प्रिय दर्शकों, आखिर एक स्त्री अपने पुरुष से कब तक प्रेम करती है? यह प्रश्न आपके भी मन में जरूर आया होगा, तो चलीए, आज के प्रसंग से जान लेते है। मित्रों, एक बार देवी सती भगवान भोलेनाथ के पास आती है, और कहती है।
हे स्वामी, जिस तरह प्रत्येक स्त्री को पुरुष की आवश्यकता होती ही है, वैसे ही पुरुष भी स्त्री के बिना अधूरा होता है। किन्तु हे परम परमेश्वर, आज मैं जानना चाहती हूँ, की एक स्त्री पुरुष से कब तक प्रेम करती है? स्त्री के बिना पुरुषों का हाल कैसा हो जाता है? और क्या पुरुषों को स्त्रीयों के हर प्रकार के हट को पूरा करना चाहिए? तथा कलियुग में स्त्री और पुरुष का एक दूसरे के प्रति कैसा आचरण होगा? हे भोलेनाथ। कृपा करें और मेरे मन की इन आशंकाओ को दूर करें।
मित्रों, तब भगवान शिव कहते है। हे देवी। आज आपने जो प्रश्न किए है, वह मनुष्य जाती के कल्याण हेतु, अत्यंत महत्वपूर्ण है। स्त्री और पुरुष का मिलन ही संसार को आगे बढाता है। हे प्रिय, आज मैं आपको इसी विषय में एक कथा सुनाता हूँ, जिससे आपको सारें प्रश्नों के उत्तर मिल जाएंगे। हे गौरी, इस कथा का वर्णन ऋग्वेद में किया है। जो भी स्त्री पुरुष इस कथा को ध्यान से पूरा सुनते है, वे जीवन भर कभी भी प्यार में धोखा नहीं खाते। वह हमेशा एक दूसरे के प्रति एकनीष्ठ भाव से अनुरूप रहकर, एवं इस संसार की मोहमाया को भूलकर आपस में प्रेम करते है।
एक स्त्री कब तक प्रेम करती है, प्यार में पागल पुरुषों के साथ क्या होता है, स्त्री से अधिक प्रेम करने वाले पुरुष। उर्वशी और पुरूर्वा की प्रेम कथा, प्रेम कथा
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1 окт 2024