जब बंगाल के हिंदुओं की बात आती है तो इसी सुप्रीम कोर्ट को सांप क्यों सूंघ जाता है । जो बात शीशे की तरह साफ है कि मुस्लिम की दुकानों पर व्रत करने वाले तो छोड़ो सामान्य हिन्दू भी भोजन नहीं करना चाहता ,उसपर सुप्रीम कोर्ट को क्या जरूरत है बोलने की ।
Suprem kotha tab chup rahta hai jab jeehadi kisi darji ka gla reyt day o Yogi Kay against Bina dhoti ka dance karnay jarur aa jayega bhartio ko system say karna hoga
गांधी और नेहरू की ऐसी तैसी हुई थी ! जब उन्होंने जमीन जितने लोगों ने जाना था ! उतनी ले ली थी! तो गए क्यों नहीं ?सारी जमीन वापस लेनी चाहिए थी उनसे? जितने यहां रह गए थे😊 उनके हिस्से की वापस लो😢
जों न्यायालय का जज साहब रोक लगाया है वो खुद बोल रहें हैं मैं मुसलमान के यहां खाना खाता हुं वो मजिस्ट्रेट रुक जिहाद लब जिहाद का पक्षधर हैं ऐसे आदमी पर केया भरोसा
What are my rights as A consumer? Can't I choose a hygienic shudh Vegetarian vendor of my choice? Hindu consumer hnu bhaijan! Murge aur bakre ke shorbey wala kadcha se Alu ki sabji nahi leta! Aap ko aitraj kyon?
हिंदू तो अपने होटल ढाबे पर नाम लिख देंगे लेकिन जिन मुसलमान ने अपने होटल ढाबे पर हिंदू नाम लिख रखे हैं उनसे कैसे बचेंगे उनसे बचने के लिए हर हिंदू को अपनी दुकान होटल ढाबे में आरती बजनी चाहिए
ये जोंक हैं!! समझिए…!! ये हमारे सब तीज त्यौहारों पर, पूजा की सामग्री, यहाँ तक कि खुले पैसे बेचते हैं धर्मार्थ कार्य या हुण्डी में डालने के लिए मंदिरों के बाहर! ये वहाँ किसी हिन्दू को व्यापार करने नहीं देते वहाँ माफिया की तरह! हर तीर्थ स्थान और क्षेत्र के सभी होटल पर ये बेहूदे लोग हमारे मंदिर या भगवान के नाम से भोजनालय लगाए बैठे हैं और ख़ूब ख़ूब लाखों में मुनाफ़ा कमाते हैं हमारे हिन्दू भाइयों को वहाँ आने भी नहीं देते! सोचिए! हमारे पैसों से हम पर ही गजवा!👹😡👺
@@rupalidandekar Oose kehte hain Al-Taqqaiyya mane Kafir ie Hindu/non-muslim ko fuslaneikeliye Mussalmaan kuch bhi jhoot bolengi/karengi toh yeh jayaj hain. Kyunki M ko Bharatko Gazwa-e-Hind banana chahte hain. Aur ye Mki chahat Jihadke naam pe Honka katl karein. Vande Mataram
@@ramsaran864 भाई अगर वो भी शिव शक्ति ढाबा लिख देगा तब कैसे पता करोगे ,जैसे कलावा पहनकर गले मे रुद्राक्ष माला डालकर रश्मी को नाम बताया राकेश तब क्या होता है ।
गली गली जालीदार टोपी लगाकर और स्कूल कालेज में हिजाब की मांग करने वाले लोगों को व्यापार करते समय अपनी पहचान छिपानी क्यों पड रही है? जिनकी नियत खराब और मंशा धोखाधड़ी करने की है वही अपनी पहचान सार्वजनिक नहीं करते हैं।
दुबे साहब आप जैसेराष्ट्रवादी और विद्वान अधिवक्ता को इस इकोसिस्टम के खिलाफ स्वयं सुप्रीम कोर्ट में खड़े होकर संघर्ष करना चाहिए क्योंकि हमें ऐसा लगता है विरोधियों का इकोसिस्टम बहुत मजबूत है इसका मुकाबला करने के लिए आप जैसे तर्कशील राष्ट्र प्रेम से भरे हुए विद्वान लोगों की आवश्यकताहै।
इन जजों ने जब इलक्ट्रोल बांड पर ज़बरदस्ती दानदाताओं के नाम बताने का आदेश दिया ,जबकि क़ानून में नाम न बताने की बात थी तब ही बांड ख़रीदे। अब यही जज नाम न देने की बात करें । यह पूरी तरह ग़लत नियत दिखती है ।
दुवे जी समुदाय विशेष के लोगों ने भाजपा के खिलाफ वोट दिया है इसलिये केन्द्र सरकार को पहचान संबंधी नियम पूरे देश में लागू करना चाहिए ये सब के सब अपने आप घुटने पर आ जाएंगे।
कितनी अजीब बात है कि नाम बताने के क्षणिक नियम से सड़क के किनारे खाने पीने की दुकान के नाम सामने आए उसमें हिन्दुओं के नाम मात्र के दुकान ढाबे दिखे। धर्म निरपेक्ष देश के के नाम पर सुप्रीम कोटे के फैसले लेने वालों और राजनीतिक लाभ लेने वालों की साँठ गांठ से भारत के भीतर पाकिस्तान जैसे कई छोटे- छोटे देश बनाए जा चुके है।
इसमे योगिजी की स्वच्छ मंशा है ये तो जनता समझ ही गई है. औंर सुप्रीम कोर्ट की देशद्रोही मंशा भी सब देश ने देख ही ली अब... दुबेजी आपं कूछ करे सिर्फ व्हिडिओ बनाके हमे मदत नहीं चाहिए ठोस कार्य किजिये...😊
आदरणीय दुबे जी,सुप्रीम कोर्ट के जज साहब ने कहा कि वह केरल में मुस्लिम के होटल में खाना खाते है हिन्दू के होटल में नही में जज साहब से पूछना चाहता हु की ये होटल मुस्लिम का है जज साहब ने होटल के नाम से ही तो पहचाना होगा।
आपके द्वारा दिए कानूनी ज्ञान से लगता है कि सुप्रीम कोर्ट के इन न्यायाधीशों को कानून की कोई जानकारी हीं नहीं है। अगर जानकारी होती तो बिना विपक्ष को सुने ऐसा इन्टरीम आर्डर हीं नहीं देते।
थूकने वाले लोगों की ,मिलावटी भोजन भारत के सनातन धर्म में हस्तक्षेप सुप्रीम कोर्ट दोनों पक्षों की बात सुनी नहीं और फैसला कैस कर दिया मोदी सरकारें इनका इलाज क्यों नहीं कर रही हैं 🌹💯👌🚩🚩🚩🚩🚩🚩
@@bkschauhan6568 Yes, ये legally safe भी है। इससे contempt भी नहीं होता। और सब लोग समझ भी जाते हैं कि किसके बारे में बात हो रही है। क्योंकि सुप्रीम कोर्ट का कोई भी जज आगे आकर ये नहीं कह सकता कि सुप्रीम कोर्ट ही सुप्रीम कोठा है। और जज अपने वैश्या होने का दावा नहीं कर सकता।
हिंदू दुकानदार भाईयो अपनी दुकान पर नाम के साथ भगवा ध्वज लगाए और माथे पर तिलक लगाए। कावड़िया भाई भी ध्वज ,तिलक वाली दुकानों पर ही जाए बाकी सब से दूर रहे ।जय भोलेनाथ
फसाई के नाम से रेगुलेशंस होते हैं ! फूड के! यह अपना ही कानून चलाते हैं। हलाल सर्टिफिकेट बना रहे हैं! इस पर किसी को आपत्ति नहीं है, तो सनातन को चाहिए कि सनातन सर्टिफिकेट जारी करें! जो भी पैसा कमाये, समाज हित में काम लें, गरीबी से बाहर निकाले, उनके उत्थान करें , रोजगार दें, ताकि भिखारी न बने।।😊
उत्तर प्रदेश में होटल मालिकों को अपना नाम लिखना सरकार ने अनिवार्य कर दिया था जिस पर बड़ी चिल्लपों मची है I मेरी उन सभी हिंदू होटल मालिकों से अपील है कि वे अपना नाम अपने लायसेंस के साथ दिखाना शुरू कर दें । मामला खतम ! और अगर कोई विधर्मी हिंदू नाम दिखायेगा वह ४२० के अंतर्गत दंड का भागी होगा .
सभी हिंदू भाइयों से निवेदन है की अपनी दुकानों पर भगवा झंडा लगाए श्री रामचंद्र की फोटो के साथ क्योंकि विपक्ष ऐसा नहीं करेगा ऐसा करने से कावड़ियों को पहचान करने में दिक्कत नहींआएगी जय श्री राम 🙏
देश की सोच किस ओर जा रही वो मुस्लिम परस्त क्यो दिखती जा रही है वो समावेश सच और ईमानदारी के सबक को आगे क्यो नही बडाता है जज भी झूट धोखे फरेब को बडावा क्यो दे रहे है
ha jab raod accident mai koi ghayal ho jaye to pehle wo ye dekhe ki medical store kis dharam kis caste ke bande ka hai, vhp kon hota hai, Board per name hona chahiye sahi decision hai
बीजेपी में कुछ भी अच्छा नहीं हीं है।वकील क्या।सब गोबर भरा पडा है।क्या ये लोग विपक्ष का संविधान वाले नैरेटिव का कुछ कर पाए। नहीं!शिक्षा व्यवस्था को ठीक कर पाए। नहीं!पिछले दस साल में संघ पर लगे प्रतिबंध को हटाया।नहीं!वक्फ बोर्ड का कुछ किया।नहीं!ये सिर्फ अपना नाम बडा और दर्शन छोटा करना चाहते हैं।करेंगे कुछ नहीं। धन्यवाद जय राम वंदेमातरम
हमारे हिंदू भाई ओ आस्था में पूर्ण विश्वास करते है। अगर लोग नेम प्लेट नहीं लगाते है तो हमारे कावड़ियो को शुद्ध भोजन मिले इसलिए धार्मिक सस्थान ट्रस्ट, और सामाजिक काम करनेवाले हिंदू संस्थान आगे आकर कावड़ यात्रा के लिए हर 10 किलोमीटर में भोजन की व्यवस्था करनी चाहिए। संस्थान या ट्रस्ट भंडारा करे या भंडारा न कर सके तो भोजन की थाली का पैसा लेले। इस से कम से कम हमारे कावड़ यात्रा करनेवाले हिंदू भाई ओ को शुद्ध भोजन मिल सकेगा। जब तक सुप्रीम कोर्ट से फेसला ना आए तब तक टेंपरेरी ऐसी व्यवस्था कर सकते है।
सरकार समय को देख कर फैसला ले रहीहै कोर्ट को खुजली क्यों होतीहै केरल जम्बू कश्मीर बंगाल में कोर्ट नहीं है वहाँ के लिए कोर्ट के आदेश कहाँ है सुप्रीम कोर्ट को कश्मीर में बैठाओ
अंतरिम रोक क्यू लगाई?? तुरंत सूनवाई कर लेते या सुनवाई होने तक उस पार रोक नाही लगाते तो क्या होता?? किसी ने खुद से नाम लिख दिया तो क्या करेंगे?? कोर्ट के पास वकिलो की टीम नही है क्या की कानुन क्या है ये जान लेते. आप सिधा क्यू नही कहते की कोर्ट की सोच गलत है.आप नाही जानते की कोर्ट तारीख पे तारीख करते राहता है. कावडिया नाम और जाणकारी पुछने के बाद ही अगर तस्सली हुवी तो खाना,पहचान पुछना कोई जुर्म नाही है. हर कावडिया ने ऐशा ही करना ऐसी विनंती /जागृती करे. कोर्ट जानबुझ के कावडीयोको परेशान करना ठान लिया है ऐसी लागतं है.
@@ShardanandSharma-qi4zrbhai ham hindu log sirf rupiya kharcha kar sakte hai. Lekin muslim log vakil ko rupiya bhi deta hai or rasgulla bhi khilata hai wo bhi jo bherayti chahiye wo bherayti 8sal 10th sal 12th sal . Vakil khud bhi khata hai or judge ko bhi khilata hai. To fir hindu ke pachh me nyay kaise dega .use rasgulla khane ka farj nibhana hai n nahi to rasgulla kaise khayega.
मान्यवर, सरकार क्या कहेगी या कोर्ट क्या कहेगी जो हिन्दू हैं वे अपनी दुकानों पर अपना नाम लिखे व देवी देवताओं की मूर्तियां लगायें। उनको पहचान बताने की क्या आवश्यकता,गोल टोपी,सिर में पत्थर के काले निशान,बकरे वाली दाढ़ी व वह निशान जो उनको हिन्दूओं से अलग करता है।
अपनी असली पहचान बताने में, अपना असली मज़हब बताने में, अगर इतनी ही शर्म आती है.. तो अपना मज़हब बदल क्यों नहीं लेते मियां.! आओ सनातनी हो जाओ.. फिर कभी कोई शर्म नहीं आएगी, ये सनातन की गारंटी है ।
कोर्ट मे यह दलील जरूर देनी चाहिए कि शायद अभी सब ठीक है पर यदि कभी मस्जिद से जिहाद की घोषणा हो जाय कि होटल के खाने मे मांस डालना है तो मुसलमान तो डालेंगे....
मुंबई आदि शहरों में कोई मुस्लिम हिंदुओ से कभी समान नहीं खरीदता मुस्लिम बहुल इलाकों में हिंदू दुकानदार खाली बैठते हैं कोई मुस्लिम सामान लेने नही आते , अगर कोई मुस्लिम हिंदू से समान खरीदे तो उसका बायकॉट किया जाता है , ऐसा वहां के हिंदू दुकानदार कहते है 😮😮😮😮😮😮
कोर्ट में मुस्लिम मामलों में वकील का पैसा कहाँ से आता है। हिंदू अपने ख़िलाफ़ कोर्ट में लड़ने के लिए पैसा देते हैं, पहला- हिंदुओं द्वारा दरगाह में दिया गया पैसा दूसरा- हलाल सर्टिफ़ाइड के नाम पर लिया अरबों रुपया। और भी कई तरीक़े से अपनी गर्दन की नाप के हिसाब से पैसा देते हैं।
जब तक केस सही ढंग सुना नहीं जाये तब तक यथा स्तिथि रहेगी जो भी आज दिन तक हैं उसके लिए स्टे दिया है जो स्थिति है उसे कायम रखें जिसने नाम लिखा है वैसा ही रहने दे फैसला आने तक ।
हिंदू ओ के देश में हिंदुओ की इतनी दुर्गति देख कर बहुत कष्ट होता है, क्या करे कुछ समझ नही आ रहा है, सरकार हमारी मुस्लिम देशों के दबाब में हिंदुओ को राहत देने के लिए कोई भी आदेश लागू नही करती है।
बंधु ऐसा कौन सा वेंडर है जो अपना नाम लिखना है, अपनी पहचान बताता है चाहे वह ठेली पटरी किसी भी तरह कीदुकान लगता है, जबकि शॉप एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के अनुसार यह पहले से ही कंपलसरी है
बिलकुल सेही बात, गलत नाम अगर लिखना ही है, तब तो कल, कोई भी व्यक्ति अंबानी दुकान, या टाटा स्टॉल, लिख कर दुकान चलाने लगेंगे। अगर सुप्रीम कोर्ट अपना नाम नही लिखना है बोलता है तो। बिक्री अछा होगा धंधा बढ़िया चलेगा।
दारू पे जब ये इकट्ठा होते हैं तो यही चर्चा होती है कि बीजेपी सरकार मे है लेकिन कुछ कर न सके।वो कोई भी काम करे उसे रोक देना है चाहे वो देश के लिए कितने ही जरूरी काम हो।
कांवड़िए तो अपनी समस्या का हल निकाल ही लेंगे लेकिन इसमें sc कि मानसिकता जरूर उजागर हो जाएगी क्योंकि sc आजकल मुंह देख कर ही सावसंज्ञान ले रही हैं। SC के अधिकांश जज वामपंथी विचारधारा से ग्रस्त हैं ये बात वो अनेक बार उजागर कर चुके हैं। धीरे धीरे sc अपनी विश्वसनीयता खोती जा रही है।
इन जज से पूछा जाए की नाम छुपाकर काम कर अपराधी या अपना नाम बता कर काम करना ये जज हे या कोई सड़क छाप इन्सान जो देश मे सारे काम सरकार के खिलाफ करने कोई पार्टी पहचान छुपाकर काम करने वाला 100%अपराधी है
न्यायविद कानूनी पढ़ाई तो करते हैं लेकिन सामाजिक, धार्मिक, आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और विभिन्न पारंपरिक मान्यताओं/आस्थाओं का अध्ययन या वेद-पुराणों की सम्यक जानकारी नहीं रखते हैं अतः विशेषज्ञों से बिना विचार किए ऐसे मामलों में एकतरफा निर्णय से उन्हें बचना चाहिए।
Tufail साहब और duby साहब ❤ प्रणाम स्वीकार करें -- ये कानून तो 2006 का है-- हमारे दिल्ली मे three Weller का भी नाम address सब लिखा जाता है-- किन्तु हमारे हिन्दू वकील Supreme Court जाता है तो-- ये बागड़ बिले उसका जीवन बारबाद कर देंगे-- duby जी आप अपने किसी शागिद को तयार करे हिन्दू भाई के लिए-- इतिहास बन जाए गा, जय हिन्दू राष्ट्र-- आप दोनों को साधु वाद 🎉
कॉलेजियम द्वारा बनाया गया जज से ऐसा ही न्याय मिलेगा।वो बराबर हीन भावना से ग्रसित रहता है किपैरावी से जज बना हूं।इसलिए गलत निर्णय देता है।कॉलेजिम सिस्टम बंद करो
बात विश्वास की है कि हिंदू कलमा पढ़ा चीज़ को पवित्र नहीं मानता वैसे ही मुस्लिम प्याज़ लहसुन मीट को अशुद्ध नहीं मानता . अतः दूसरे की आस्था पर ध्यान नहीं देगा