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कामायनी और भारत की अस्मिता राधावल्लभ त्रिपाठी की विजय बहादुर सिंह से बातचीत। Kamayani 

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18 сен 2024

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Комментарии : 26   
@mkt452
@mkt452 2 дня назад
kamayani ko is tarah se dekhana ....adwitya hai..... bahut sundar sir
@Dp30-e1q
@Dp30-e1q Месяц назад
बहुत ज्ञानवर्धक चर्चा रही। चर्चा के आरम्भ में गाँधी जी का कथन कि उन्हें अँगरेज़ों से नहीं अँगरेज़ियत से नफ़रत है, गम्भीरतापूर्वक विचारणीय है। आज तो हर क्षेत्र में अँगरेज़ियत ही हावी है। सॅर की व्याख्या मौलिक है।
@baljeetkanaujiya809
@baljeetkanaujiya809 День назад
❤❤❤
@monishagaud1763
@monishagaud1763 Месяц назад
बहुत कुछ जानने और सीखने को मिला। एक नए दृष्टिकोण और साहित्य के बहुत से पहलु खोलने के लिए धन्यवाद ✨
@user-uu3ru5yn4s
@user-uu3ru5yn4s 8 месяцев назад
AAP dono ki baatchit kamayani ki samiksha bahut bahut sarahniy hai.🙏🙏🙏🙏🙏
@shashiprakash5693
@shashiprakash5693 4 года назад
बहुत महान विमर्श।कामायनी कुव्याख्या की शिकार हुई।भारत के चित्त की और चेतना की व्याख्या है यह कृति। विजय बहादुर सिंह हमारी हिंदी जाति के अवचेतना के श्रेष्ठ प्रवक्ता और आचार्य है।यह व्यख्यान मैं हिंदी के प्रत्येक अध्यापकों से सुनने का प्रस्ताव करता हूँ।
@praveenpandya79
@praveenpandya79 8 месяцев назад
विजयबहादुर सिंह जी भारतीय मेधा और प्रज्ञा के आचार्य हैं। जितनी गहनता से आचार्य ने प्रसाद और कामायनी को समझाया है, वह दुर्लभ है। वंदन है इस तरह के श्रद्धेय आचार्य को।
@professorraviranjan7574
@professorraviranjan7574 Год назад
'कामायनी' के इस बहुत ही महत्त्वपूर्ण विश्लेषण के लिए आदरणीय विजयबहादुर सिंह जी को साधुवाद।
@sumitaojha1883
@sumitaojha1883 10 месяцев назад
बहुत ही सारगर्भित और महत्वपूर्ण चर्चा। कामायनी के प्रति दृष्टि को नया विस्तार मिला। आप दोनों विद्वजनों को मेरा नमस्कार है।
@kalu123
@kalu123 7 месяцев назад
दोनो ही विद्वान् अपने समय के चिन्तक है. दोनों को सुनना सच में हमारा सोभाग्य है.
@neelamrishi9205
@neelamrishi9205 8 месяцев назад
बहुत सारगर्भित एवं नवीन दृष्टि से किया गया आकलन।
@Graceofgod01
@Graceofgod01 8 месяцев назад
Kamayani , aansoo by jayashankar prasaad ji , is kept in my possessions since my childhood..
@raghuchy6157
@raghuchy6157 9 месяцев назад
अद्भुत चर्चा, बहुत बहुत साधुवाद !
@vishwanathmishra8524
@vishwanathmishra8524 11 месяцев назад
कामायनी पर बहुत सुंदर विश्लेषण सबसे अलग विमर्श
@abhishekkumarmishra9902
@abhishekkumarmishra9902 11 месяцев назад
बहुत ही सुंदर विश्लेषण I
@suryanathsingh8098
@suryanathsingh8098 4 года назад
बहुत उपयोगी विमर्श।
@lucky-lu6vu
@lucky-lu6vu 4 года назад
बहुत ही ज्ञानवर्धक 👌
@ranjanaargade2008
@ranjanaargade2008 4 года назад
कामायनी के स्त्री पक्ष को बहुत अच्छे से उठाया।
@hindiekkhoj7800
@hindiekkhoj7800 7 месяцев назад
प्रोफेसर विजय बहादुर सिंह कामायनी की व्याख्या को भावुक व्याख्या की ओर ले गए हैं, दूसरे शब्दों में कहें तो यह अवसरवादी व्याख्या है। जिस चेतना को प्रोफेसर जी भारतीय चेतना कह रहे हैं वास्तव में वह ब्राह्मणवादी चेतना है जो अभिजात्य की अभिव्यक्ति है। लोक का ज्ञान होना और उसका रचना में प्रयोग होना दोनों बातों में अंतर है। 'नारी तुम केवल श्रद्धा हो विश्वास-रजत-नग पगतल में / पीयूष-स्रोत-सी बहा करो /जीवन के सुंदर समतल में' 'नारी केवल श्रद्धा हो' केवल श्रद्धा ही क्यों? 'नग पगतल में' नारी 'पगतल' में ही क्यों रहेगी।
@atheistnothing5039
@atheistnothing5039 8 месяцев назад
राधा ❤❤❤
@manojbhartigupta6555
@manojbhartigupta6555 8 месяцев назад
👍❤️👍
@ranjanaargade2008
@ranjanaargade2008 4 года назад
अच्छा विमर्श।
@atheistnothing5039
@atheistnothing5039 8 месяцев назад
विजय ❤❤❤❤
@bashishthanarayan4822
@bashishthanarayan4822 23 часа назад
गांधी कह रहे हैं मुझे अंग्रेजियत से नफरत है एकदम सफेद झूठ है । खुद तो लंगोटी पहना लेकिन अंग्रेजियत को ही बढ़ावा दिया ।
@sachinpandey5983
@sachinpandey5983 5 дней назад
❤❤❤❤❤
@kirnakhuriyal195
@kirnakhuriyal195 6 месяцев назад
❤❤❤
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For my passenger princess ❤️ #tiktok #elsarca
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