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किसी को मैं बर्दाश्त करूं इसके लिए कोई होना भी चाहिए,अब मेरे साथ मैं खुद ही हूं। कोई मुझपर दबाव डाले, शासन करे ये मैं नहीं सह सकती हूं इसलिए मैं अकेले रहना चाहती हूं, किसी की दादागिरी सहने के लिए मैं नहीं हूं,न ही किसी के कुनबा बढ़ाने के लिए मजबूर, मैं शादी नहीं करना चाहती इसलिए समाज चारों तरफ से मुझे घेरना चाहता है।
Nirny achha hai.... samaj bna hi tang khichne ke liye hai Khud ko itna majbut bna lo samne wale ki okat hi na ho tum pr ungli uthane ki Sirf karm ko prathmikta do baki sab bad mai All the best👍
Ekdam sahi hamre body, man pr sirf hamara Adhikari hona chiye, kisi parampara aur sanskar k naam pr samaaj pressor nhi kr sakta...bacche paida krne k liye hi shadi ki jati hai, bina bcche koi shadi tikana nhi chhta, to shadi k Bandhan me hi na bandho jis shadi k piche mansa bacche ki ho
सत्य है पर कड़वा है,ब्याह हुआ तो आधा मारा,बच्चे हुए पूरा मर गया,फिर सारी उम्र लाश धोते रहो, विवेकानंद ओशो परशुराम शंकराचार्य ये सभी पूर्णता अकेले ही रहे आचार्य जी को नमन।
गीता और उपनिषद के हिसाब से जिसके जीवन में विद्रोह नहीं है झूठ के खिलाफ वो जिंदा ही नहीं है।अगर प्रतिपाल हम मुक्त होने के लिए नहीं लड़ रहे तो हम में और मुर्दे में कोई अंतर नहीं है,क्योंकि जीवन का आखिरी उद्देश्य तो मुक्ति ही है।