तीनों गुणों से ही काम क्रोध लोभ मोह ओर अहंकार ये निकलते हैं, ओर उस सर्वशक्तिमान के सिवा कोई भी इन्हें नष्ट नहीं कर सकता, इनसे बहार निकला जा सकता है, जो इनसे बहार निकला वह उस सर्वशक्तिमान के तीनों रुपों से बहार निकला, जो काल ब्रह्म माया से बहार निकला वह उसी सर्वशक्तिमान के रुपों से बहार निकला, यह हलवा नही है मोक्ष, पांचों विकारों से बहार मन बुद्धि ब्रह्म काल माया से बहार तीनों गुणों से बहार, इन सबको उस सर्वशक्तिमान ने ही बनाया, जो कभी नष्ट होते ही नहीं है उन्हें सर्वशक्तिमान के सिवा ओर कोई नहीं बना सकता, ओर इन सबसे निकलने का रास्ता भी सर्वशक्तिमान ही बताता है, जिस तरह से रामपाल जी ने मंत्र दिया उसी तरह से ओर गुरुओं ने भी मंत्र दिया कि इनसे बहार निकल जाओगे, जपते रहो जपते रहो ओर बावन आखर को सब ही जप रहे हैं, परिणाम जीते जी मिलता है, अगर आपमें से कोई एक भी इन सबसे जीते जी बहार निकल गया तो मोक्ष को पा गया, अन्यथा इसी भवसागर में विचरण करते रहोगे, यह सच्चाई रामपाल जी ने नहीं बताई, आपको लगता है आपको सब कुछ बता दिया, लेकिन आपको भ्रमित कर दिया, फिर भी आफकी आस्था ओर आपका विश्वास है, कोई तो कहीं से मोक्ष पाये मेरा तो यही सिद्धान्त है, कोई तो कहे जीते जी में समस्त इन्द्रियों पांचों विकारों तीनों गुणों मन बुद्धि माया कर्मों से बहार निकल गया। जिवित रहते रहते, मरने के बाद की मनगढ़ंत बातों पर में विश्वास नहीं करता, आपमें से किसी को मोक्ष मिले बहुत अच्छी बात है, लेकिन मिले तो सही, जिवित रहकर कोई उसका प्रमाण तो दे कि उसे मोक्ष मिल गया। जो खुद सच नहीं बता सकता वह कहे उसे मोक्ष मिल गया आप विश्वास कर सकते हो में नहीं। बाकी किसी से भी मेरा कोई व्यक्तिगत मतभेद या दुश्मनी नहीं है।
ज्ञान इतना बता दिया जितना बालू रेत,कहे कबीर मैं करूं जीव ना समझा एक। लोग झूठा ज्ञान को ही सही समझते हैं तथा गलत मार्ग पर चलने के लिए तैयार हो जातें हैं और अधिकांश लोग इसी मार्ग पर चल रहे हैं।
चार वेद ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद को सभी जानते हैं लेकिन पाँचवाँ वेद "सूक्ष्मवेद" कौन सा है? जानने के लिए पढ़िए पुस्तक "हिन्दू साहेबान नहीं समझे गीता, वेद, पुराण" गीता अध्याय 4 श्लोक 32 सच्चिदानंदघन ब्रह्म यानि परम अक्षर ब्रह्म ने (मुखे) अपने मुख कमल से जो वाणी बोली, उस वाणी में बहुत प्रकार के (यज्ञाः) धार्मिक अनुष्ठानों की जानकारी दी है। जो साधना बताई है, वह कर्म करते-करते की जा सकती है, वह सूक्ष्मवेद यानि तत्त्वज्ञान है। उसको जानकर तू कर्म बंधन से सर्वथा मुक्त हो जाएगा यानि पूर्ण मोक्ष प्राप्त करेगा।
खोज नहीं की भाइयों आप लोगों को पहली बार पता चला, की तीन गुण भी होते हैं, यह तीनों गुण भी सनातन है, वही तीनों गुण है ओर वही ब्रह्म विष्णु महेश भी है, वही समस्त देवी देवता भी है वही समस्त प्राणियों में हैं वही काल वही ब्रह्म वही पारब्रह्म वही महाकाल वही सर्वशक्तिमान, इसलिए ही वही सर्वशक्तिमान है, वही अच्छा वही बुरा वही पाप वही पुण्य वही दिन वही रात, वही चारों युग है, वही समुन्दर है वही समस्त नदियां वही नाला वही हर एक बूंद, अभी भी रामपाल जी ने आपको यह सत्य नहीं बताया, वही मन है वही माया वही इच्छा ओर वही फल वही कर्म है वही दाता वही जीवन ओर वही मोत, इस समस्त संसार में समस्त ब्रह्माण्ड में वही है उसके सिवा कहीं कुछ ओर है ही नहीं, वही फंसाने वाला भवसागर में वही निकालने वाला भवसागर से, कोई भी बावन अक्षर का आपको मोक्ष नहीं दिला सकता कोरे कागज में लिखकर देता हूं, सारे बावन अक्षर शब्द से बना है, सब कुछ शब्द से बना, ओर उसके साथ प्रकाश, सुरत ओर निरत। बावन आखर का अगर आप समझते हो कोई शब्द जो लिखने कहने में आता है मोक्ष दिला सकता है तो ओर भी जो आखर बच गये वे भी दिला सकते हैं, बावन आखर को बनाने वाला एक ही है, उन बावन आखर में सबमें बराबर शक्ति है, लेकिन इन बावन आखर में कोई भी सर्वशक्तिमान नहीं है, न कबीर जी न गरीबदास जी न रामपाल जी ओर ना हम सब, एक सर्वशक्तिमान है ओर रहेगा ओर था। वह सर्वशक्तिमान है कोन बिना मोक्ष के आज तक उसे ना किसी ने जाना ओर जानकर भी उसका संपूर्ण बखान कोई भी नहीं कर पाया। बावन आखर की भक्ति हर एक आखर की भक्ति जबसे यह बने हैं कोई ना कोई किसी ना किसी आखर की भक्ति कर ही रहा है, ओर बावन के बावन आखर अनगिनत बार सिद्ध हो चुके हैं लेकिन संसार आज तक चल रहा है, उस सर्वशक्तिमान की सच्चाई हमेशा ही हर एक ने छुपाई, ना कबीर ने बताया न गरीबदास ने न ओर किसी भी संत ने, फंसाने वाला भी वही है ओर निकालने वाला भी वही है, रही बात आस्था ओर विश्वास की तो जिसे जिस पर है उसे वह मानता ही है।
कबीर कुत्ता राम का, मुतिया मेरा नाऊं। गलै राम की जेबडी जित खैंचे तित जाऊं।। अब हम आपसे जानना चाहते हैं कि कबीर अपने आपको किस राम का कुत्ता बोल रहा है? आप लोग उसे God बोल रहे हैं।
@@hariram1462कबीर जी के वाणी को समझना आप जैसेलोगों के लिए इतना आसान नहीं है क्योंकि आज से 600 साल पहले कबीर जी इस धरती पर आए थे एवं जो वांणी उन्होंने बोलीथी उन वांणियो को बड़े से बड़े वैज्ञानिक रिसर्च करने में लगे हुए हैं लेकिन सही अर्थ उसका निकाल नहींसके तो आपका तो औकात ही क्या
@@rajveeryadav3639 आपने फ़रमाया कि कबीर की वाणियों पर बड़े बड़े बैज्ञानिक रिसर्च कर रहे हैं। हम आपसे जानना चाहते हैं कि बैज्ञानिक कबीर की कौन सी बात पर रिसर्च कर रहे हैं? कभी कुछ बोला कभी कुछ और बोल दिया। ये कोई रिसर्च का विषय होता है। एच एच विल्सन ने अपनी पुस्तक एक स्केच आफ रिलीजस सेक्स आप हिंदूजा " में कहा है कि कबीर वास्तविक एक नहीं, अनेक लोगों की वाणियां है।