रसमय उपदेश :
जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज की काव्य रचनाओं में जो रस सिक्त तत्त्वज्ञान भरा है, वह इस बात का द्योतक है कि उनका अपना व्यक्तित्व भक्ति के परमोज्ज्वल स्वरूप से ऊर्जस्वित, जीव कल्याण की करुणामयी भावना से द्रवित एवं श्रीराधा-कृष्ण के अलौकिक प्रेम रस से ओतप्रोत है। भक्तियोगरसावतार की उपाधि प्राप्त श्री कृपालु जी महाराज हमारे वर्तमान विश्व के पाँचवें मूल जगद्गुरु हैं। वेद-शास्त्रों के प्रमाणों पर आधारित उनके सारगर्भित प्रवचन तो वैदिक हिन्दू सनातन धर्म के वास्तविक सिद्धान्त को सरलता एवं स्पष्टता से समझने का प्रमुख आधार हैं ही, उनकी सरस संगीतमय संकीर्तन रचनाएँ भी सिद्धांत ज्ञान से परिपूरित हैं। श्री महाराज जी द्वारा रचित रसमय संगीतात्मक काव्य कृतियों में कितना गहन तत्त्व ज्ञान लबालब भरा है, इसका वास्तविक परिचय तब मिलता है जब वे स्वयं अपने स्वरचित संकीर्तनों की व्याख्या करते हैं। ये बहुत आकर्षक व्याख्याएँ हैं, जिनमें रस (भक्तियोगरसावतार) एवं उपदेश (जगद्गुरूत्तम) का कृपामय सामंजस्य है।
यह वीडियो
'युगल शतक' नामक काव्य संग्रह
के एक रसमय संकीर्तन-
'कहु माधो सों ऊधो, ऊधो ऊधो ऊधो।'
पर आधारित है, जिसकी सुन्दर व्याख्या
श्री महाराज जी ने दिनांक : 23.08.2000 को
रँगीली महल, बरसाना धाम में की थी।
इसमें श्रीमुख की माधुरी का पान करते-करते सहज ही परमोत्कृष्ट उपदेश साधक के अंतर्मन में उतर जाता है।
इस वीडियो के कुछ अंश हैं-
"इन्द्रियों पर, मन पर कण्ट्रोल हो।
अरे! बड़ी-बड़ी शर्तेँ हैं योग के लिये।
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यम, नियम, आसन, प्रत्याहार, प्राणायाम,
ध्यान, धारणा, समाधि।
ये आठ अंग होते हैं।
इनमें पाँच अंग तो बहिरंग हैं, फिजिकल।
यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार।
ये तो शारीरिक क्रियाएँ हैं। शरीर को
इस तरह का बनाना जो योग के काबिल हो।
फिर उसके बाद, ध्यान, धारणा, समाधि।
ध्यान माने मन लगाना आत्मा में।
और, धारणा माने मन लग जाना।
और, समाधि माने मन का लीन हो जाना।
ये अंतिम अवस्था है।
उससे क्या होगा?
चित्त वृत्ति का निरोध होगा।
सम्प्रज्ञात समाधि, असम्प्रज्ञात समाधि मिलेगी,
लेकिन माया नहीं जायेगी।
जब वो समाधि से बाहर आयेगा, आँख खोलेगा
तो फिर संसार उसी प्रकार उसको पकड़ लेगा।"
-जगद्गुरूत्तम श्री कृपालु जी महाराज
ऐसे चुनिंदा वीडियो की पूरी playlist देखिये-
रसमय उपदेश : युगल रस
• रसमय उपदेश : युगल रस
रसमय उपदेश : युगल शतक
• रसमय उपदेश : युगल शतक
रसमय उपदेश :
• रसमय उपदेश
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14 окт 2024