नमस्कार मित्रों 🙏 जिन्होंने अपनी संस्कृति का त्याग किया 🚩 संस्कारो ने भी उनका त्याग किया🙏 संस्कृति रहेगी तो संस्कार रहेंगे 🙏
मै आचार्य अन्नपूर्णानंद स्वागत करता हूँ आपका अपने यूट्यूब चैनल पर 🙏 आज कि वीडियो बहुत ही महत्वपूर्ण है हम सबके लिए
वर्तमान समय मे विवाह मे ढ़ोल, बैंड बाजे इत्यादि तो सब जगह बजते ही है पर अगर आपने ध्यान दिया हो तो उनमें केवल और केवल नाचने वाला ही नाचता है बाकी सब दूर से ही देखते ही रहेंगे 🙏 वहीं हमारे प्यारे उत्तराखंड कि लोक संस्कृति मे वाद्य यन्त्र अर्थात ढ़ोल दमाउ ज़ब बजते है तो उनके बजते ही सबका मन मयूर नाच उठता है सम्भवतः कोई विरला ही होगा जो ना नाचे लेकिन उन वाद्य यन्त्रों द्वारा सर्वप्रथम जो शब्द बजता है उस शब्द मे इतनी जान👍, ज्ञान🙏, और ध्यान होता है कि कोई भी ऐंसा व्यक्ति ना होगा जो stambhit ना हो जाए!
2= यह वीडियो बारात प्रस्थान के समय कि बनाई गई है यहाँ पर यदि आप देखें तो स्पष्ट नजर आयेगा बरात प्रस्थान के समय पहला जो शब्द बजता है वह हम से इस वीडियो में मिस हो गया है वह भगवान गणपति🙏 से प्रारम्भ होकर ईस्ट देवता🙏,कुलदेवता🙏 ग्राम देवता 🙏 स्थान देवता 🙏 आदि का स्मरण कर कार्य कि निरविघ्नता तथा अभिष्ट कार्य की सिद्धि के लिए बजाया गया 🙏
तत्पश्चात आप देखेंगे बीच में चलते चलते हमारे प्यारे सुखदेव दास ने रुक कर जिधऱ कि तरफ मुँह करके ढ़ोल बजाया उधर कि और हमारे नागवंशी डांडा नागराजा कुलदेवी माँ भगवती का भूतभावन भगवान शंकर का मंदिर है उनके सहित 33कोटि देवी देवताओं में सम्मिलित वनदेवी🙏 नदी पर्वतश्रृंखलाओं को आह्वान तथा सम्बोधन करना कि आप इस विवाह यज्ञ के प्रत्यक्ष दर्शी कर्म शाकची है इत्यादि प्रार्थना ढ़ोल दमाउ के माध्य्म से कि गई है और अंत में जंगलों में नदी के किनारों में भूत, प्रेत, से या अन्य कोई भी बाधा शान्ति के लिए दंड पाणी भैरव बाबा के दरबार नतमस्तक होकर सब कुछ उन पर छोड़कर आगे कि यात्रा निर्भय होकर करते है 🙏
जिस ढ़ोल दमाउ में इतना समझाने कि छमता हो वह सामर्थ्य केवल और केवल उत्तराखंड के वाद्य यन्त्रों में ही देखने को मिलतीहै आप भी आनंद पूर्वक दर्शन करें इन पर्वतों, पहाड़ों का सुन्दर अद्भुत झंकियों का!
हाँ यदि हो सके इस वीडियो को लाईक 👍सब्सक्राइब 👌 शेयर 👍 जरूर करें 🙏 हमारा चैनल है
acharya annpurnanand #
9 июл 2022