छायावाद के प्रवर्तक कवि जयशंकर प्रसाद द्वारा रचित महाकाव्य कामायनी के लज्जा सर्ग की विस्तृत व्याख्या की गई है। श्रद्धा के मन में उत्पन्न लज्जा के भाव से श्रद्धा के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है या उसके स्वभाव में क्या परिवर्तन आता है ?उसका चित्रण इस स्वर्ग में किया गया है ।यहां लज्जा नामक भाव का मानवीकरण किया गया है इसके प्रति श्रद्धा के विचारों की अभिव्यक्ति की गई है।
• जयशंकर प्रसाद की रचनाएँ
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15 сен 2024