सत्संग सत्संग किसे कहते हैं आज के कुछ लोग अपना मत प्रकट करके उसे सत्संग नाम दे देते हैं अपना मत ठोक देते हैं जैसे मैं सदगुरु कबीर साहब ने कहा है निंदक नियरे राखिए आंगन कुटी छवाय निंदा करना किसी निंदा नहीं करना चाहिए जो आज के कुछ महात्मा लोग सदगुरु कबीर साहब के नाम पर देवी देवता को अपमानित करने का काम करते हैं यह काम सही नहीं है सतगुरु कबीर साहब ने कहा है बुरा देखन मैं चला बुरा मिला नहीं कोई जो दिल देखा आपना मुझसे बुरा नहीं कोई सतगुरु कबीर साहब ने हम कबीरपंथी ओ को सीख लाया है कबीरपंथी कबीरपंथी का मतलब होता है काया काया का बरियार इंसान कबीरपंथी कहलाता है जो सत्य को स्वीकार करें वह कबीरपंथी कहलाता है जो भरम में न भटके उसे कबीरपंथी कहा जाता है तो क्या कबीर पंथ कबीर पंथी एक माला ले लेने से नहीं होता है एक भी छाले लेने से नहीं होता है कबीर विचार का नाम है ज्ञान का नाम है सद्भावना का नाम है जो कायाका बरियार हो जिसके अंदर काया में सभी को सहेजने सदगुरु कबीर साहब ने कहां है कि तुम दूसरे के भावना से खेलोगे दूसरे के भगवान से खेलोगे तो वह तुम्हें ही भगवान मान लेंगे आज के कुछ कबीरपंथी लोग विद्वान कल आ रहे हैं पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुआ पंडित भया न कोई ढाई अक्षर प्रेम का पढ़े सो पंडित होय सदगुरु कबीर साहब ने कहा है भूखे भूखे कुकुर मारे गए होशियार से एक का जन्म भयो हम सभी कबीर पंछियों को अपने अंदर की बुराइयों को हटाना है अपने आप को स्वच्छ करना है ना कि दूसरे दूसरे की बुराइयों को हम ते चलना है सदगुरु कबीर साहब ने कभी किसी धर्म का निंदा नहीं किया है सिर्फ उन्होंने सत्य बात बोले हैं सदगुरु कबीर साहब सनातन को ही मानते थे सनातन के मतलब होता है सब से नाता सदगुरु कबीर नया संत पथ का स्थापना किया
बहुत बहुत धन्यवाद भाइ साहेब हम और आप में तुलनात्मकता और सापेक्षता कब खतम होती होगी जैसे आज बड़े बड़े आध्यातिमक कहानेवाले संत गुरुजनो एक मंच पर आके आपसमें सच्ची एक राह मे ईर्ष्या प्रवेश हो जाती हे हालाकी बड़े बड़े डॉक्टरो और वैज्ञानिको में एक दूसरे से इर्ष्या नहि प्रवेशती आज एसा क्यु