भगवान सभा को छोड़ चले,करके रण गर्जन घोर चले,सामने कर्ण सकुचाया सा,आ मिला चकित, भरमाया सा। हरि बड़े प्रेम से कर धर कर, ले चढ़े उसे अपने रथ पर।रथ चला परस्पर बात चली,शम-दम की टेढी घात चली,
29 ноя 2022