प्रभु,कृपा के सागर हैं। जीवात्मा के शुभ के लिए वे आपसे ज्यादा चिंतित हैं। इसलिए कि उन्होंने ही हमें बनाया है। विश्वास करके,उनसे आत्मबल ग्रहण करते हुए दुनिया में अपनी भूमिका का निर्वाह करना है।अपना पराया,ऊंच नीच ,की दृष्टि सम रखिए।यही प्रभुकार्य है।आपका जिवन खूबसूरत और सुखदायी हो। मौसी जी के श्री चरणों में सादर प्रणाम।