कलश यात्रा में में तीनों देव ब्रम्हा, विष्णु व महेश के साथ-साथ 33 कोटि देवी देवता स्वयं कलश में विराजमान होते हैं। वहीं कलश को धारण करने वाले जहां से भी ग्राम का भ्रमण करता है वहीं की धरा स्वयं सिद्व होती जाती है। जो अपने सिर पर कलश धारण करता है उसकी आत्मा को ईश्वर पवित्र और निर्मल करते हुए अपनी शरण में ले लेते हैं।
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जिले के समीपी ग्राम भूरी में चल रही संगीतमय श्रीमद् भागवत महापुराण के प्रथम दिवस कलश यात्रा निकाली गई। इस दौरान सैकड़ों महिलाएं सिर पर कलश लिए चल रहीं थीं। इसके बाद कथा बैठकी हुई। कथाचार्य उमाशंकर शास्त्री ने कहा कि भागवत कथा का श्रवण करने से मनुष्य के जन्म-जन्मांतर के पाप नष्ट हो जाते हैं। जो भी भक्त भागवत कथा का वाचन करता है उसकी समस्त मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। उन्होंने का कहा सिर पर कलश रखने वाले श्रद्धालुओं की आत्मा पवित्र व निर्मल होती है।
ऐसे भक्तों पर भगवान की विशेष कृपा होती है। कलश यात्रा में में तीनों देव ब्रम्हा, विष्णु व महेश के साथ-साथ 33 कोटि देवी देवता स्वयं कलश में विराजमान होते हैं। वहीं कलश को धारण करने वाले जहां से भी ग्राम का भ्रमण करता है वहीं की धरा स्वयं सिद्व होती जाती है। जो अपने सिर पर कलश धारण करता है उसकी आत्मा को ईश्वर पवित्र और निर्मल करते हुए अपनी शरण में ले लेते हैं। जिनके तमाम रोग दोष विकारों का भगवान हरण कर देते है। इस दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद थे।
21 мар 2023