हिंदी साहित्य के भक्तिकाल के निर्गुण विचारधारा के प्रमुख कवि कबीर पर सुनें दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदू कॉलेज के प्रोफ़ेसर रामेश्वर राय जी का विशेष व्याख्यान #रचयिता #rachayita #rachayitathecreator #रामेश्वर_राय #rameshwarrai
कबीर को समझने की एक संवेदनशील,जीवनकेंन्द्री दृष्टि रामेश्वर जी के शब्दों से मिलती है।पुस्तक से दूर रहकर कैसे कबीर के शब्द को अनुभूत करनेका सबल प्रयास है।आभार।
सब पूर्ण सन्तो का उपदेश सारी मानवता के लिए साँझा होता है और एक ही उपदेश होता है कि परमात्मा से बिछुड़े हूये अंश आत्मा को कैसे परमात्मा से मिलाया जाये । उनके जन्म के उपर जातिवादी मानसिकता से ग्रसित स्वार्थी तत्वों ने कई भ्रम फैला रखे हैं इस पर न जाकर हमें उनके उपदेश को समझकर उस पर अमल करना चाहिए, पर अफ़सोस संन्तो की बाणी की सही व्याख्या कोई पूर्ण सन्त ही कर सकता है जिसको ख़ुद रूहानी मंडलों का अनुभव हो क्यों कि उनकी भाषा संकेतित होती है जो शाब्दिक अर्थ से अलग होती है धन्यवाद जी
💐तू कहता कागद की लेखी, मैं कहता आँखिन की देखी। 💐संस्कृत के लेखक,इतने सावधान थे की उन्होंने,लुंबनी, रुम्मिन दाईं,कपिलवस्तु, उरूवेला, कुसीनारा जैसे नगरों तक का भी उल्लेख क्यों नही किया?? 💐कबीर का बौद्धिक आंदोलन ना तो भक्ति आंदोलन है,ना ही लोक जागरण, बल्कि यह हाशिए के लोगो का आंदोलन । 💐भाई कबीर कुम्हार,जुलाहा,रंगरेज आदि को ही क्यों ईश्वर मानता है???? 💐कबीर कृषि कर्म से जुड़ी धान की बुआई, निराई, गुड़ाई सहित पूरी प्रक्रिया का वर्णन क्यों करते है? वे आंख के रोने को रहट का पानी क्यों कहते है?? कबीर के काव्य में कोल्हू,अहरनी,टांकी, धन,धवनी,आरा, लेंहडा, छछीहारी आदि शब्द बिंब कहां से आए?? 💐कबीर के"अमरदेसवा"में कोई वर्ण / जाति भी नहीं है। ... ब्राह्मण छत्री न शुद्र बैसवा,मुगल ,पठान,नहीं सैय्यद,सेखवा।आदि जोति नहीं गौर गणेसवा,ब्रह्मा, विस्नु महेस न सेसवा।।... अमर रहे अमरदेसवा।। 💐कबीर पर भारत से ज्यादा विदेशो में शोध/ काम क्यों हुआ? इटालियन विदवान मार्को डेला तुम्बा का 1798 में ज्ञान सागर, इंग्लैंड के कैप्टन price द्वारा 1780 में बीजक, फ्रांस के विद्वान हैरियट ने " A memwa on Kabir" प्रकाशित की. 💐 हिंदी साहित्य का पहला इतिहास फ्रेंच भाषा में गर्सा दसोती द्वारa 1839 में छपा? सिख समाज के आदि ग्रंथ में सबसे अधिक कबीर साहब की 224 वाणी है. लेकिन भारत के नवजागरण काल में दयानंद सरस्वती ने ऊपहास किया? आचार्य रामप्रसाद शुक्ल ने कबीर की भाषा को saadhukadi/ पंचमेल खिचड़ी कहा?? हा, आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी ने कबीर को वाणी का dictator कहा.. 💐 कबीर पर पश्चिम देशो में शोध कार्यों का कबीर का इसाईकरन का आरोप भी लगा.कबीर पर पहली पीएचडी इंग्लैंड में हुई. भारत मे भी श्याम सुन्दर दास ने कबीर ग्रंथावली का सम्पादन किया. तो फिर ऐसे महान कवि को राष्ट्रकवि क्यों नहीं माना जा सकता?? सस्नेह
Exellent proffesser saheb... Your review on kabeer is really outstanding...... Kabeer is a humanitarian voice of human civilization.... Which attacks on religious and rusted social customs 💐💐💐🙏🙏🙏🙏💐
वैचारिक दरिद्रता का आदर्श नमूना है यह व्याख्यान। 'शास्त्र' की ऐसी व्याख्या आप ही कर सकते थे। धन्य है आपका ज्ञान। क्या हो गया है हम सबको। क्या सच में हम सबने पढ़ना-लिखना छोड़ दिया है?
निर्गुण धारा के.., रहस्य वादी महान संत ,विचारक कवि..,, कबीर ..,के जन्म.., रचनाओं,, यथार्थ दर्शन के विशद वर्णन के लिये आपको धन्याति ,धन्य डा.रामेश्वर महोदय.., वंदन...🙏🌺🍀
बहुत ही विस्तार से प्रोफेसर साहब ने बताया। आपके विचार पाखंडवाद से अलग है वास्तविक है। मै आपके विचारों से पूर्ण रूप से सहमत हूँ। Sir गुरु रविदास के बारे मे व्याखान करे। साहेब बंदगी साहेब।
कबीर सबके मन और मानवता के है। कबीर के (सत्य) प्रेम सागर में डुब कर राम भी सबके हों जातें हैं। वहीं राम जो किसी निष्ठुर पत्थर के मुर्ति और किसी देश या संप्रदाय में नहीं,बल्कि धरती पर जहां भी मानवता और मानव सभ्यता जीवित हैं सभी जगह कबीर के राम ही राम है । कबीर के राम सुख के लिए है, दुःख के लिए नहीं। कबीर के राम(सत्य)प्रेम के लिए है,नफ़रत के लिए नहीं। .कबीर के राम लौकिक सत्ता के लिए है, हां ..भौतिक सत्ता के लिए कभी नहीं !
आपके पूरे लेक्चर में एक बहुत बड़ा फॉल्ट है Jo sampreshan Ramanand se Kabir ko prapt hua और उन्होंने गुरु की महत्ता को जीवन भर प्रतिपादित किया उसका आपने अपने इस लेक्चर मे जिक्र तक नहीं किया क्योंकि आप केवल बौद्धिक हैं आध्यात्मिक नहीं 🕉️🙏
राय साहब की तारीफ तो अपने शोध छात्र गुलाब से सुनता रहा हूँ, पर राय साहब को पहली बार सुना और ध्यान से सुना और वह भी कबीर पर, जिनको मैं वर्षों से पढ़ता -पढ़ाता ही नहीं, बल्कि जीता भी रहा हूँ। अच्छा लगा। तारीफें गलत नहीं हैं। कम लोग हैं अब हिन्दी में, जो इतने सधे ढंग से इतनी सारी गंभीर बातें कर सकें। जिन लोगों ने भी ये वीडियो बनाया है, उनको भी धन्यवाद और बधाई और शुभकामनाएं। वे राय साहब के और भी वीडियो बनाएं - दिखाएं, और औरों के भी। पर ये 'और' भी इसी स्तर के हों।
आपका तहे दिल से शुक्रिया। हम इस तरह के video और भी जल्द यहाँ अपलोड करेंगे। हम जल्द एक offline भी इवेंट सर का करवाएँगे। तब तक अप कृपया इसे अपने साथियों के साथ भी शेयर ज़रूर करें।
11:18 प्रेम ही जीवन का वह रास्ता है जिससे हम जीवन को समझ सकते हैं या प्रेम भी जीवन का वह रास्ता है जिससे हम जीवन को समझ सकते हैं। जीवन का रास्ता जितना विविध व व्यापक होगा उतना ही समावेशी क्योंकि अंततः मनुष्य कोई गोभी का फूल तो नही जो हर बार उसी तरह उगे।
आपका तहे दिल से शुक्रिया कि आपने यहाँ सुना। हम जल्द एक offline इवेंट करवाएँगे सर का उसमें ज़रूर आइएगा। तब तक के लिए इसे कृपया अपने साथियों के साथ भी शेयर ज़रूर करें।
Namaskar ji. I couldn't not stop praising your evaluation of Kabir ji. Very well articulated and meaningful explanation. Thanks, please keep uploading such insightful videos. MAA saraswati has blessed you with such profound knowledge (gyana) let it be for common people and coming generations.thanks again.
Kabir was humanist and reformer....of religious dogmas both hindu as well as Muslim...he is against the formal organization of religions...he is pure humanist...
I have heard Prof. Agarwal, JNU and several other scholars' take on Kabir. I heard very first time Prof. Ray. He enlightens me with his selection of words and the way he proceeds in this particular talk on kabir is really inspiring for me. His portrayal is like river flows. I am really enthralled. Mind blowing work dear Rachayta team and specially Pushpam bhaiya. Lots of love.. 😍😍😍😍🥰 Thank for this lecture.
विधवा ब्राह्मणी का नाम, गांव, कोनसा है, विधवब्राह्मणी के किस्से अवेद सम्बन्ध थे,उसका नाम, गांव कोनसा है ब्राह्मणों ने इस चरित्र हीन ब्रह्माणी पर क्या एक्शन लिया, और इन घटनाओं को मूल स्रोत क्या है
भारतीय भाषा विज्ञान में पाली प्राकृत और हिंदी की परिक्रमा के पथ से हिंदी साहित्य जो विश्व विद्यालय में पढ़ाया जाता है उसमें कबीर को आप वर्तमान हिंदी साहित्य लिखा जाए तो आप उन्हें किस स्थान पर स्थापित करेंगे?
हकीकत तो यह है कि जो कुछ भी हम कबीर के बारे में पढ़ते सुनते हैं वो दूसरों ने लिखी और कही है और वो भी अपने अपने पूर्वाग्रह से ग्रस्त हो कर क्योंकि कबीर ने भौतिक पढ़ाई-लिखाई नहीं की थी और न ही भौतिक जीवन जीया!!
क्या अभाव और समकालीन परिस्थितियों ने कबीर को इतना चिंतनशील बनाया ? अगर कबीर का जन्म उस समय न होकर आज के डेट में हुआ होता तो क्या कबीर की दृष्टिकोण इतनी तेज और मोहक होता ?? 15 वीं शाताब्दी में तो लेखन कला और सरंक्षण गृहों का काफ़ी विकास हो चुका था फिर कबीर का जन्म और वर्णों को लेकर इतना डाउट क्यों ??
कबीर प्रकृति के अनुयायी थे,संसार में जो कुछ घटित हो रहा है वह अटल है और प्रकृति के नियम अनुकुल है.वेद शास्त्र सब मानव ने अपनी स्वार्थ को ध्यान में रख कर बनाये है इसलिय उनसे मानव कल्याण की अपेक्षा नहीं की जा सकती है. कबीर कहते की जब तक मानव प्रकृति के अनुरुप नहीं चलेगा, दुख पाता रहेगा.आज यानव इतना विकास करके भी क्यों दुखी है, क्योंकि वह प्रकृति विरुद्ध आचरण कर रहा हैं.
प्रोफेसर साहब नमस्कार। आपके विचार एवं भाषण पूर्ण रूप से एक मूर्खतापूर्ण ही मानने योग्य हैं। कबीर साहेब का ज्ञान आपके पास बिल्कुल ऐसे नहीं जैसे गधे के पास सींग नहीं। जो लोग कबीर साहेब को मानने वाले हैं उन लोगों में से आप नहीं हो सकता। आपके तार सीधे मनुवादियों से जुड़े हुए समझ आ रहे हैं। आप स्वयं एक बार वीडियो सुनें। और में आपसे निवेदन करना चाहता हूं कि भविष्य में इस तरह का भाषण न दें। आप कागज़ और अक्षरों के ज्ञाता है कबीर साहेब का ज्ञान कागज़ और वावन अक्षरों से परे। जानने की जिज्ञासा है तो समय के तत्वदर्शी की शरण में जायें। धन्यवाद।
Aap ne bhuat hi acchi Tare aap ne samjha sahab ko ley kar par Mera question hai aap sahab ko kya samjhte hai ye or dusra question hai ki aap pad kar samze hai ya samz kar pade hai
Sir very good Apse ek request hai ki main ne 40sal tak spiritual matters me study Kiya hai.aspecially about lord kabirsahab. Kabir sahab apni ma ke kookg se kanme the. Normal birth tha unka. Kabir sahab ka kanam vankar ya bunkar jati me janam hua tha.dusri bate galat hai. Talab se mile ye bat joothi hai
महोदय उनके जन्म के बाद उनके माता पिता से तालाब के किनारे छोड़ दिए थे जिसके बाद उन्हें जुलाहे माता-पिता जिनका नाम नीमा और नीरू था उन्होंने उनका पालन पोषण किया था।
Kabir sahab ka kursinama hai 4 yug me 18 bar brhmanda chir kar dharti par aagman kar chuke hai brha manda yani ishwar ki khopdi tad kar aate rahe hai aur jeev cheta kar param purush ka pas chale jate hain tin lok brha mand ke bahar se aate hai aur jate hain jees dadh me aatma ka mul swrup hai
यदि हमें सही नहीं यह पता है कबीर का जन्म कैसे हुआ तो मैं यहां मान लेता हूं कि मेरे जैसा हुआ मतलब आम मनुष्य की तरह अब बात यह है कि महत्व जन्म रखता महत्व कबीर के महत्व संत कबीर के कर्म का है अब मानवता के लिए यह हितकर है कबीर के कर्म को आत्मसात करे
सर नमस्ते, संत रामपाल जी को उनके शिष्य लोग, कबीर परमात्मा मानते हैं, और कबीर को अजन्मा बताते हैं, संत रामपाल जी कहते हैं कि कबीर न जन्म लिया और न ही मरा है, और मंत्र से मानव जीवन से मोक्ष देने वाली मंत्र देते हैं। क्या कितना सही हो सकता है?
Kabir sahab aatam gyan aatam swrup ki jankari dye hai sansar me fasa jeev ke eis dukhdai brhamand se bahar nikalne ki bat kiye hai aatma aur jeev ke bich bhed hai jeev aatma me sarpit ho jata hai tow jagat se utrin yani puran mukti jeev eis sansar me kabhi nahi aayega
परमात्मा कबीर जी ने जो ज्ञान दिया था वो कबीर सागर में लिखा गया था कालांतर में कुछ अज्ञानी जीवो द्वारा उस में मिलावट की गई फिर कबीर जी ने अपना ज्ञान संत गरीब दास जी छुड़ानी जिला जज्जर हरियाणा वाले के मुखारविंद से परकट किया जिस को संत रामपाल जी महाराज अब कलयुग की बीच की पीढ़ी को कबीर जी का मूल ज्ञान समझा रहे ह 🙏🙏🙏🙏🙏🙏