ईशावास्य उपनिषद हिन्दू धर्म के महत्वपूर्ण ग्रंथों में से एक है। आइए इसके बारे में कुछ जानते हैं:
लघु आकार, प्राचीन ग्रं यह उपनिषदों में सबसे छोटे उपनिषदों में से एक है, जिसमें संस्करण के आधार पर केवल 17 या 18 मंत्र हैं। यद्यपि रचना का सटीक समय ज्ञात नहीं है, लेकिन माना जाता है कि यह ईसा पूर्व पहली सहस्राब्दी का है।
यजुर्वेद का भाग: अधिकांश उपनिषदों के विपरीत, ईशावास्य उपनिषद शुक्ल यजुर्वेद के अंतर्गत आता है, जो वैदिक ग्रंथों का सबसे प्राचीन भाग है।
केंद्रीय विषय: ईशावास्य उपनिषद ब्रह्म (परम सत्ता), आत्मा (अंतरात्मा), और दोनों के बीच के संबंध जैसी zentralen हिंदू अवधारणाओं का पता लगाता है। यह निस्वार्थ कर्म, सांसारिक संपत्ति से वैराग्य और आत्मज्ञान की प्राप्ति पर बल देता है।
प्रभाव और लोकप्रियता:ईशावास्य उपनिषद को हिंदू धर्म को समझने के लिए एक आधारभूत पाठ माना जाता है। आदि शंकराचार्य और मध्वाचार्य सहित कई विद्वानों और दार्शनिकों ने इस पर व्याख्या की है।
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29 авг 2024