वश्रेष्ठ नाटक होने के लिए संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया और कईं प्रसिद्ध निर्देशक इसे मंच पर ला चुकें हैं। 1971 में निर्देशक मणि कौल ने इस पर आधारित एक फ़िल्म बनाई जिसने आगे जाकर साल की सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म का फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार जीत लिया। आषाढ़ का एक दिन महाकवि कालिदास के निजी जीवन पर केन्द्रित है, जो 100 ई॰पू॰ से 500 ईसवी के अनुमानित काल में व्यतीत हुआ।
मोहन राकेश ने ’ आषाढ़ का एक दिन ’ नाटक में जीवन स्पन्दन को पकडते हुए मूल्य - बोध द्वारा नाटक को समग्रता प्रदान की है। नाटक के पात्र जीवन्त और स्वाभाविक हैं। व्यक्ति मन का विश्लेषण बड़े ही सूक्ष्म और हृदयग्राही ढंग से किया गया है। राकेश को स्त्री - पुरुष के सम्बन्धों की विडम्बना को अलग - अलग स्तरों पर पकड़ने के प्रयत्न में सफलता मिलती है।
नाटक का नायक कालिदास मल्लिका को छोड़कर उज्जैन नहीं जाना चाहता , लेकिन मल्लिका कालिदास को प्रेरित कर उज्जैन जाने के लिए विवश कर देती है। कालिदास उज्जैन जाने के बाद हमेशा मल्लिका के अभाव को महसूस करता रहा लेकिन एक बार ग्राम्य प्रान्त में आने पर भी मल्लिका से नहीं मिल पाता और मिलता है तो एक अजनबी और परायेपन के धरातल पर ही।
15 окт 2024