चंपई सोरेन के साथ गलत हुआ है ,ऐसा मानने वालों कि संख्या बढ़ती ही जा रहाई है। राजनीति से जिनका दूर-दूर तक लेना देना नहीँ है, वे भी कह रहे हैं कि चंपई दा तो सरकार बेहतर चला रहे थे। तो क्या यह चंपई सोरेन की लोकप्रियता थी जो हेमंत सोरेन को नागवार लगने लगा था । महज पाँच महीने के अल्प समय में चंपई सोरेन ने एक लंबी लकीर खींच दी है। राजनीतिक हल्कों में चर्चा है कि हेमंत सोरेन को उनके बढ़ते कद से डर लगने लगा था और यही वजह है कि आनन- फानन चंपई सोरेन से इस्तीफा लेकर हेमंत सोरेन को खुद सीएम की कुर्सी संभालनी पड़ी। चंपई सोरेन के प्रति लोगों में सहानुभूति भी है और आक्रोश भी। पार्टी के कार्यकर्ताओं को भी लग रहा है कि तीन महीने कि तो बात थी। तो क्या
ऑपरेशन लोटस का शिगूफ़ा लोगों की सहानुभूति और आक्रोश को बायपास करने कि रणनीति का हिस्सा मात्र है ताकि हेमंत सोरेन छवि ठीक बनी रहे।
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4 июл 2024