Kabir maharaj bhi bhagwan ka hi vandan karte the...lekin ye makkar toh pure sansaar me kabir ko hero bana diya.allah bhagwan jesus waheguru buddha budh sarna dharmesh aur anya devi devta ki koi jagah hi nahi.
कबीर जी ने बोला था ,,की ॐ की महिमा इतनी होती है की कोई बखान नहीं कर सकता है। जैसे हर कोई समुद्र की गहराई नहीं नाप सकता वैसे ही ॐ के बारे में हर कोई नहीं बता सकता।
ए बात तो सत्य है कि वेद को बनाने वाले बड़े हैं न की वेद।मूर्ति कार बड़ा है न कि मूर्ति,कहते हैं कि प्राणप्रतिष्ठा कर दियाहै, यदि ऐसा है तो अपने किसी स्वजन को मरने के बाद प्राणप्रतिष्ठित कर दीजिए ओ भी जिंदा हो सकता है।यहाँ पाखण्डियों का ही बोलबाला है, सचाई बहुत कड़वी लगती ही है।
परमात्मा के तीन स्वरूप है आनन्द मय शरीर नाम रूपी शरीर और ज्योतिर्मय चिन्मय शरीर यह सारे शरीर मुरती के सानिध्य में माध्यम से प्राप्त होता है क्योंकि जिसका नाम है उसका रूप है जिसका रूप है उसका गुण भी हैं और उसका धाम भी है
क्यों कबीर जी जैसे महान संत को बदनाम कर रहे हो!किसी भी धर्म के प्रतीक या मानबिंदु की कमी निकाल ने से आप परम् ज्ञानी नहीं हो जाते बल्कि लोगों की हँसी का पात्र ही बनते है
Bhai kon sant hai pata nahin par taarkik bol raha hai Kabir ki baani bol raha hai apni tarf se kuchh nahin mila raha hai. Kabir Sant siromani hain isme koi shak nahin.
प्रत्येक आत्माअव्यक्त ब्रह्म है, इसके अतिरिक्त कुछ नहीं जो तुममें है वो मुझमें है! आत्मा के इस ब्रह्म भाव को वशीभूत करना ही मनुष्य का परम लक्ष्य है, हमको भ्रम में नहीं ब्रह्म में लीन रहना है। "ॐ एकाक्षर निज ब्रह्म ॐ" ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐॐ...........
"जीव से शिव शिव से शव" जब तक आपमें चैतन्यता (आत्मा) है आप शिव है! शिव से शव तक की यात्रा आत्मा अजर, अमर अविनाशी है, जिसको सुक्ष्म भाव से समझना मुश्किल है!
श्री कृष्ण - भांति भांति वचनों को सुनकर भ्रमित तुम्हारी बुद्धि अब एकाग्रचित्त होकर मेरी वचनों को सुन... जो जिसको पूजता है, (प्रेम love करता है या love है)अन्त में उसी को प्राप्त होओगे होता है । चाहे वो जिस चीज के पीछे उसकी आत्मा चेतना चित्त होगी। चाहे वो भूत हो प्रेत हो प्राणी हो, देवी हो देवता हो लेकिन अवतरित ईश्वर के अंश महापुरूष को पूजने ज्ञान लेने उनका अनुसरण करने से वो अर्जून जैसा हो जाता है! 🙏 जय जय जय।
भगवान है। और इंसान की मुक्ति होती है नाम से । और मरने के बाद बही भगवान मिलेगा ऊपर जिसको हमने दिल से माना ।उसी भेष मैं । कान्हा को पूजा तो कान्हा मिलेंगे। शिव नही। और शिव को पूजा तो शिव मिलेंगे कान्हा नही।
कबीर दास जी जो भी कहे हैं सब सच कहें आज के जितना भी कथावाचक है सब झूठ मुठ के गाय के सिंह बल में बैठ किसिंग गए में मिलाकर के आप कहते हैं कि सनातन धर्म में लिखा हुआ है कौन लिखा है उसको आदमी
रमा शंकर जैसी सोच के लोगों की कमी नहीं है जगत में।एक होता है समालोचक और एक होता है आलोचक।सनातन धर्म के बहुत बड़े प्रचारक हैं रमा शंकर जी। ऐसे बोलने से सनातन धर्म के अनुयाई सोते में भी जाग जायेंगे।बहुत बहुत आभार रमाशंकर जी आपका।
OM Purn Brahm Parmatma hai. OM Sanatan dharm ka mul hai. OM sabse mahan mantra hai. OM sarvshreshth sadhan hai Moksh ka. OM ki aalochana karna ghorkusanskar aur agyanta hai.
सब से अच्छा धर्म किया है मर हिसाब से किसी भी जीव को कष्ट दैना दुसरो का अधिकार छिनता अपन स्वार्थ के लिय अ धर्म करना मेन मुताबिक़ चलना नित खराब करना यह सब कोई धर्म नहीं सदा नित साफ रखना ही धर्म है सत्य हि तप है ओर धर्म है बाकि सब मिथ्या हैं मनुष्य को भगवान या कोई भी अपना अपना धर्म है डरना कि जरुत नहीं सिर्फ अपना कर्म है डरो