🌷🌷काव्यांगन परिवार के सभी सदस्यों का हार्दिक अभिनंदन 🌹🌹
हिंदी के प्रचार और प्रसार में समर्पित काव्यांगन मंच को नमन करते हैं।
🙏 काव्यांगन काव्यगोष्ठी गत शनिवार, 29 जून 2024, को प्रसिद्ध साहित्यकार, कवि और समीक्षक डॉ राधाकृष्ण दीक्षित जी के सफल संचालन में सम्पन्न हुई। इस "काव्यगोष्ठी" को आप यूट्यूब के काव्यांगन चैनल पर देख सकते हैं।🙏🏼
काव्यांगन के इस पावन मंच पर मै आपका हृदय से स्वागत करता हूँ, वन्दन करता हूँ
स्व. डॉ. रामकृष्ण शर्मा द्वारा संस्थापित काव्यांगन हिंदी के प्रचार और प्रसार में समर्पित एक संस्था है जिसका उद्देश्य नवांकुरों को आगे लाने के साथ प्रतिष्ठित रचनाकारों को हिंदी के लिए एक समर्पित मंच देना है।
हमारा विश्वास, आपका साथ। हमारा प्रयास, आपके प्रेम और सहयोग के बिना पूरा नहीं हो सकता
भारतीय संस्कृति उदार, समन्वयवादी संस्कृति के साथ ही विश्व की प्राचीन और समृद्ध संस्कृति है।
धन्यं हि भारतं काव्यं, धन्या भारतसंस्कृति:
भारतीय जना: धन्या:, धन्याsस्माकं परम्परा
विनम्रता, मन की शुद्धता, भावों की स्वच्छता, आपकी रचना में हमेशा प्रतिबिंबित होती रहे।
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❣️❣️ गोष्ठी में निम्नलिखित गणमान्य रचनाकारों ने काव्यपाठ किया ❣️❣️
01. श्रीमती पूर्णिमा सुमन जी, धनबाद (सरस्वती वंदना)
02. श्रीमती अर्चना द्विवेदी जी, अयोध्या
03. श्रीमती अनीता सोनी जी, देहरादून
04. श्रीमती कंचनमाला जी 'अमर', दिल्ली
05. डॉ. राकेश कुमार जी "राकेश", बरेली
06. श्री विवेक गोयल जी, दिल्ली
07. श्रीमती शिल्पी सिंह जी, बुलन्दशहर
08. श्रीमती सीमा नयन जी, देवरिया
09. श्री रमापति त्रिवेदी जी, दिल्ली
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भारतीय काव्य साहित्य और संस्कृति को अलग नहीं किया जा सकता। कविता/गीत/ग़ज़ल या काव्य का कोई भी रूप, संवेदना-संसार का ऐसा शिल्प है, जो आत्मचेतना की भावभूमि पर निरन्तर संघर्ष करता है। समकालीन परिस्थितियों में जीवन को गहराई से देखने-वाले साहित्य का यदि कोई शिल्प है, तो वह काव्य ही है। गीत, समकालीन संघर्षों को चित्रित करने में अग्रसर रहा है। उत्पीड़न और शोषण के मध्य संघर्ष करती हुई मानवता आज भी गीत के विश्वास के वटवृक्ष की छाया में पोषित हो रही है। गीत सूक्ष्मतम संवेदनशीलता का ऐसा बिन्दु है, जो अहंकृति की सहज झंकृति करने में अपने ध्येय को नहीं भूलता।
यूनान-ओ-मिस्र-ओ-रूमा, सब मिट गए जहाँ से।
कुछ बात है कि हस्ती, मिटती नहीं हमारी।
काल चक्र निरन्तर चल रहा है- क्या हम भी भुला दिए जाएंगे समय के साथ? कवि कभी भी समय के साथ बंधा नहीं है। हमारी लेखनी निश्चित ही ऐसा निरन्तर लिखती है जो याद रहेगा, हमारी रचनाएं हमारे जाने के बाद पढ़ीं जाएंगी। आज हम लिख रहे हैं कल पढ़े जाएंगे।
आप का स्वागत करता हूँ काव्यांगन मंच पर, आपका साथ, हमारे हिंदी साहित्य के प्रचार और प्रसार के ध्येय को पुष्ट करता है
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काव्यांगन हर शनिवार रात्रि को 9 बजे काव्यगोष्ठी का आयोजन कर रहा है। आप सभी मनीषियों का आह्वान करते हैं कि इस काव्यगोष्ठी में सहभागिता करें। आप हमें यहीं कमेंट बॉक्स में अगली गोष्ठी में सम्मिलित होने के लिए सूचित अवश्य करें। इच्छुक सदस्यों को क्रमवार इस साप्ताहिक गोष्ठी में सम्मिलित होने के लिए आमंत्रित करेंगे।
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कृपया उपरोक्त काव्य गोष्ठी को सुनें, अन्य काव्य प्रेमियों को भी सुनाएं, लाइक और कमेंट करें तथा इसे सफल बनाएं।
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सविनय
काव्यांगन संचालन समिति
28 июн 2024